भोपाल। लॉकडाउन के बाद शुरू हुई बस सेवाओं पर एक बार फिर ब्रेक लग सकते हैं. सरकार से आर-पार की लड़ाई के बाद शुरू हुआ बसों का संचालन पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के चलते एक बार फिर खतरे में हैं. ऑपरेटर एक बार फिर बसों को बंद करने की रणनीति बना रहे हैं.पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल के चलते उन्हें भारी नुकसान हो रहा है.
घाटे में बस ऑपरेटर्स
बस ऑपरेटरों का कहना है कि लॉकडाउन में बस ऑपरेटरों की आर्थिक स्थिति पहले ही डगमगा चुकी है.कोरोना गाइडलाइन के साथ बसें चलाना घाटे का सौदा है. कोरोना के चलते यात्री बस में नहीं बैठ रहे हैं. ऐसे में बस ऑपरेटरों को प्रतिदिन नुकसान ही उठाना पड़ रहा है. अब ऊपर से डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. इससे नुकसान लगातार बढ़ता ही जा रहा है.
लोकल बसों को सबसे ज्यादा नुकसान
स्थानीय व छोटे बस संचालकों का कहना है कि बड़े ऑपरेटर्स जो इंटर स्टेट बस चला रहे हैं, उन लोगों तो जैसे-तैसे यात्री मिल जाते हैं. लेकिन लोकल बस संचालकों को भारी नुकसान हो रहा है. यात्री बसों में सवार नहीं हो रहे हैं.ज्यादातर लोकल बसों का उपयोग स्कूल व कॉलेज में किया जाता है. लेकिन शैक्षणिक संस्थान बंद होने से ये काम भी ठप्प पड़ा हुआ है. इस तरह से हर तरफ से बस ऑपरेटर्स को घाटा ही हो रहा है.
डीजल-पेट्रोल के दाम कम नहीं हुए तो होगी हड़ताल
बस ऑपरेटरों की मांग है कि सरकार पेट्रोल-डीजल के दामो में राहत दे. ऐसा नहीं होने पर प्रदेश के बस ऑपरेटर एकजुट होकर हड़ताल करेंगे. इसकी जिम्मेदारी मध्यप्रदेश सरकार की होगी.
आसमान छू रहे डीजल-पेट्रोल के दाम
बता दे राजधानी में पेट्रोल 91.52 प्रति लीटर है, जबकि डीजल 81.73 रुपये प्रतिलीटर है. पिछले दिनों से दामों में लगातार उछाल देखा जा रहा है. जिसके चलते बस संचालकों से लेकर शहर के ऑटो व टैक्सी चालक भी नाराज हैं.
पहले भी आमने-सामने आ चुके हैं बस ऑपरेटर्स और सरकार
कोरोना संक्रमण के चलते देश में अचानक लगे लॉकडाउन के बाद राजधानी में बस का संचालन 3 माह तक पूरी तरह से बंद रहा. 3 माह बाद सरकार के इजाजत देने के बावजूद बस संचालकों ने बसें सड़कों पर नहीं उतारीं. बस संचालकों की मांग थी कि सरकार 3 माह का टैक्स माफ करे. सरकार ने बस संचालकों से बात की और 3 माह का टैक्स माफ कर दिया गया. लेकिन अब डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामों के चलते बस ऑपरेटरों को भारी नुकसान हो रहा है. लिहाजा अब वे हड़ताल करने की रणनीति बना रहे हैं.