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MP Debt : कर्ज तले दबे मध्यप्रदेश में मुफ्त की रेवड़ियां, 6 माह के अंदर तीसरी बार कर्ज लेगी शिवराज सरकार, कांग्रेस हुई आक्रामक

मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार मुफ्त की रेवड़ियां बांट रही है. इसी का नतीजा है कि सरकार धड़ाधड़ कर्ज लेती जा रही है. शिवराज सरकार एक बार फिर 1 हजार करोड़ रुपये का कर्ज बाजार से उठाने जा रही है. मई से लेकर सितंबर तक सरकार तीन बार कर्ज ले चुकी है. पिछले तीन महीने में 6 हजार करोड़ का कर्ज शिवराज सरकार उठा चुकी है. मध्यप्रदेश पर करीब साढ़े 3 लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है.

Madhya Pradesh burdened with debt
6 माह के अंदर तीसरी बार कर्ज लेगी शिवराज सरकार
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 13, 2023, 9:12 AM IST

Updated : Sep 13, 2023, 9:40 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आचार संहिता लगने से पहले राज्य सरकार को एक बार फिर बाजार से कर्ज लेने की जरूरत पड़ गई है. बाजार से कर्ज लेने के लिए वित्तीय संस्थाएं ऑक्शन में हिस्सा लेंगी. भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से होने वाली ऑक्शन 13 सिंतबर को ओपन होगी. इसमें ये तय होगा कि किस वित्तीय संस्थाओं ने कम ब्याज दर पर कर्ज देना मंजूर किया है. मध्यप्रदेश सरकार उसी से कर्ज लेगी.ये मौजूदा वित्तीय वर्ष का तीसरा कर्ज होगा.

इस वित्तीय साल में 6 हजार करोड़ कर्ज : इस वित्तीय वर्ष में अब तक राज्य सरकार बाजार से 6 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. सरकार ने 31 मई को 2000 करोड़ और 14 जून को 4000 करोड़ का कर्ज लिया था. राज्य सरकार रिजर्व बैंक के मुम्बई कार्यालय के माध्यम से अपनी गवर्मेन्ट सिक्युरिटीज का विक्रय कर एक हजार करोड़ रुपयों का बाजार से कर्ज उठायेगी. इस कर्ज की अदायगी 2036 के बाद की जायेगी. एक साल में दो बार ब्याज का भुगतान किया जायेगा. राज्य सरकार पर कर्ज 3 लाख 31 हजार 651 करोड़ 7 लाख रुपये हो गया. चुनावी साल में गेमचेंजर मानी जानी वाली शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना के लिए सरकार ने पांच साल के लिए 60 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान किया है. पहले साल के 12 हजार करोड़ की राशि आवंटित की गई है.

हर साल 24 हजार करोड़ ब्याज : सरकार लाड़ली बहना योजना में वर्तमान में दी जाने वाली राशि एक हजार से बढ़ाकर तीन हजार करती है तो खजाने से 1 लाख 80 हजार करोड़ करोड़ रुपए खर्च होंगे. वहीं योजना के लिए पात्रता की उम्र 23 साल से घटाकर 21 साल करने के सरकार के फैसले के बाद योजना पर और खर्च होने वाले हैं. चुनावी साल में वोटरों को लुभाने के लिए सरकार जमकर मुफ्त की रेवड़ियां बांट रही है. रिजर्व बैंक की हाल में राज्यों को लेकर राज्यों की स्टेट फाइनेंसेज 2022-23 की रिपोर्ट में राज्यों पर बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता जताई गई है. मध्यप्रदेश पर कर्ज इतना है कि सरकार हर साल केवल 24 हजार करोड़ का ब्याज भर रही है.

गैस सिलंडर 450 में देने की घोषणा : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गरीब महिलाओं को गैस सिलेंडर 450 रुपए में ही उपलब्ध कराने की घोषणा की है. इस घोषणा से पहले सरकार ने योजना से होने वाले प्रभाव को लेकर प्रारंभिक तौर पर आकलन कराया है, जिसमें ये बात सामने आई कि कम खर्च में ये योजना ज्यादा प्रभावी हो सकती है. इससे सरकार के खजाने में साल में 2544 करोड़ रुपए का वित्तीय भार आयेगा. चुनावी साल में लाड़ली बहना योजना सहित अन्य योजनाओं को जमीन पर उतराने के लिए सरकार को नए वित्तीय वर्ष में करीब 60 हजार करोड़ के कर्ज लेने की जरूरत पड़ेगी.

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कांग्रेस बोली- प्रदेश को कंगाल कर दोगे क्या : इस मामले में कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया. विवेक तन्खा का कहना कि यदि 1000 हज़ार करोड़ के क़र्ज़ की यह खबर सही है तो मध्यप्रदेश का ये सबसे बड़ा दुर्भाग्य है. चुनाव जीतने के लिए मध्यप्रदेश को कंगाल करने की तैयारी बीजेपी की है. वहीं राज्य के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि हम विकास के लिए कर्ज ले रहे हैं, जो लिमिट के अंदर है. यह कर्ज बाजार से उठा रहे हैं, लेकिन इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ विकास में पैसा खर्च किया जायेगा.

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आचार संहिता लगने से पहले राज्य सरकार को एक बार फिर बाजार से कर्ज लेने की जरूरत पड़ गई है. बाजार से कर्ज लेने के लिए वित्तीय संस्थाएं ऑक्शन में हिस्सा लेंगी. भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से होने वाली ऑक्शन 13 सिंतबर को ओपन होगी. इसमें ये तय होगा कि किस वित्तीय संस्थाओं ने कम ब्याज दर पर कर्ज देना मंजूर किया है. मध्यप्रदेश सरकार उसी से कर्ज लेगी.ये मौजूदा वित्तीय वर्ष का तीसरा कर्ज होगा.

इस वित्तीय साल में 6 हजार करोड़ कर्ज : इस वित्तीय वर्ष में अब तक राज्य सरकार बाजार से 6 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. सरकार ने 31 मई को 2000 करोड़ और 14 जून को 4000 करोड़ का कर्ज लिया था. राज्य सरकार रिजर्व बैंक के मुम्बई कार्यालय के माध्यम से अपनी गवर्मेन्ट सिक्युरिटीज का विक्रय कर एक हजार करोड़ रुपयों का बाजार से कर्ज उठायेगी. इस कर्ज की अदायगी 2036 के बाद की जायेगी. एक साल में दो बार ब्याज का भुगतान किया जायेगा. राज्य सरकार पर कर्ज 3 लाख 31 हजार 651 करोड़ 7 लाख रुपये हो गया. चुनावी साल में गेमचेंजर मानी जानी वाली शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना के लिए सरकार ने पांच साल के लिए 60 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान किया है. पहले साल के 12 हजार करोड़ की राशि आवंटित की गई है.

हर साल 24 हजार करोड़ ब्याज : सरकार लाड़ली बहना योजना में वर्तमान में दी जाने वाली राशि एक हजार से बढ़ाकर तीन हजार करती है तो खजाने से 1 लाख 80 हजार करोड़ करोड़ रुपए खर्च होंगे. वहीं योजना के लिए पात्रता की उम्र 23 साल से घटाकर 21 साल करने के सरकार के फैसले के बाद योजना पर और खर्च होने वाले हैं. चुनावी साल में वोटरों को लुभाने के लिए सरकार जमकर मुफ्त की रेवड़ियां बांट रही है. रिजर्व बैंक की हाल में राज्यों को लेकर राज्यों की स्टेट फाइनेंसेज 2022-23 की रिपोर्ट में राज्यों पर बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता जताई गई है. मध्यप्रदेश पर कर्ज इतना है कि सरकार हर साल केवल 24 हजार करोड़ का ब्याज भर रही है.

गैस सिलंडर 450 में देने की घोषणा : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गरीब महिलाओं को गैस सिलेंडर 450 रुपए में ही उपलब्ध कराने की घोषणा की है. इस घोषणा से पहले सरकार ने योजना से होने वाले प्रभाव को लेकर प्रारंभिक तौर पर आकलन कराया है, जिसमें ये बात सामने आई कि कम खर्च में ये योजना ज्यादा प्रभावी हो सकती है. इससे सरकार के खजाने में साल में 2544 करोड़ रुपए का वित्तीय भार आयेगा. चुनावी साल में लाड़ली बहना योजना सहित अन्य योजनाओं को जमीन पर उतराने के लिए सरकार को नए वित्तीय वर्ष में करीब 60 हजार करोड़ के कर्ज लेने की जरूरत पड़ेगी.

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कांग्रेस बोली- प्रदेश को कंगाल कर दोगे क्या : इस मामले में कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया. विवेक तन्खा का कहना कि यदि 1000 हज़ार करोड़ के क़र्ज़ की यह खबर सही है तो मध्यप्रदेश का ये सबसे बड़ा दुर्भाग्य है. चुनाव जीतने के लिए मध्यप्रदेश को कंगाल करने की तैयारी बीजेपी की है. वहीं राज्य के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि हम विकास के लिए कर्ज ले रहे हैं, जो लिमिट के अंदर है. यह कर्ज बाजार से उठा रहे हैं, लेकिन इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ विकास में पैसा खर्च किया जायेगा.

Last Updated : Sep 13, 2023, 9:40 AM IST
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