भोपाल। कहते हैं कि एजुकेशन के बिना कुछ नहीं हो पाता है. इंसान को एजुकेटेड होना जरूरी है. लेकिन अब ऐसा लगता है कि इस परिभाषा को इमरती देवी कहीं न कहीं गलत साबित कर रही हैं. वह सियासत की हर पटरी पर खुद को तैयार रखती हैं. कहां किसे कैसे जवाब देना है. ऐसा लगता है सब कुछ उन्हें पहले से पता होता है. जिस बयान को कमलनाथ बहुत सामान्य मानकर दिए थे. आज वही बयान कमलनाथ समेत पूरी कांग्रेस को कटघरे पर लाकर खड़ा कर दिया है. कमलनाथ के विवादित बोल के चर्चे डबरा से लेकर पूरे देश में गूंज रहे हैं. और बीजेपी इसी बयान को अपना हथियार बनाकर बैठी हुई है.
हर सभा में इमरती के चर्चे
मध्यप्रदेश के सियासी समर में इमरती देवी अब सूबे की सियासत का केंद्र बन गई हैं. चुनावी सभाओं में कोई भी सभा ऐसी नहीं है जो इमरती देवी के चर्चा के बिना पूरी हो जाती हो. चाहे फिर वो बीजेपी की सभा हो या फिर कांग्रेस की सभा हो. आखिर कौन सा हुनर है इमरती देवी में जिसके चलते इस उपचुनाव में हर तरफ इमरती-इमरती हो रहा है. उनकी शिक्षा स्तर पर भी कई बार सवाल उठ चुका है. लेकिन वह अपने कुशल अभिनय का उपयोग करते हुए समय के अनुसार राजनीति की हवा मोड़ देने में महारत हासिल की हैं.
जनता में अच्छा संदेश नहीं...
वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी का कहना है कि इमरती देवी 4 बार की विधायक और मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं उनकी शिक्षा को लेकर भाजपा ने ही पिछले साल जनवरी में सवाल उठाए थे. लेकिन चुनाव के समय पर नेताओं का इस तरह का आचरण जनता में बहुत अच्छा संदेश नहीं देता है. जनता इस तरह के आचरण को विदूषकों जैसा आचरण मानने लगती है. यह लोग अभिनय ज्यादा करने लगते हैं. इनके लिए असली मुद्दों से कोई लेना देना नहीं है. भावनाओं को भड़का कर राजनीति की जो शैली है वह लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं है.
'जैसी जनता, वैसी सरकार'
वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी के मुताबिक भारत में इस तरह की राजनीति से मुक्ति के लिए अभी 25-30 साल और लगेंगे. क्योंकि जनता भावनाओं की राजनीति करने वाले नेताओं को रिजेक्ट नहीं करेगी. तब तक ऐसे उम्मीदवार और जनप्रतिनिधि जनता के लिए मिलते रहेंगे. एक कहावत है कि" लोगों को वहीं सरकार मिलती है जिसके वह लायक होते हैं.लेकिन भारत के लोकतंत्र को परिपक्व होने की प्रक्रिया 50-60 साल से चल रही है,और अभी कुछ दिन और लगेगा.
कमलनाथ को इमरती का पलटवार
अब इमरती देवी अपनी सभी चुनावी सभाओं में कमलनाथ को खलनायक साबित करने में लगी हुई हैं. गुरूवार को मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा है कि 'बंगाल का रहने वाला व्यक्ति अपनी मां और बहन से ऐसे बोल सकता है तो महिला की कद्र क्या करेगा. साथ ही कहा कि उन्होंने चंबल की एक महिला का अपमान किया है. और एक महिला को 'आइटम' बोला है. अगर वह एक महिला से आइटम बोल रहे हैं तो उनकी मां बहन और पत्नी भी आइटम होगीं'.
कमलनाथ 'नायक या खलनायक'
इमरती देवी उपचुनाव में सियासत का ऐसा किरदार बन चुकी हैं, जो अपने नाम के अनुरूप ही उलझी हुई हैं. इमरती देवी को समझने में कमलनाथ ने बड़ी चूक की तो एक झटके में इमतरी देवी ने कमलनाथ को सियासत का सबसे बड़ा खलनायक बना दिया. वैसे तो इमरती देवी अपने अभिनय को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहती हैं, फिर चाहे सिंधिया के एक इशारे पर कुएं में कूदने का दावा हो या ज्योतिरादित्य सिंधिया से लिपट रोने की राजनीति. हर किरदार में उन्होंने जबरदस्त अभिनय किया है.
कभी डांस तो कभी इमोशन
ऐसा नहीं है कि इमरती देवी सिर्फ जुबान से ही अभिनय करने में माहिर हैं, बल्कि डांस में भी उनका अभिनय बेजोड़ है. जब मंत्री अपने एक रिश्तेदार के यहां नानी बनने की खुशी में फिल्मी गाने की धुन पर डांस करना शुरू कीं तो वहां मौजूद लोग दांतों तले उंगली दबा ली थी. लिहाजा अब ये कहना लाजमी है कि मध्यप्रदेश के सियासी समर में हर तरफ इमरती-इमरती की चर्चा हो रही है. सत्ता किसके हाथ में जाएगी ये तो पता नहीं, लेकिन इमरती देवी इस चुनावी सफर में कमलनाथ को विलेन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं.