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इंसानी दिमाग में चिप ट्रांसफर करेगा पुरानी यादें, एलन मस्‍क की कंपनी इंस्टॉल करेगी चिप! जानिए किसे होगा फायदा - elon musk implant microchip human brain

एलन मस्‍क की कंपनी ब्रेन-चिप रिसर्च पर जोर शोर से जुटी है. न्‍यूरालिंक जल्‍द ही (chip in human brain) इंसानी दिमाग पर परीक्षण शुरू करने की तैयारी कर रहा है. मस्क ने दावा किया है कि छोटी सी ब्रेन चिप इंसान की जिंदगी में कई तरह के बदलाव लेकर आएगी.

Elon Musk Neuralink
इंसानों में लगेगी ब्रेन चिप
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Published : Jan 21, 2022, 7:44 PM IST

भोपाल। दुनिया के सबसे अमीर इंसान एलन मस्‍क का ब्रेन-चिप रिसर्च वाला स्‍टार्टअप (chip in human brain) न्‍यूरालिंक जल्‍द ही इंसानी परीक्षण शुरू करने की तैयारी कर रहा है. इस चिप की मदद से पैरालसिस से पीड़ित इंसान अपने दिमाग से उंगलियों से ज्‍यादा तेज गति से स्‍मार्टफोन चला सकेगा. न्यूरालिंक इससे पहले सूअर और बंदर पर इस चिप को आजमा चुका है. 9 साल के बंदर में चिप लगाई गई थी जिससे वो केवल माइंड से वीडियो गेम खेल पा रहा था.

2016 में शुरू किया था स्टार्टअप

एलन मस्क ने इस स्टार्टअप को 2016 में सैन फ्रांसिस्को बे एरिया में शुरू किया था. इसके जरिए अल्जाइमर, डिमेंशिया और रीढ़ की हड्डी की चोटों जैसे न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का इलाज करने में मदद करने के लिए मानव मस्तिष्क में एक कंप्यूटर इंटरफेस को प्रत्यारोपित करने का लक्ष्य है. ये स्टार्टअप टेक्नोलॉजी का यूज करके ह्यूमन-AI सिम्बायोसिस बनाने की कोशिश कर रही है. पिछले महीने एलन मस्‍क ने कहा था कि ह्यूमन पर इसका अर्ली ट्रायल 2022 में शुरू होगा. मस्‍क का कहना है, इसके जरिए हमारे पास किसी ऐसे व्यक्ति को ताकत देने का मौका है, जो चल नहीं सकता है या फिर अपने हाथों से काम नहीं कर सकता है.

हेल्थ मिनिस्ट्री की नई गाइडलाइन, पांच साल तक के बच्चों के लिए मास्क जरूरी नहीं

सिक्के के साइज का है डिवाइज

मस्क ने क्लिनिकल ट्रायल डायरेक्टर की भर्ती निकाली है. इसमें वैसे कैंडिडेट की ज्वाइनिंग की जा रही है जो जो मिशन को समझते हों और आगे के प्रयोग के लिए इच्छुक और उत्सुक हैं. कैंडिडेट इनोवेटिव डॉक्टर्स और टॉप इंजीनियर्स के साथ काम करेंगे. इसके अलावा न्यूरालिंक के पहले क्लिनिकल ट्रायल पार्टिसिपेंट के तौर पर काम करने का भी मौका मिलेगा. वहीं एलन मस्क का कहना है कि न्यूरालिंक डिवाइस सिक्के के आकार का है जिसे स्कल या खोपड़ी में लगाया जा सकता है. होगा. केवल एक डिवाइज लगाकर ब्रेन और स्पाइन की समस्या को आसानी से हल किया जा सकता है. एलन मस्क ने बताया कि भविष्य में आप मेमोरी को सेव या रिप्ले कर सकते हैं. साथ ही नई बॉडी या रोबोट बॉडी में भी डाउनलोड किया जा सकता है. यह प्रयोग कितना असरदार होगा, यह इंसान के ट्रायल के बाद पता चलेगा.

भोपाल। दुनिया के सबसे अमीर इंसान एलन मस्‍क का ब्रेन-चिप रिसर्च वाला स्‍टार्टअप (chip in human brain) न्‍यूरालिंक जल्‍द ही इंसानी परीक्षण शुरू करने की तैयारी कर रहा है. इस चिप की मदद से पैरालसिस से पीड़ित इंसान अपने दिमाग से उंगलियों से ज्‍यादा तेज गति से स्‍मार्टफोन चला सकेगा. न्यूरालिंक इससे पहले सूअर और बंदर पर इस चिप को आजमा चुका है. 9 साल के बंदर में चिप लगाई गई थी जिससे वो केवल माइंड से वीडियो गेम खेल पा रहा था.

2016 में शुरू किया था स्टार्टअप

एलन मस्क ने इस स्टार्टअप को 2016 में सैन फ्रांसिस्को बे एरिया में शुरू किया था. इसके जरिए अल्जाइमर, डिमेंशिया और रीढ़ की हड्डी की चोटों जैसे न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का इलाज करने में मदद करने के लिए मानव मस्तिष्क में एक कंप्यूटर इंटरफेस को प्रत्यारोपित करने का लक्ष्य है. ये स्टार्टअप टेक्नोलॉजी का यूज करके ह्यूमन-AI सिम्बायोसिस बनाने की कोशिश कर रही है. पिछले महीने एलन मस्‍क ने कहा था कि ह्यूमन पर इसका अर्ली ट्रायल 2022 में शुरू होगा. मस्‍क का कहना है, इसके जरिए हमारे पास किसी ऐसे व्यक्ति को ताकत देने का मौका है, जो चल नहीं सकता है या फिर अपने हाथों से काम नहीं कर सकता है.

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सिक्के के साइज का है डिवाइज

मस्क ने क्लिनिकल ट्रायल डायरेक्टर की भर्ती निकाली है. इसमें वैसे कैंडिडेट की ज्वाइनिंग की जा रही है जो जो मिशन को समझते हों और आगे के प्रयोग के लिए इच्छुक और उत्सुक हैं. कैंडिडेट इनोवेटिव डॉक्टर्स और टॉप इंजीनियर्स के साथ काम करेंगे. इसके अलावा न्यूरालिंक के पहले क्लिनिकल ट्रायल पार्टिसिपेंट के तौर पर काम करने का भी मौका मिलेगा. वहीं एलन मस्क का कहना है कि न्यूरालिंक डिवाइस सिक्के के आकार का है जिसे स्कल या खोपड़ी में लगाया जा सकता है. होगा. केवल एक डिवाइज लगाकर ब्रेन और स्पाइन की समस्या को आसानी से हल किया जा सकता है. एलन मस्क ने बताया कि भविष्य में आप मेमोरी को सेव या रिप्ले कर सकते हैं. साथ ही नई बॉडी या रोबोट बॉडी में भी डाउनलोड किया जा सकता है. यह प्रयोग कितना असरदार होगा, यह इंसान के ट्रायल के बाद पता चलेगा.

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