भोपाल। शहर के गांधी नगर में स्थित आसाराम आश्रम को आवंटित की गई 4.04 एकड़ जमीन का मामला अभी भी सुलझ नहीं पाया है, पिछले 1 वर्ष से आश्रम की जमीन की लीज के मामले को लेकर विवाद चला आ रहा है, तत्कालीन कलेक्टर द्वारा आश्रम को दी गई लीज को निरस्त कर दिया गया था. इस मामले में एक याचिका जबलपुर हाईकोर्ट में लगाई गई थी, जिसके तहत आसाराम आश्रम को आवंटित जमीन की लीज बहाली मामले में जबलपुर हाई कोर्ट के जज सुजाॅय पॉल ने स्टे दे दिया है.
हाई कोर्ट के जज ने यह स्टे बिल्डर शैलेश प्रधान सहित अन्य किसानों द्वारा लगाई गई याचिका की सुनवाई के दौरान दिया है. याचिकाकर्ता ने बताया कि, जज ने प्रकरण की पहली सुनवाई करते हुए भोपाल संभाग के अपर आयुक्त के द्वारा आसाराम आश्रम की लीज को बहाल करने वाले फैसले को स्पष्ट किया है, जिसमें अपर आयुक्त को शिकायतकर्ता का पक्ष सुनना जरूरी था, जो नहीं किया गया है.
गांधी नगर के गोदर मऊ गांव में आसाराम आश्रम के नाम से आवंटित 4.04 एकड़ जमीन के मामले में 26 फरवरी 2020 को भोपाल के तत्कालीन कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने आदेश जारी किया था, जिसके तहत लीज को निरस्त कर दिया गया था. साथ ही जमीन आसाराम आश्रम योग वेदांत समिति गांधीनगर को वर्ष 2000 और वर्ष 2005 के बीच आवंटित की गई थी. वहीं 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था. इस आदेश के खिलाफ आश्रम के सेवादारों ने भोपाल संभाग के अपर आयुक्त एचएस मीणा की कोर्ट में अपील की, जिसके बाद अपर आयुक्त ने 26 जून 2020 को कलेक्टर के आदेश को विधि विरुद्ध मानते हुए समाप्त कर लीज बहाल कर दी थी.