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लॉकडाउन में शैक्षणिक संस्थान बंद होने से हॉस्टल सुनसान, संचालक भी परेशान - एमपी हॉस्टल व्यवसाय ठप

कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन की वजह से हॉस्टल व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया है. लॉकडाउन के पहले महीने में ही बच्चे हॉस्टल छोड़कर अपने घरों की ओर चले गए और लॉकडाउन की अवधि बढ़ती चली गई. अब अनलॉक के बावजूद भी व्यापार ठप ही नजर आ रहा है.

bhopal
हॉस्टल्स हुए सुनसान
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Published : Aug 9, 2020, 2:15 PM IST

भोपाल। लॉकडाउन के चलते जहां शैक्षणिक संस्थान बंद थे, वहीं इन संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चे जो हॉस्टल या रूम में रहते थे, उनके नहीं रहने से हॉस्टल अब वीरान हो गए हैं. लॉकडाउन के पहले महीने में ही बच्चे हॉस्टल छोड़कर अपने घरों की ओर चले गए और लॉकडाउन की अवधि बढ़ती चली गई.

हॉस्टल्स हुए सुनसान

अब अनलॉक की प्रक्रिया तो जारी है, लेकिन शैक्षणिक संस्थानों को इसमें छूट नहीं है और शैक्षणिक संस्थान अब कब खुलेंगे इसका भी कोई निश्चित समय नहीं है. ऐसे में हॉस्टल के मालिक घबराने लगे हैं, जिनके पास किराए की बिल्डिंग है.

उन्हें इस लॉकडाउन से दोहरी मार पड़ी है. वहीं जो खुद की बिल्डिंग में हॉस्टल संचालित करते हैं, उन्हें भी लॉकडाउन का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. वहीं जो छात्र कॉलेज में पढ़ते हैं, वो अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और इसी कन्फ्यूजन में हॉस्टल में रह रहे हैं कि आज नहीं तो कल कॉलेज खुलेंगे, परीक्षाएं होंगी. शासन द्वारा अब तक फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षाओं के लिए कोई गाइडलाइन तय नहीं की गई है.

भोपाल में बंद हुए कई हॉस्टल

भोपाल में लगभग 1000 प्राइवेट हॉस्टल हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण कई हॉस्टल बंद हो चुके हैं, क्योंकि हॉस्टल मालिकों के पास किराया, बिजली का बिल देने के लिए इनकम नहीं बची है, क्योंकि बच्चों के न होने की वजह से फीस नहीं मिल रही है और न ही कोई नए एडमिशन आ रहे हैं.

हॉस्टल मालिकों की आर्थिक स्थिति खराब-

अब लॉकडाउन को 5 माह से ज्यादा हो चुका है. हॉस्टल मालिकों को आस है कि शायद शैक्षणिक संस्थान खुलेंगे और सामान्य दिनों की तरह हॉस्टल का व्यवसाय शुरू हो जाएगा, लेकिन जिस तरह से कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में ये उम्मीद की जानी बेकार है कि जल्द ही शैक्षणिक संस्थान खुलेंगे. लोगों मे संक्रमण का डर बना हुआ है, ऐसे में हॉस्टल मालिकों को भी चिंता है कि आखिर कैसे स्थिति सामान्य होगी. अब तो हॉस्टल मालिकों ने भी स्वीकार कर लिया है कि ये पूरा साल ऐसे ही बिताना है.

हॉस्टल व्यवसाय पूरी तरह ठप

राजधानी में अपना निजी हॉस्टल चलाने वाले मसूद अहमद का कहना है कि हॉस्टल का व्यवसाय पूरी तरह ठप हो चुका है. ऐसा कभी नहीं हुआ जब हॉस्टल में पिछले 5 माह से केवल 2 छात्राएं रह रही हैं. वो भी मजबूरी में और एडमिशन एक भी नहीं आए.

कई बच्चों ने हॉस्टल से सामान खाली कर दिया है. तो कुछ बच्चों का सामान तो हॉस्टल में है, लेकिन वो फीस नहीं देना चाहते, क्योंकि वो हॉस्टल में नहीं हैं. ऐसी स्थिति में छात्रों को फीस के लिए दबाव भी नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि कोरोना काल में हर कोई परेशान है, मसूद अहमद का कहना है कि सरकार को इस समस्या से छात्रों और हॉस्टल मालिकों को निकालने के लिए कोई ऐसी रणनीति बनानी चाहिए, जिसके तहत सरकार हॉस्टल में रहने वाले छात्रों की आर्थिक मदद करें और छात्र हॉस्टल में 50% फीस ही भर सकें. जिससे हॉस्टल मालिकों को भी घाटा न हो और छात्रों पर भी भार न पड़े.

स्थिति सामान्य होने के बाद हॉस्टल में होगी विशेष व्यवस्थाएं-

राजधानी के हॉस्टलों में अब केवल 2-3 छात्राएं ही रह रही हैं, वो भी जिनकी परीक्षाएं हैं या फिर जो जॉब करती हैं. ना जाने कब स्कूल-कॉलेज खुलेंगे और कब इन छात्रावासों में रौनक लौटेगी. हालांकि हॉस्टल मालिक मसूद अहमद का कहना है कि जब भी दोबारा छात्राएं हॉस्टल में आएंगी तो उनके लिए सुरक्षा के इंतजाम किए जाएंगे.

जिस रूम में 3 बेड हैं, उनमें 2 बेड रखे जाएंगे. इससे नुकसान तो होगा, लेकिन जिस तरह की परिस्थिति अभी है, इसको देखकर लगता है कि अब उतने बच्चे हॉस्टल में नहीं आएंगे जितने की सामान्य दिनों में थे. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जाएगा और सुरक्षा इंतजामों के साथ दोबारा छात्रावास शुरू किए जाएंगे.

भोपाल। लॉकडाउन के चलते जहां शैक्षणिक संस्थान बंद थे, वहीं इन संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चे जो हॉस्टल या रूम में रहते थे, उनके नहीं रहने से हॉस्टल अब वीरान हो गए हैं. लॉकडाउन के पहले महीने में ही बच्चे हॉस्टल छोड़कर अपने घरों की ओर चले गए और लॉकडाउन की अवधि बढ़ती चली गई.

हॉस्टल्स हुए सुनसान

अब अनलॉक की प्रक्रिया तो जारी है, लेकिन शैक्षणिक संस्थानों को इसमें छूट नहीं है और शैक्षणिक संस्थान अब कब खुलेंगे इसका भी कोई निश्चित समय नहीं है. ऐसे में हॉस्टल के मालिक घबराने लगे हैं, जिनके पास किराए की बिल्डिंग है.

उन्हें इस लॉकडाउन से दोहरी मार पड़ी है. वहीं जो खुद की बिल्डिंग में हॉस्टल संचालित करते हैं, उन्हें भी लॉकडाउन का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. वहीं जो छात्र कॉलेज में पढ़ते हैं, वो अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और इसी कन्फ्यूजन में हॉस्टल में रह रहे हैं कि आज नहीं तो कल कॉलेज खुलेंगे, परीक्षाएं होंगी. शासन द्वारा अब तक फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षाओं के लिए कोई गाइडलाइन तय नहीं की गई है.

भोपाल में बंद हुए कई हॉस्टल

भोपाल में लगभग 1000 प्राइवेट हॉस्टल हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण कई हॉस्टल बंद हो चुके हैं, क्योंकि हॉस्टल मालिकों के पास किराया, बिजली का बिल देने के लिए इनकम नहीं बची है, क्योंकि बच्चों के न होने की वजह से फीस नहीं मिल रही है और न ही कोई नए एडमिशन आ रहे हैं.

हॉस्टल मालिकों की आर्थिक स्थिति खराब-

अब लॉकडाउन को 5 माह से ज्यादा हो चुका है. हॉस्टल मालिकों को आस है कि शायद शैक्षणिक संस्थान खुलेंगे और सामान्य दिनों की तरह हॉस्टल का व्यवसाय शुरू हो जाएगा, लेकिन जिस तरह से कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में ये उम्मीद की जानी बेकार है कि जल्द ही शैक्षणिक संस्थान खुलेंगे. लोगों मे संक्रमण का डर बना हुआ है, ऐसे में हॉस्टल मालिकों को भी चिंता है कि आखिर कैसे स्थिति सामान्य होगी. अब तो हॉस्टल मालिकों ने भी स्वीकार कर लिया है कि ये पूरा साल ऐसे ही बिताना है.

हॉस्टल व्यवसाय पूरी तरह ठप

राजधानी में अपना निजी हॉस्टल चलाने वाले मसूद अहमद का कहना है कि हॉस्टल का व्यवसाय पूरी तरह ठप हो चुका है. ऐसा कभी नहीं हुआ जब हॉस्टल में पिछले 5 माह से केवल 2 छात्राएं रह रही हैं. वो भी मजबूरी में और एडमिशन एक भी नहीं आए.

कई बच्चों ने हॉस्टल से सामान खाली कर दिया है. तो कुछ बच्चों का सामान तो हॉस्टल में है, लेकिन वो फीस नहीं देना चाहते, क्योंकि वो हॉस्टल में नहीं हैं. ऐसी स्थिति में छात्रों को फीस के लिए दबाव भी नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि कोरोना काल में हर कोई परेशान है, मसूद अहमद का कहना है कि सरकार को इस समस्या से छात्रों और हॉस्टल मालिकों को निकालने के लिए कोई ऐसी रणनीति बनानी चाहिए, जिसके तहत सरकार हॉस्टल में रहने वाले छात्रों की आर्थिक मदद करें और छात्र हॉस्टल में 50% फीस ही भर सकें. जिससे हॉस्टल मालिकों को भी घाटा न हो और छात्रों पर भी भार न पड़े.

स्थिति सामान्य होने के बाद हॉस्टल में होगी विशेष व्यवस्थाएं-

राजधानी के हॉस्टलों में अब केवल 2-3 छात्राएं ही रह रही हैं, वो भी जिनकी परीक्षाएं हैं या फिर जो जॉब करती हैं. ना जाने कब स्कूल-कॉलेज खुलेंगे और कब इन छात्रावासों में रौनक लौटेगी. हालांकि हॉस्टल मालिक मसूद अहमद का कहना है कि जब भी दोबारा छात्राएं हॉस्टल में आएंगी तो उनके लिए सुरक्षा के इंतजाम किए जाएंगे.

जिस रूम में 3 बेड हैं, उनमें 2 बेड रखे जाएंगे. इससे नुकसान तो होगा, लेकिन जिस तरह की परिस्थिति अभी है, इसको देखकर लगता है कि अब उतने बच्चे हॉस्टल में नहीं आएंगे जितने की सामान्य दिनों में थे. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जाएगा और सुरक्षा इंतजामों के साथ दोबारा छात्रावास शुरू किए जाएंगे.

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