भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी रहे कई लोग उनके साथ बीजेपी में नहीं गए, मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत उनमें से ही एक हैं. सिंधिया के नजदीकी होने के बावजूद भी रामनिवास रावत ने कांग्रेस नहीं छोड़ी. लिहाजा, अब रामनिवास रावत सरकार के निशाने पर हैं. उनके पेट्रोल पंप की एनओसी निरस्त कर दी गई है, स्कूल-कॉलेज की जमीन सरकारी घोषित कर दी गई है. इस पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं के विरूद्ध राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है, जोकि निंदनीय है.
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बताया कि राम निवास रावत के बेटे अनिरूद्ध रावत ने सभी एनओसी लेने के बाद कलेक्टर ने इंडियन ऑयल का पेट्रोल पंप स्थापित करने की अनुमति 24 फरवरी 2020 को दी थी. सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था. इस बीच बीते 23 मार्च को बीजेपी की सरकार बन गई और कांग्रेस की सरकार गिर गई. इस दौरान पूर्व मंत्री राम निवास रावत पूरी ताकत से पार्टी के साथ खड़े रहे. पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा के चलते बीजेपी के इशारे पर सरकारी तंत्र के माध्यम से उन्हें परेशान किया जा रहा है. सिर्फ 24 घंटे में श्योपुर कलेक्टर ने पेट्रोल पंप निर्माण की अनुमति निरस्त करने के लिये एक जुलाई को प्रकरण दर्ज किया.
वहीं चंबल संभागीय आयुक्त को आदेश के पुन: निरीक्षण के लिए प्रतिवेदन भेजा है. दूसरे ही दिन 02 जुलाई को आयुक्त चंबल ने अनुमति प्रदान कर दी. 02 जुलाई को ही कलेक्टर श्योपुर ने पेट्रोल पंप निर्माण के लिए पूर्व में दी गई अनुमति स्थगित कर निर्माण पर रोक लगा दी. दिग्विजय सिंह ने अधिकारियों के माध्यम से कराए जा रहे इस अनैतिक कार्य की निंदा की है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को भी सत्ताधारी दल का एजेंट बनने से बचना चाहिए. उपचुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार आने पर ऐसे अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा.