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नियमितीकरण को लेकर धरने पर बैठे अतिथि विद्वान, कर्मचारी कल्याण आयोग करेगा बातचीत

भोपाल में सरकारी महाविद्यालयों में अतिथि विद्वानों का मामला सुलझाने के लिए समितियां गठित की गई फिर बाद में मामला नवगठित कर्मचारी कल्याण आयोग को सौंप दिया गया है.

Guest scholars adamant on their demands
अपनी मांगों पर अड़े आंदोलनकारी अतिथि विद्वान
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Published : Jan 22, 2020, 10:45 PM IST

भोपाल। सरकारी महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वानों का मसला जितना सरकार सुलझाने की कोशिश कर रही है, यह उतना ही उलझता जा रहा है. सरकार ने पहले इस मामले को सुलझाने के लिए तरह-तरह की समितियां गठित की और जब बात नहीं बनी तो यह मामला नवगठित कर्मचारी कल्याण आयोग को सौंप दिया. लेकिन अतिथि विद्वान संगठन अपनी एक ही मांग पर अड़ा हुआ है.

अपनी मांगों पर अड़े आंदोलनकारी अतिथि विद्वान


अतिथि विद्वानों का कहना है कि कांग्रेस ने चुनाव के समय नियमितीकरण का वचन दिया था. जिसके बाद कांग्रेस नियमितीकरण का मामला कैबिनेट में लाकर उन्हें नियमित करें. इस मामले में राज्य कर्मचारी कल्याण आयोग के सदस्य वीरेंद्र खोंगल का कहना है कि अतिथि विद्वानों की मांग जायज है. लगातार लंबी अवधि से आंदोलन और हड़ताल कर रहे हैं, मैं कई अवसरों पर उनके आंदोलनों में गया हूं,

उनके प्रति हमारी सहानुभूति है. राज्य सरकार ने राज्य कर्मचारी कल्याण आयोग को मसला सौंपा हैं, तो निश्चित तौर पर हम उनके प्रतिनिधियों को बुलाएंगे और आयोग से चर्चा करके सार्थक समाधान निकालेंगे क्योंकि उनकी दिक्कतें क्या है, इसकी अभी पूरी जानकारी नहीं है. अतिथि विद्वान संगठन के सभी साथियों को उनके प्रतिनिधियों को बुलाकर गुण दोष के आधार पर उसका समाधान करेंगे.

भोपाल। सरकारी महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वानों का मसला जितना सरकार सुलझाने की कोशिश कर रही है, यह उतना ही उलझता जा रहा है. सरकार ने पहले इस मामले को सुलझाने के लिए तरह-तरह की समितियां गठित की और जब बात नहीं बनी तो यह मामला नवगठित कर्मचारी कल्याण आयोग को सौंप दिया. लेकिन अतिथि विद्वान संगठन अपनी एक ही मांग पर अड़ा हुआ है.

अपनी मांगों पर अड़े आंदोलनकारी अतिथि विद्वान


अतिथि विद्वानों का कहना है कि कांग्रेस ने चुनाव के समय नियमितीकरण का वचन दिया था. जिसके बाद कांग्रेस नियमितीकरण का मामला कैबिनेट में लाकर उन्हें नियमित करें. इस मामले में राज्य कर्मचारी कल्याण आयोग के सदस्य वीरेंद्र खोंगल का कहना है कि अतिथि विद्वानों की मांग जायज है. लगातार लंबी अवधि से आंदोलन और हड़ताल कर रहे हैं, मैं कई अवसरों पर उनके आंदोलनों में गया हूं,

उनके प्रति हमारी सहानुभूति है. राज्य सरकार ने राज्य कर्मचारी कल्याण आयोग को मसला सौंपा हैं, तो निश्चित तौर पर हम उनके प्रतिनिधियों को बुलाएंगे और आयोग से चर्चा करके सार्थक समाधान निकालेंगे क्योंकि उनकी दिक्कतें क्या है, इसकी अभी पूरी जानकारी नहीं है. अतिथि विद्वान संगठन के सभी साथियों को उनके प्रतिनिधियों को बुलाकर गुण दोष के आधार पर उसका समाधान करेंगे.

Intro:भोपाल। सरकारी महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वानों का मसला जितना सरकार सुलझाने की कोशिश कर रही है।उतना ही उलझता जा रहा है। सरकार ने पहले इस मामले को सुलझाने तरह-तरह की समितियां गठित की और जब बात नहीं बनी तो यह मामला नवगठित कर्मचारी कल्याण आयोग को सौंप दिया गया। लेकिन अतिथि विद्वान संगठन अपनी एक ही मांग पर अड़ा हुआ है। अतिथि विद्वानों का कहना है कि कांग्रेस ने चुनाव के समय नियमितीकरण का वचन दिया था। कांग्रेस नियमितीकरण का मामला कैबिनेट में लाकर हमें नियमित करें। आयोग और समितियों के पास कैबिनेट से ज्यादा अधिकार नहीं होते हैं।करीब डेढ़ महीने से आंदोलनरत अतिथि विद्वानों के रुख से लग रहा है। कि यह लड़ाई अभी लंबी चलेगी और सरकार को इस मसले का निराकरण करने के लिए कोई ना कोई ठोस कदम उठाना पड़ेगा।


Body:दरअसल,अतिथि विद्वानों की मांग को लेकर सरकार ने पहले मंत्री मंडल स्तर की समितियों का गठन किया। फिर मुख्य सचिव स्तर की समिति का गठन किया।लेकिन आंदोलनरत अतिथि विद्वान अपनी एक सूत्रीय नियमितीकरण की मांग पर अड़े हैं।ऐसी स्थिति में सरकार ने नवगठित राज्य कर्मचारी कल्याण आयोग को यह मामला सौंप दिया है। सरकार का कहना है कि राज्य कल्याण कर्मचारी आयोग अतिथि विद्वानों के मामले में जो भी सिफारिश करेगा, सरकार उस सिफारिश को मानेगी।सरकार ने कर्मचारियों के मामले में कर्मचारी कल्याण आयोग को अंतिम निर्णय का भी अधिकार दिया हुआ है।लेकिन इस मसले में अतिथि विद्वान संगठन का रवैया पहले जैसा ही है।

अतिथि विद्वान संगठन के प्रमुख देवराज सिंह का कहना है कि सरकार कर्मचारी कल्याण आयोग बनाकर जो हमारा मामला देने की बात कर रही है, यह दिग्भ्रमित करने का काम कर रही है। हमारी सीधी सी मांग है कि जो 2700 अतिथि विद्वान बाहर किए गए हैं, पहले उनको वापस लिया जाए। सरकार ने कमेटियां तो बहुत बनाई। पहले मंत्री गोविंद सिंह की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। फिर मंत्री जीतू पटवारी और प्रमुख सचिव अनुराग जैन की कमेटी बनाई। फिर मुख्य सचिव एसआर मोहंती की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। अब आयोग की बात कर रहे हैं,फिर कर्मचारी कल्याण समिति की बात करेंगे। हमारा मुद्दा यहां का है ही नहीं। मुद्दा सीधा सीधा है कि आपने जो वचन पत्र में कहा था कि किसी भी अतिथि विद्वान को निकाला नहीं जाएगा, उनका नियमितीकरण किया जाएगा। एक आदेश जारी करें,जो अतिथि विद्वान बाहर हो गए हैं,वो व्यवस्था में आए। हमारे नियमितीकरण का प्रस्ताव कैबिनेट में लाकर नियमितीकरण करें।इसके अलावा टहलाने और दिग्भ्रमित करने से हमारी व्यवस्था का कोई हल नहीं है। यह सभी जानते हैं कि जो शक्ति कैबिनेट के पास है, वह ना आयोग के पास है वरना समिति के पास है।


Conclusion:वहीं इस मामले में राज्य कर्मचारी कल्याण आयोग के सदस्य वीरेंद्र खोंगल का कहना है कि अतिथि विद्वानों की मांग जायज है। लगातार लंबी अवधि से आंदोलन और हड़ताल कर रहे हैं। मैं कई अवसरों पर उनके आंदोलनों में गया हूं, उनके प्रति हमारी सहानुभूति है। अब राज्य सरकार ने राज्य कर्मचारी कल्याण आयोग कोई मसला सौंपा है। तो निश्चित तौर पर हम उनके प्रतिनिधियों को बुलाएंगे और आयोग से चर्चा करके सार्थक समाधान करेंगे। क्योंकि उनकी दिक्कतें क्या है, इसकी अभी हमें पूरी जानकारी नहीं है। हम अतिथि विद्वान संगठन के सभी साथियों को उनके प्रतिनिधियों को बुलाकर गुण दोष के आधार पर उसका समाधान करेंगे।
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