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गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा बोले - 2022 के परिसीमन के आधार पर पंचायत चुनाव कराने की तैयारी में सरकार

गृह मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि 2022 के परिसीमन के आधार पर पंचायत चुनाव सम्पन्न हों, जिसकी तैयारी राज्य सरकार ने की है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने मॉडिफिकेशन याचिका के तहत अतिरिक्त समय देने के लिए मांग की है. याचिका पर सुनवाई 17 मई को होना है. (Home Minister Narottam Mishra statement) (elections on basis of delimitation of 2022) (Modification petition in Supreme Court) (Hearing of petition held on May 17)

Home Minister Narottam Mishra statement
2022 के परिसीमन के आधार पर पंचायत चुनाव
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Published : May 13, 2022, 7:51 PM IST

भोपाल। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने ओबीसी आरक्षण में फंसे पेंच के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि आरक्षण मामले में कांग्रेस ने पूरी तरह से पेंच फंसाया है. जब सरकार ने चुनाव का ऐलान किया तब कांग्रेस के लोग रणछोड़दास बनकर कोर्ट चली गई. उन्होंने कहा कि अगर हरे पेड़ पर कांग्रेस लिख दिया जाए तो वह पेड़ पांच महीने में सूख जाएगा. बीजेपी ने तीन पिछड़े व्यक्तियों को सीएम बनाया है. मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने एक भी पिछड़े व्यक्ति को सीएम नहीं बनाया और नेता प्रतिपक्ष भी नहीं बनाया.

2022 के परिसीमन के आधार पर पंचायत चुनाव

बीजेपी कभी पिछड़ो की विरोधी नहीं रही : गृह मंत्री ने कहा कि बीजेपी ने हमेशा पिछड़े वर्ग को मुख्यधारा में जोड़ने का काम किया है. बीजेपी हमेशा ओबीसी के आरक्षण के पक्ष में रही है. पिछड़े वर्ग द्वारा 21 मई को प्रदेश बंद कराने पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश को बंद कराने की तैयारी कर रही है. सरकार पूरी ताकत लगा रही है कि ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव न हों. मुख्यमंत्री बिना देर किए दिल्ली गए और वरिष्ठ वकीलों के साथ मॉडीफिकेशन याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी. इसकी सुनवाई 17 मई को होना है.

नगरीय निकाय चुनाव 16 जून के बाद संभव : इधर, राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों की मानें तो नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के चुनाव 16 जून के बाद हो सकते हैं, जबकि पंचायतों में जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर सरपंच पद तक का आरक्षण होना है. इसमें एक से दो महीने का समय लग सकता है. नए अधिनियम में संशोधन के मुताबिक मध्यप्रदेश में महापौर का चुनाव डायरेक्ट नहीं होगा, बल्कि पार्षद चुनेंगे. प्रदेश के 16 नगर निगमों समेत नगर पालिकाओं व परिषदों में 6 हजार से ज्यादा पार्षद उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे.

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ये है गणित : नगर निगमों में 3,813, नगर पालिकाओं में 1706 व नगर परिषदों में 882 परिषदों में पार्षद चुने जाएंगे. राज्य सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को नगरीय निकायों के वार्डों का आरक्षण किया था. इसमें एससी-एसटी के अलावा ओबीसी के लिए सीटों का आरक्षण किया गया था. अब इन निकायों में चुनाव उसी आरक्षण के आधार पर होगा, लेकिन ओबीसी के लिए रिजर्व की गई सीटों को सामान्य घोषित कर दिया जाएगा. (Home Minister Narottam Mishra statement) (elections on basis of delimitation of 2022)

(Modification petition in Supreme Court) (Hearing of petition held on May 17)

भोपाल। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने ओबीसी आरक्षण में फंसे पेंच के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि आरक्षण मामले में कांग्रेस ने पूरी तरह से पेंच फंसाया है. जब सरकार ने चुनाव का ऐलान किया तब कांग्रेस के लोग रणछोड़दास बनकर कोर्ट चली गई. उन्होंने कहा कि अगर हरे पेड़ पर कांग्रेस लिख दिया जाए तो वह पेड़ पांच महीने में सूख जाएगा. बीजेपी ने तीन पिछड़े व्यक्तियों को सीएम बनाया है. मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने एक भी पिछड़े व्यक्ति को सीएम नहीं बनाया और नेता प्रतिपक्ष भी नहीं बनाया.

2022 के परिसीमन के आधार पर पंचायत चुनाव

बीजेपी कभी पिछड़ो की विरोधी नहीं रही : गृह मंत्री ने कहा कि बीजेपी ने हमेशा पिछड़े वर्ग को मुख्यधारा में जोड़ने का काम किया है. बीजेपी हमेशा ओबीसी के आरक्षण के पक्ष में रही है. पिछड़े वर्ग द्वारा 21 मई को प्रदेश बंद कराने पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश को बंद कराने की तैयारी कर रही है. सरकार पूरी ताकत लगा रही है कि ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव न हों. मुख्यमंत्री बिना देर किए दिल्ली गए और वरिष्ठ वकीलों के साथ मॉडीफिकेशन याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी. इसकी सुनवाई 17 मई को होना है.

नगरीय निकाय चुनाव 16 जून के बाद संभव : इधर, राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों की मानें तो नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के चुनाव 16 जून के बाद हो सकते हैं, जबकि पंचायतों में जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर सरपंच पद तक का आरक्षण होना है. इसमें एक से दो महीने का समय लग सकता है. नए अधिनियम में संशोधन के मुताबिक मध्यप्रदेश में महापौर का चुनाव डायरेक्ट नहीं होगा, बल्कि पार्षद चुनेंगे. प्रदेश के 16 नगर निगमों समेत नगर पालिकाओं व परिषदों में 6 हजार से ज्यादा पार्षद उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे.

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(Modification petition in Supreme Court) (Hearing of petition held on May 17)

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