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लोकसभा चुनाव 2019: भोपाल में चलेगा हिंदुत्व कार्ड या फिर जाति का जादू

कांग्रेस कायस्थ वोट बैंक में सेंध लगाने के फिराक में है.मौके की नजाकत को देखते हुए कांग्रेस नेता कायस्थ समाज की उपेक्षा का आरोप बीजेपी पर लगा रही है.

भोपाल में जातिवाद का निकला जन्न
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Published : Apr 25, 2019, 9:10 PM IST

भोपाल। भोपाल सीट से बीजेपी प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर के चुनावी मैदान में उतरने से सियासी पारा चढ़ा हुआ है. साध्वी प्रज्ञा को प्रत्याशी बनाकर जहां बीजेपी ने हिंदुत्व कार्ड खेला है, वहीं कांग्रेस जातिवाद फैक्टर को हवा दे रही है.
भोपाल संसदीय सीट कायस्थ बाहुल्य संसदीय सीट मानी जाती है. इसी को ध्यान में रखकर 2014 में बीजेपी ने आलोक संजर को टिकट दिया था और आलोक संजर करीब 3 लाख वोटों से चुनाव जीते थे. कायस्थ समाज से तालुल्क रखने वाले मौजूदा सांसद आलोक संजर का टिकट कट जाने के मुद्दे को कांग्रेस नेता हवा दे रहे है.

भोपाल में जातिवाद का निकला जन्न

कांग्रेस कायस्थ वोट बैंक में सेंध लगाने के फिराक में है.मौके की नजाकत को देखते हुए कांग्रेस नेता कायस्थ समाज की उपेक्षा का आरोप बीजेपी पर लगा कर रहे हैं. माना जा रहा है कि भोपाल सीट में करीब डेढ़ लाख कायस्थ मतदाता है, जो परंपरागत वोटों के अलावा निर्णायक भूमिका में रहते हैं.

मध्यप्रदेश के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि बीजेपी पार्टी के भीतर बहुत दुख और अवसाद की स्थिति है. उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि कायस्थ समाज के लोगों को उपयोग कर बीजेपी उन्हें बाहर निकाल फेंकती है. जिन्होंने पहला चुनाव जीतवाया उनका इस चुनाव में टिकट काट दिया. ये बीजेपी का चाल, चरित्र और चेहरा है.

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस जातिवाद के नाम पर कितने भी दांव चले, जनता जातिवाद को स्वीकार करने वाली नहीं है. उन्होंने कहा कि जनता केवल विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद पर अपना वोट करने वाली है और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने वाली है.

भोपाल। भोपाल सीट से बीजेपी प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर के चुनावी मैदान में उतरने से सियासी पारा चढ़ा हुआ है. साध्वी प्रज्ञा को प्रत्याशी बनाकर जहां बीजेपी ने हिंदुत्व कार्ड खेला है, वहीं कांग्रेस जातिवाद फैक्टर को हवा दे रही है.
भोपाल संसदीय सीट कायस्थ बाहुल्य संसदीय सीट मानी जाती है. इसी को ध्यान में रखकर 2014 में बीजेपी ने आलोक संजर को टिकट दिया था और आलोक संजर करीब 3 लाख वोटों से चुनाव जीते थे. कायस्थ समाज से तालुल्क रखने वाले मौजूदा सांसद आलोक संजर का टिकट कट जाने के मुद्दे को कांग्रेस नेता हवा दे रहे है.

भोपाल में जातिवाद का निकला जन्न

कांग्रेस कायस्थ वोट बैंक में सेंध लगाने के फिराक में है.मौके की नजाकत को देखते हुए कांग्रेस नेता कायस्थ समाज की उपेक्षा का आरोप बीजेपी पर लगा कर रहे हैं. माना जा रहा है कि भोपाल सीट में करीब डेढ़ लाख कायस्थ मतदाता है, जो परंपरागत वोटों के अलावा निर्णायक भूमिका में रहते हैं.

मध्यप्रदेश के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि बीजेपी पार्टी के भीतर बहुत दुख और अवसाद की स्थिति है. उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि कायस्थ समाज के लोगों को उपयोग कर बीजेपी उन्हें बाहर निकाल फेंकती है. जिन्होंने पहला चुनाव जीतवाया उनका इस चुनाव में टिकट काट दिया. ये बीजेपी का चाल, चरित्र और चेहरा है.

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस जातिवाद के नाम पर कितने भी दांव चले, जनता जातिवाद को स्वीकार करने वाली नहीं है. उन्होंने कहा कि जनता केवल विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद पर अपना वोट करने वाली है और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने वाली है.

Intro:भोपाल। भोपाल संसदीय सीट पर कांग्रेस की तरफ से दिग्विजय सिंह जैसे कद्दावर नेता और बीजेपी की तरफ से हिंदुत्व ब्रांड प्रज्ञा ठाकुर के चुनाव मैदान में आने के बाद पूरे देश की निगाहें भोपाल पर है। भोपाल लोकसभा सीट की आबोहवा पूरे देश में चुनाव के मुद्दे तय करने का काम कर रही है। कभी शहादत पर टिप्पणी तो कभी आतंकवाद और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे रोजाना नए-नए रूप में सामने आ रहे हैं। लेकिन मुद्दों से इतर कुछ ऐसे मुद्दे हैं,जिनको राजनीतिक दल दबी जुबान में हवा दे रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं, भोपाल में जातिवाद के मुद्दे की। भोपाल जैसी शहरी लोकसभा सीट में भी जातिवाद का मुद्दा भी हावी हो रहा है।


Body:दरअसल भोपाल संसदीय सीट कायस्थ बाहुल्य संसदीय सीट मानी जाती है। इसी को ध्यान रखकर 2014 में भाजपा ने आलोक संजर को टिकट दिया था और आलोक संजर करीब 3 लाख मतों से चुनाव जीतकर सांसद बने थे। लेकिन कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को उतारकर बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया और बीजेपी ने भारी सोच विचार के बाद आलोक संजर का टिकट काटकर प्रज्ञा,ठाकुर को टिकट दे दिया। अब भोपाल की चुनावी जंग में रोजाना शहादत, आतंकवाद और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों की सुनाई दे रही है। लेकिन कांग्रेस दबी जुबान में कायस्थ समाज की उपेक्षा का आरोप बीजेपी पर लगा कर कायस्थ वोट बैंक में सेंध लगाने का काम कर रही है। माना जाता है कि भोपाल सीट में करीब डेढ़ लाख कायस्थ मतदाता है, जो परंपरागत वोटों के अलावा निर्णायक भूमिका में रहते हैं। ऐसे में कायस्थ वोट हासिल करने के लिए कांग्रेस बीजेपी पर कायस्थ समाज का उपयोग करके फेंकने का आरोप लगा रही है।


Conclusion:मध्यप्रदेश के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि भाजपा के अंदर खाने में बहुत दुख और अवसाद की स्थिति है। भोपाल में आलोक संजर मौजूदा सांसद हैं। इससे पहले भोपाल में भाजपा के पांव जमाने के लिए कायस्थ समाज के पूर्व मुख्य सचिव एस सी वर्मा थे। उन्होंने पहली बार राजनीति में पदार्पण पर भाजपा का झंडा खड़ा किया।बहुत ही ईमानदार व्यक्ति थे, बहुत शिष्टता से काम करते थे, उन्होंने भोपाल से चार बार चुनाव भी जीता। लेकिन अंत क्या हुआ, भाजपा ने उनका उपयोग किया और उन्हें फेंक दिया, अवसाद में उन्होंने आत्महत्या कर ली। इसके बाद यहां कायस्थ समाज का प्रयोग हुआ, शैलेंद्र प्रधान को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया और वह चुनाव जीत कर आए। जीत कर आने के बाद उन्होंने भाजपा का प्रसार भी किया, उन्हें भी इसी तरह यूज एंड थ्रो कर दिया गया। इसी तरह हमारे आलोक संजर कायस्थ समाज से आते हैं। जिन्होंने पिछला चुनाव तीन लाख से ज्यादा मतों से जीत कर भोपाल में रिकॉर्ड बनाया था. आज उन्हें फेंककर ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया गया, जो उसके 1 दिन पहले तक भाजपा का सदस्य नहीं था।यह भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा है। लोगों का उपयोग कर फिर उन्हें सड़क पर फेंक देते हैं।

इस मामले में भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस जातिवाद के नाम पर कितने भी दांव चले, जनता जातिवाद को स्वीकार करने वाली नहीं है। जनता केवल विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद पर अपना वोट करने वाली है और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने वाली है. जाति विशेष की बात करने वाले जरा आत्मावलोकन भी कर ले। जाति के आधार पर कांग्रेस ने कितना प्रतिनिधित्व विधानसभा या लोकसभा चुनाव में दिया है। मुझे लगता है कि इस प्रकार की बात करने वाले देश और समाज को बांटने का काम करते हैं।उनकी फितरत रही है कि देश को हर बार जाति के नाम पर बांटना और आदमी को आदमी से लड़ाना।
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