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ई-टेंडरिंग के बाद अब माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों की भी होगी जांच - भोपाल

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता व जनसंचार विश्वविद्यालय पर भी जांच की तलवार लटकती दिख रही है. जानकारी के मुताबिक नियुक्ति में हुई अनियमितताओं को लेकर अब जांच की जाएगी.

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय
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Published : Apr 12, 2019, 8:26 AM IST

भोपाल। प्रदेश में इस समय सियासी मुद्दे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. आयकर विभाग की कार्रवाई और ई-टेंडरिंग में FIR दर्ज होने के बाद अब माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता व जनसंचार विश्वविद्यालय भी सुर्खियों में आ गया है. अनियमितताओं को लेकर माखनलाल यूनिवर्सिटी में भी जांच कराए जाने की तैयारी है.


बीजेपी सरकार के समय विश्वविद्यालय में की गई नियुक्तियों को लेकर बारीकी से जांच की जाएगी. नियुक्तियों में हुई गड़बड़ी को लेकर आर्थिक अपराध शाखा को जांच सौंप दी गई है. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार दीपेंद्र सिंह बघेल ने आर्थिक अपराध शाखा को पत्र लिखा है, जिसमें पूर्व कुलपति बृज किशोर कुठियाला के कार्यकाल के दौरान नियुक्तियों में हुई गड़बड़ियों को लेकर पूर्व वीसी और नियम विरुद्ध तरीके से भर्ती हुए लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए कहा गया है.


विश्वविद्यालय पर आरोप लगाया गया है कि एमसीयू में एक खास विचारधारा से जुड़े लोगों को उपकृत करने के लिए पिछले कुछ सालों के दौरान कई तरह की गड़बड़ियां की गई हैं. प्रदेश में कांग्रेस सरकार के आने के बाद इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई थी. इस कमेटी ने आर्थिक अपराध शाखा से कार्रवाई की सिफारिश की है. विश्वविद्यालय में अकादमिक कार्यों के नाम पर भी करोड़ों रूपए का फर्जीवाड़ा किया गया है. यह तथ्य विश्वविद्यालय की जांच करने के लिए गठित की गई समिति की रिपोर्ट में सामने आई थी. मामले में समिति ने अनुशंसा की थी कि यह मामला आर्थिक अनियमितताओं से जुड़ा है, इसलिए आर्थिक अपराध शाखा को इसकी रिपोर्ट सौंपी जानी चाहिए.

भोपाल। प्रदेश में इस समय सियासी मुद्दे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. आयकर विभाग की कार्रवाई और ई-टेंडरिंग में FIR दर्ज होने के बाद अब माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता व जनसंचार विश्वविद्यालय भी सुर्खियों में आ गया है. अनियमितताओं को लेकर माखनलाल यूनिवर्सिटी में भी जांच कराए जाने की तैयारी है.


बीजेपी सरकार के समय विश्वविद्यालय में की गई नियुक्तियों को लेकर बारीकी से जांच की जाएगी. नियुक्तियों में हुई गड़बड़ी को लेकर आर्थिक अपराध शाखा को जांच सौंप दी गई है. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार दीपेंद्र सिंह बघेल ने आर्थिक अपराध शाखा को पत्र लिखा है, जिसमें पूर्व कुलपति बृज किशोर कुठियाला के कार्यकाल के दौरान नियुक्तियों में हुई गड़बड़ियों को लेकर पूर्व वीसी और नियम विरुद्ध तरीके से भर्ती हुए लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए कहा गया है.


विश्वविद्यालय पर आरोप लगाया गया है कि एमसीयू में एक खास विचारधारा से जुड़े लोगों को उपकृत करने के लिए पिछले कुछ सालों के दौरान कई तरह की गड़बड़ियां की गई हैं. प्रदेश में कांग्रेस सरकार के आने के बाद इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई थी. इस कमेटी ने आर्थिक अपराध शाखा से कार्रवाई की सिफारिश की है. विश्वविद्यालय में अकादमिक कार्यों के नाम पर भी करोड़ों रूपए का फर्जीवाड़ा किया गया है. यह तथ्य विश्वविद्यालय की जांच करने के लिए गठित की गई समिति की रिपोर्ट में सामने आई थी. मामले में समिति ने अनुशंसा की थी कि यह मामला आर्थिक अनियमितताओं से जुड़ा है, इसलिए आर्थिक अपराध शाखा को इसकी रिपोर्ट सौंपी जानी चाहिए.

Intro:माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों की भी होगी अब जांच

भोपाल | मध्य प्रदेश में इस समय सियासत लगातार हो रही अलग अलग जांच की वजह से गरमाई हुई है सबसे पहले आयकर के छापे उसके बाद आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के द्वारा ई- टेंडरिंग मामले में मामला दर्ज करना और अब माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय ( एमसीयू ) भी जांच के दायरे में आ गया है अब इस विश्वविद्यालय में बीजेपी सरकार के समय की गई नियुक्तियों की बारीकी से जांच की जाएगी .

नियुक्तियों में हुई गड़बड़ी को लेकर आर्थिक अपराध शाखा को जांच सौंप दी गई है विश्व विद्यालय के रजिस्ट्रार दीपेंद्र सिंह बघेल ने आर्थिक अपराध शाखा को पत्र लिखकर पूर्व कुलपति बीके कुठियाला के कार्यकाल के दौरान की गई नियुक्तियों में हुई गड़बड़ी को लेकर कुठियाला और नियम विरुद्ध तरीके से भर्ती हुए लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए भी कहा गया है .


Body:इससे विश्वविद्यालय पर आरोप लगाया गया है कि एमसीयू में एक खास विचारधारा से जुड़े लोगों को उपकृत करने के लिए पिछले कुछ वर्षों के दौरान कई तरह की गड़बड़ी की गई है मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार के आने के बाद इनकी जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई थी इस कमेटी ने आर्थिक अपराध शाखा से कार्यवाही की सिफारिश की है विश्वविद्यालय में अकादमिक कार्यों के नाम पर भी करोड़ों रूपए का फर्जीवाड़ा किया गया है यह तथ्य विश्वविद्यालय की जांच करने के लिए गठित की गई समिति की रिपोर्ट में सामने आई थी इस पूरे मामले में समिति ने अनुशंसा की थी कि यह मामला आर्थिक अनियमितताओं से जुड़ा होने के कारण आर्थिक अपराध शाखा को सौंपा जाए इसीलिए कमेटी की जांच रिपोर्ट भी पत्र के साथ सलंग्न की गई है .





Conclusion:बता दें कि विश्वविद्यालय में जिन लोगों को प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरियां दी गई उनके एपीआई ( एक्रिडिएटेड़ परफॉर्मेंस इंडेक्स ) की जांच ही नहीं की गई थी वही इसी तरह का एक मामला राकेश सिन्हा का भी सामने आया था जिसमें उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में डिग्री ली है विश्वविद्यालय में एक भी दिन कक्षाएं नहीं ली गई लेकिन 5 माह का वेतन उन्हें दिया गया इसी तरह विश्वविद्यालय में भाषाई पत्रकारिता में रिसर्च के नाम पर एक करोड़ 7 लाख रुपए खर्च कर दिए गए थे वही 6. 86 लाख का भुगतान ज्ञान संगम कार्यक्रम के नाम पर खर्च कर दिया गया था बात यहीं खत्म हो जाती तो कुछ और था लेकिन इसमें एक और चीज भी निकल कर सामने आई थी जिसमें बताया गया था कि इंडिया इंटरनेशनल संस्था में शराब का 16 सौ रुपए काबिल का भुगतान भी पूर्व कुलपति बीके कुठियाला के नाम पर हुआ था .

अब विश्व विद्यालय के रजिस्ट्रार के द्वारा आर्थिक अपराध शाखा को विश्व विद्यालय में हुई नियुक्ति में गड़बड़ी को लेकर मामला दर्ज करने के लिए कहा गया है यदि मामला दर्ज होता है तो निश्चित रूप से इस जांच की गाज कई बड़े लोगों पर गिरेगी .
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