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जिस दोस्त मोहम्मद खान के चरित्र पर छिड़ा है विवाद! रानी कमलापति ने उससे ही लगाई थी मदद की गुहार

भले ही भोपाल के संस्थापक पठान दोस्त मोहम्मद खान की इमानदारी और गद्दारी पर मतभेद है, पर कुछ इतिहासकार मानते हैं कि रानी कमलापति ने ही रक्षा सूत्र भेजकर दोस्त मोहम्मद खान से मदद मांगी थी. अब जब रानी कमलापति के नाम पर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रख दिया गया है और दोस्त मोहम्मद खान को खलनायक के तौर पेश किया जा रहा है तो बहस छिड़ना लाजिमी है.

gond rani kamlapati
गोंड रानी कमलापति
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Published : Nov 15, 2021, 7:57 PM IST

Updated : Dec 2, 2021, 2:13 PM IST

भोपाल। जिस भोपाल पर आज सबको गुमान है, उसकी स्थापना जिस दोस्त मोहम्मद खान ने की थी, उसे ही आज उसे खलनायक बनाने की कोशिश हो रही है, जबकि इतिहासकार मानते हैं कि रानी कमलापति ने खुद ही रक्षा सूत्र भेजकर दोस्त मोहम्मद खान को मदद के लिए आमंत्रित किया था, जिसके बदले में एक लाख रुपए बतौर शुल्क देने का करार हुआ था, एक लाख रुपए के बदले रानी कमलापति तत्कालीन संकट से बच तो गईं, पर उनके सामने नया संकट मुंह खोलकर खड़ा हो गया.

रिजवान अंसारी, इतिहासकार

परियों से भी सुंदर थीं रानी कमलापति

1710 के दशक में भोपाल की ऊपरी झील के आसपास का क्षेत्र मुख्य रूप से भील और गोंड आदिवासियों द्वारा बसाया गया था, स्थानीय गोंड सरदारों में सबसे मजबूत निजाम शाह ने गिन्नौर किले (वर्तमान सीहोर जिले के गिनोरगढ़) से अपने क्षेत्र पर शासन किया था, गिन्नोर को एक अभेद्य किला माना जाता था, जो लगभग 2000 फुट ऊंची चट्टान के शिखर पर स्थित था और घने जंगल से घिरा हुआ था. चौधरी किरपा-रामचंद्र की बेटी रानी कमलापति निजाम शाह की सात पत्नियों में से एक थी, वह अपनी सुंदरता और प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध थीं. स्थानीय किंवदंतियों ने उसे एक परी की तुलना में अधिक सुंदर बताया जाता था.

दगाबाज या वफादार! पठान दोस्त मोहम्मद खान का जानें इतिहास, जिस पर छिड़ा है संग्राम

बदले के लिए रानी ने बुलाया भाडे़ का हत्यारा

निजाम शाह को उनके भतीजे आलम शाह यानि चैनपुर-बारी के राजा ने जहर दे दिया था, जो कमलापति से शादी करना चाहता था, कमलापति ने अपने सम्मान और अपने राज्य की रक्षा के लिए और अपने पति की मृत्यु का बदला लेने के लिए दोस्त मोहम्मद खान को एक लाख रुपये की पेशकश की, जिस पर खान ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, और कमलापति ने कलाई पर राखी बांधी. इसके बाद खान ने आलम शाह को हराने और मारने के लिए अफगान और गोंड सैनिकों की एक संयुक्त सेना का नेतृत्व किया. मारे गए राजा के क्षेत्र को कमलापति के राज्य में मिला दिया गया था.

50 हजार के लिए रानी ने सौंप दिया भोपाल

इस बदले के बाद रानी दोस्त मोहम्मद खान को एक लाख रुपये नहीं दे पाईं, इसलिए उन्होंने उसे आधी राशि का भुगतान किया और शेष के बदले में भोपाल गांव दे दिया. खान को कमलापति के राज्य का प्रबंधक भी नियुक्त किया गया और वस्तुत: छोटे गोंड साम्राज्य का शासक बन गया. खान अपनी मृत्यु तक रानी और उनके बेटे नवल शाह के प्रति वफादार रहे. इतिहासकारों में खान की वफादारी पर मतभेद था, कुछ कहते हैं कि वह कमलापति के आकर्षण और सुंदरता से मुग्ध था, जबकि औरों को लगता है कि वह महिलाओं के प्रति अपनी बात रखने में विश्वास रखता था.

इस वजह से रानी के बेटे को मार डाला

1723 में रानी कमलापति अपने महल के पास ही खुदकुशी कर ली थी, जिसके बाद दोस्त खान ने रानी के बेटे नवल शाह के प्रति निष्ठा का परिचय दिया, जिन्होंने गिन्नौर किले को नियंत्रित किया और उन्हें किले में रहने के लिए आमंत्रित किया. खान ने अपने 100 सैनिकों को महिलाओं के रूप में प्रच्छन्न किया और उन्हें गिन्नौर में भेजा जोकि उनकी पत्नी और परिवार को शामिल करने वाले थे. नवल शाह के अनसुने गुर्गों ने दुर्ग को बिना परीक्षा दिए अंदर जाने दिया. रात में खान के सैनिकों ने नवल शाह और उसके गार्ड को मार डाला.

भोपाल। जिस भोपाल पर आज सबको गुमान है, उसकी स्थापना जिस दोस्त मोहम्मद खान ने की थी, उसे ही आज उसे खलनायक बनाने की कोशिश हो रही है, जबकि इतिहासकार मानते हैं कि रानी कमलापति ने खुद ही रक्षा सूत्र भेजकर दोस्त मोहम्मद खान को मदद के लिए आमंत्रित किया था, जिसके बदले में एक लाख रुपए बतौर शुल्क देने का करार हुआ था, एक लाख रुपए के बदले रानी कमलापति तत्कालीन संकट से बच तो गईं, पर उनके सामने नया संकट मुंह खोलकर खड़ा हो गया.

रिजवान अंसारी, इतिहासकार

परियों से भी सुंदर थीं रानी कमलापति

1710 के दशक में भोपाल की ऊपरी झील के आसपास का क्षेत्र मुख्य रूप से भील और गोंड आदिवासियों द्वारा बसाया गया था, स्थानीय गोंड सरदारों में सबसे मजबूत निजाम शाह ने गिन्नौर किले (वर्तमान सीहोर जिले के गिनोरगढ़) से अपने क्षेत्र पर शासन किया था, गिन्नोर को एक अभेद्य किला माना जाता था, जो लगभग 2000 फुट ऊंची चट्टान के शिखर पर स्थित था और घने जंगल से घिरा हुआ था. चौधरी किरपा-रामचंद्र की बेटी रानी कमलापति निजाम शाह की सात पत्नियों में से एक थी, वह अपनी सुंदरता और प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध थीं. स्थानीय किंवदंतियों ने उसे एक परी की तुलना में अधिक सुंदर बताया जाता था.

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बदले के लिए रानी ने बुलाया भाडे़ का हत्यारा

निजाम शाह को उनके भतीजे आलम शाह यानि चैनपुर-बारी के राजा ने जहर दे दिया था, जो कमलापति से शादी करना चाहता था, कमलापति ने अपने सम्मान और अपने राज्य की रक्षा के लिए और अपने पति की मृत्यु का बदला लेने के लिए दोस्त मोहम्मद खान को एक लाख रुपये की पेशकश की, जिस पर खान ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, और कमलापति ने कलाई पर राखी बांधी. इसके बाद खान ने आलम शाह को हराने और मारने के लिए अफगान और गोंड सैनिकों की एक संयुक्त सेना का नेतृत्व किया. मारे गए राजा के क्षेत्र को कमलापति के राज्य में मिला दिया गया था.

50 हजार के लिए रानी ने सौंप दिया भोपाल

इस बदले के बाद रानी दोस्त मोहम्मद खान को एक लाख रुपये नहीं दे पाईं, इसलिए उन्होंने उसे आधी राशि का भुगतान किया और शेष के बदले में भोपाल गांव दे दिया. खान को कमलापति के राज्य का प्रबंधक भी नियुक्त किया गया और वस्तुत: छोटे गोंड साम्राज्य का शासक बन गया. खान अपनी मृत्यु तक रानी और उनके बेटे नवल शाह के प्रति वफादार रहे. इतिहासकारों में खान की वफादारी पर मतभेद था, कुछ कहते हैं कि वह कमलापति के आकर्षण और सुंदरता से मुग्ध था, जबकि औरों को लगता है कि वह महिलाओं के प्रति अपनी बात रखने में विश्वास रखता था.

इस वजह से रानी के बेटे को मार डाला

1723 में रानी कमलापति अपने महल के पास ही खुदकुशी कर ली थी, जिसके बाद दोस्त खान ने रानी के बेटे नवल शाह के प्रति निष्ठा का परिचय दिया, जिन्होंने गिन्नौर किले को नियंत्रित किया और उन्हें किले में रहने के लिए आमंत्रित किया. खान ने अपने 100 सैनिकों को महिलाओं के रूप में प्रच्छन्न किया और उन्हें गिन्नौर में भेजा जोकि उनकी पत्नी और परिवार को शामिल करने वाले थे. नवल शाह के अनसुने गुर्गों ने दुर्ग को बिना परीक्षा दिए अंदर जाने दिया. रात में खान के सैनिकों ने नवल शाह और उसके गार्ड को मार डाला.

Last Updated : Dec 2, 2021, 2:13 PM IST
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