दिल्ली/भोपाल: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है. जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे सहित 7 हस्तियों को पद्म विभूषण सम्मान देने की घोषणा की गई है. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन सहित 10 हस्तियों को पद्म भूषण सम्मान दिया जाएगा. देश की उत्कृष्ट सेवा करने वाले 102 हस्तियों को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा.
![Sumitra Mahajan honored with Padma Bhushan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10379500_padmabhushanfinal.jpg)
ताई को पद्म भूषण सम्मान
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर की पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन को पद्म भूषण सम्मान दिया जाएगा. मध्यप्रदेश के लिए ये गौरव की बात है.इंदौर में ताई के नाम से मशहूर सुमित्रा महाजन ने 80 के दशक में अपनी राजनीतिक जिंदगी की शुरुआत की. सुमित्रा महाजन देश की पहली महिला सांसद हैं जो कभी लोकसभा चुनाव नहीं हारी. आठ बार सुमित्रा महाजन लोकसभा सांसद रहीं.
![Padmakshi to Bhuri Bai and Kapil Tiwari](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10379500_padmashritable1.png)
एमपी की भूरी बाई और कपिल तिवारी को पद्मश्री
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित अलंकरण में मध्य प्रदेश की दो और प्रतिभाओं को पद्मश्री के लिए चुना गया है. मध्यप्रदेश के कपिल तिवारी और भूरी बाई को पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा की गई है. कपिल तिवारी को साहित्य और शिक्षा और एमपी की ही भूरी बाई को कला के क्षेत्र में पद्मश्री देने की घोषणा की गई है.
ताई का सियासी सफर
- साल 1982 में इंदौर नगर में उन्हें वरिष्ठ पार्षद मनोनीत किया गया और 1984 में उन्हें उप-महापौर बनाया.
- 1985 में उन्होंने इंदौर क्रमांक तीन से भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा, जिसमें वह इंदौर के कांग्रेसी दिग्गज महेश जोशी से हार गईं.
- प्रकाशचंद्र सेठी इंदौर जो पांचवीं बार सांसद बनते लेकिन 1989 में कांग्रेस विरोधी लहर के चलते सुमित्रा महाजन से हार गए.
- तब से साल 2014 तक सुमित्रा महाजन ही लगातार आठ चुनाव जीतकर लोकसभा में इंदौर का प्रतिनिधित्व करती रहीं.
- 2002 से 2004 तक केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में राज्यमंत्री भी रहीं
- 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 तक सुमित्रा ताई सांसद रहीं.
पीएम नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में सुमित्रा महाजन के सियासी तजरुबे और वरिष्ठता को देखते हुए उन्हें 16वीं लोकसभा का अध्यक्ष बनाया गया था. हालांकि, 17वीं लोकसभा में उन्हें इंदौर से टिकट नहीं दिया गया. इस तरह सुमित्रा महाजन के 40 साल के सियासी करियर को एक तरह से विराम लग गया.