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पहल या फरमान: DJ बजा तो निकाह नहीं पढ़वाएंगे काजी

शादी-विवाह के अवसर पर बजने वाले डीजे और पटाखों के इस्तेमाल पर उलेमाओं ने नया फरमान जारी किया है. हालांकि इसको लेकर उनका कहना है कि ये फिजूलखर्ची को रोकने के लिए किया गया है.

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Published : Feb 26, 2021, 9:53 AM IST

Updated : Feb 26, 2021, 10:10 AM IST

भोपाल। उलेमाओं ने शादी-ब्याह में बजने वाले डीजे और डांस को लेकर अनोखा फरमान जारी किया है. उलेमाओं ने खुले शब्दों में कहा है कि जिस शादी में नाच-गाना, बैंड-बाजा, डीजे और पटाखों को इस्तेमाल होगा वहां काजी निकाह नहीं पढ़वाएंगे. यह फैसला शहर के काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी की अध्यक्षता में शामिल हुए उलेमाओं की एक बड़ी बैठक में लिया गया. जिसे लेकर सभी मस्जिदों और सभी मुस्लिम समाज के धर्मलंबियों को जानकारी दी गई है.

Kazi will not teach Nikah
निकाह नहीं पढ़वाएंगे काजी

नाच-गाना शरीयत और महज़ब के खिलाफ

उलेमाओं ने कहा कि ऐसे आयोजनों को वह शरीयत और मजहबी हिदायत के खिलाफ मानते हैं. इस संबंध में पिछले 3 साल से शहर काजी सहित समिति उलेमा मस्जिदों में अपनी तकरीरों में बंद को समझाइश देने का काम कर रहे थे, लेकिन अपेक्षित परिणाम दिखाई नहीं देने पर मसाजिद कमेटी के दफ्तर में बैठक कर आदेश निकाल दिए हैं.

फरमान
फरमान

कमलनाथ सरकार का नया फरमान, शादी के पहले 'सेल्फी WITH टॉयलेट'

फिजूलखर्ची रोकने के लिए लिया गया फैसला

जिन शादियों में फिजूलखर्ची नजर आए, उन में शिरकत ना करें. इस संबंध में मस्जिदों सभी बंधुओं को पुनः हिदायत दी जाएगी. मुस्लिम समाज में शादी विवाह के आयोजन में अब सादगी के बदले भव्य रूप से शहर काजी समेत अन्य उलेमा खफा है. निकाह के लिए बड़ी मात्रा में मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा खर्च किया जाता है, जो कि इस्लाम के विरोध में है. सैयद मुश्ताक अली नदवी का कहना है कि इस्लाम सादगी पसंद मजहब है. पैगंबर और कुरान का भी यही संदेश है. शादियों में फिजूलखर्ची से गुरबत में गिरा बंदा हीन भावना का शिकार होता है. इस वजह से उलेमाओं ने आम राय से तय किया है कि ऐसे आयोजन हम लोग निकाह नहीं पढ़ाएंगे.

Token photo
सांकेतिक फोटो

भोपाल। उलेमाओं ने शादी-ब्याह में बजने वाले डीजे और डांस को लेकर अनोखा फरमान जारी किया है. उलेमाओं ने खुले शब्दों में कहा है कि जिस शादी में नाच-गाना, बैंड-बाजा, डीजे और पटाखों को इस्तेमाल होगा वहां काजी निकाह नहीं पढ़वाएंगे. यह फैसला शहर के काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी की अध्यक्षता में शामिल हुए उलेमाओं की एक बड़ी बैठक में लिया गया. जिसे लेकर सभी मस्जिदों और सभी मुस्लिम समाज के धर्मलंबियों को जानकारी दी गई है.

Kazi will not teach Nikah
निकाह नहीं पढ़वाएंगे काजी

नाच-गाना शरीयत और महज़ब के खिलाफ

उलेमाओं ने कहा कि ऐसे आयोजनों को वह शरीयत और मजहबी हिदायत के खिलाफ मानते हैं. इस संबंध में पिछले 3 साल से शहर काजी सहित समिति उलेमा मस्जिदों में अपनी तकरीरों में बंद को समझाइश देने का काम कर रहे थे, लेकिन अपेक्षित परिणाम दिखाई नहीं देने पर मसाजिद कमेटी के दफ्तर में बैठक कर आदेश निकाल दिए हैं.

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फिजूलखर्ची रोकने के लिए लिया गया फैसला

जिन शादियों में फिजूलखर्ची नजर आए, उन में शिरकत ना करें. इस संबंध में मस्जिदों सभी बंधुओं को पुनः हिदायत दी जाएगी. मुस्लिम समाज में शादी विवाह के आयोजन में अब सादगी के बदले भव्य रूप से शहर काजी समेत अन्य उलेमा खफा है. निकाह के लिए बड़ी मात्रा में मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा खर्च किया जाता है, जो कि इस्लाम के विरोध में है. सैयद मुश्ताक अली नदवी का कहना है कि इस्लाम सादगी पसंद मजहब है. पैगंबर और कुरान का भी यही संदेश है. शादियों में फिजूलखर्ची से गुरबत में गिरा बंदा हीन भावना का शिकार होता है. इस वजह से उलेमाओं ने आम राय से तय किया है कि ऐसे आयोजन हम लोग निकाह नहीं पढ़ाएंगे.

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सांकेतिक फोटो
Last Updated : Feb 26, 2021, 10:10 AM IST
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