भोपाल। ''फादर...शराब ने मेरी जिंदगी तबाह कर दी. मैं अपनी गलतियां प्रभु के चरणों मे डालकर नई जिंदगी शुरु करना चाहता हूं. फादर मैंने एक नेक दिल इंसान का दिल दुखाया है. अपनी गलती को सुधारने का कोई रास्ता नहीं है मेरे पास. लेकिन क्या प्रभु के आगे अपने गुनाह रख देने से मैं पापी होने से बच जाऊंगा.'' गुड फ्राइडे जिसे ब्लैक फ्राइडे भी कहा जाता है. इस दिन ईसाई समाज में प्रभु यीशु से अपने गुनाहों की माफी भी मांगी जाती है. तो गुड फ्राइडे के दिन उस कन्फेशन की भी बात आती है जो ईसाई समाज की प्रार्थना का ही एक हिस्सा कहा जाता है. बदलते समय में कन्फेशन के ट्रेंड में क्या कोई बदलाव आया है. किस उम्र में लोग कन्फेशन के लिए ज्यादा पहुंचते हैं चर्च. कितने गोपनीय होते हैं ये कन्फेशन. केरल से कन्फेशन पर उठे सवाल फिर महिला आयोग की इसे खत्म किए जाने की सिफारिश और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा ये मामला. चर्च में इस प्रक्रिया ने कितना असर डाल. कन्फेशन होता क्या है आखिर.
चर्च में कन्फेशन कैसे कैसे: चर्च में अपने कन्फेशन के लिए पहुंचने वाले लोग किन बातों को गुनाह समझते हैं और मानते हैं कि इनका कन्फेशन जरुरी है. क्या बदलते समाज का असर कन्फेशन बॉक्स तक भी पहुंचा है. किस उम्र में गुनाह को कुबूल करने की सलाहियत मौजूद है अभी. भोपाल के बड़े चर्च में गिने जाने वाले सेवा सदन चर्च के फादर सिल्विरियस इन सवालों का सिलसिलेवार जवाब देते हैं. फादर बताते हैं ''ईसाई समाज में अब जो कन्फेशन करने वालों की उम्र है उसमें 30 बरस के ऊपर के लोग ज्यादा आते हैं. दूसरी एक बात है कि पढ़ा लिखा ही तबका ज्यादा है जो अपने गुनाहों को मंजूर कर लेने की गंभीरता को समझता है. क्योंकि सबसे जरुरी तो ये अहसास है कि आपने गलत किया है. जब आप ये मंजूर करेंगे तब ही तो कन्फेस कर पाएंगे.'' क्या कन्फेशन कर लेने के बाद दुबारा गलती की संभावना खत्म हो जाती है. फादर कहते हैं ''ये व्यक्ति के अपने कमिटमेंट पर निर्भर करता है कि वो अपनी गलती अपने पाप को प्रभु के चरणों में छोड़कर वाकई बदल पाता है या नहीं. मैंने एक व्यक्ति ऐसा देखा है उसका कन्फेशन तो नहीं बताऊंगा लेकिन उसने खुद को बदल दिया. कोरोना काल के दो साल में उसने खुद को नया जन्म दिया है.''
सामूहिक भी होता है कन्फेशन: कन्फेशन भी दो तरह के होते हैं. एक कॉमन और दूसरा प्राइवेट. कॉमन कन्फेशन में एक साथ समूह में खड़े लोग मन ही मन अपने पापों को प्रभु के सामने रख देते हैं. फादर सिल्विरियस कहते हैं ''जो गलतियां की वो सारी प्रभु को समर्पित कर देते हैं. प्राइवेट कन्फेशन प्रिस्ट यानि फादर के सामने होता है और पूरी तरह गोपनीय. इस कन्फेशन में फादर और कन्फेस करने वाले व्यक्ति के बीच भी पर्दा होता है. फादर को ये भी नहीं मालूम होता कि कन्फेस करने आए व्यक्ति का नाम क्या है और वो कैसा दिखता है. दूसरी जरुरी बात कि फादर को इस बात की कसम दिलाई जाती है कि वो किसी के भी कन्फेशन को गोपनीय रखेगे. ये केवल कन्फेस करने वाला व्यक्ति जानता है, प्रभु जानते हैं और फादर. क्या कन्फेस कर लेने भर से व्यक्ति के दिल से बोझ हट जाता है.'' फादर सिल्विरियस कहते हैं ''हमारा काम सुनना है और सही दिशा देना. ये व्यक्ति की अपनी समझ सेल्फ कांशयिस पर भी होता है. कई बार लोगों को ये भी लगता है कि फलां व्यक्ति से जब तक माफी नहीं मांगेंगे बोझ रखा रहेगा दिल पर. लेकिन यह सबका व्यक्तिगत मामला है.''
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गुनाहों की माफी के लिए कोई दिन तय नहीं: फादर सिल्विरियस से जब ये पूछा गया क्या कि क्या कन्फेशन के लिए कोई खास दिन या महीना होता है तो उनका कहना था, ''ऐसा नहीं है. जब आप कन्फेस करना चाहते हैं, फादर की अवेलेबिलिटी हो तब चर्च में कन्फेस के लिए आ सकते हैं. कोई दिन तय नहीं होता ना ही कोई महीना. वैसे भी प्रभु के चरणो में अपनी गलतियां रखने के लिए कोई दिन निश्चित हो भी कैसे सकता है.''
महिला आयोग ने क्यों की थी कन्फेशन पर रोक की सिफारिश: 2018 में कन्फेशन पर रोक लगाए जाने की सिफारिश राष्ट्रीय महिला आयोग ने की थी. उसके पीछे केरल का कन्फेशन की आड़ में दैहिक शोषण का मामला था. केरल के चर्च में 5 पादरियों पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाय था. कन्फेशन के बाद ये यौन उत्पीड़न किया गया. इस मामले के सामने आने के बाद जिन पादरियों पर महिला ने आरोप लगाया था उन्हें हटा दिया गया था. केरल में कोट्टायम शहर का ये मामला बताया जाता है.