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एनआरसी पर दिग्विजय ने केंद्र को घेरा, कहा- पीएम से लेकर गृहमंत्री बोल रहे झूठ - नागरिकता संशोधन कानून

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भोपाल पहुंचे, जहां उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर बीजेपी पर जमकर निशाना साधा.

Former Chief Minister Digvijay Singh
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह
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Published : Jan 23, 2020, 8:28 PM IST

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सीएए भारत के संविधान की मूल भावना, समानता और सामाजिक न्याय के अधिकार का उल्लंघन है. सीएए की कोई आवश्यकता नहीं है.

CAA पर दिग्विजय सिंह का बयान

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि देश के हालात को देखकर मुसलमान डरा हुआ है. पूरी व्यवस्था से निराश है और अब आशा की किरण सिर्फ न्याय व्यवस्था पर है. उनका कहना है कि एक असंवैधानिक कानून को सुप्रीम कोर्ट गिराती है या फिर कायम रखती है, अगर उन्होंने इस निर्णय को कायम रखा और असंवैधानिक को संवैधानिक मान लिया, तो यह धर्मनिरपेक्षता के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी.

उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां आरएसएस कहती है कि जो हिंदुस्तान में जन्मा है, वह हिंदू है, लेकिन अगर जो अमेरिका या अफ्रीका में हिंदू जन्मा है, तो उसका क्या होगा. आरएसएस कहती है कि असम में 40 लाख बांग्लादेशी घुस आए हैं, जब एनआरसी तैयार हुआ तो साढ़े 12 लाख हिंदू और नेपाली और 7 लाख मुसलमान निकले. अब अपनी गलती को ठीक करने के लिए पूरे देश में एनआरसी लागू करना चाहते हैं.

एनआरसी पर दिग्विजय ने घेरा

दिग्विजय सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति कहते हैं कि हम पूरे देश में एनआरसी लागू करेंगे. अमित शाह पहले सिटीजन एक्ट फिर एनपीआर और फिर एनआरसी लागू करने की बात करते हैं. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री कहते हैं कि सब झूठ बोलते हैं. यानि कैबिनेट सेक्रेटरी ने बिना कैबिनेट मंजूरी के राष्ट्रपति का अभिभाषण छपवा दिया.

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सीएए भारत के संविधान की मूल भावना, समानता और सामाजिक न्याय के अधिकार का उल्लंघन है. सीएए की कोई आवश्यकता नहीं है.

CAA पर दिग्विजय सिंह का बयान

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि देश के हालात को देखकर मुसलमान डरा हुआ है. पूरी व्यवस्था से निराश है और अब आशा की किरण सिर्फ न्याय व्यवस्था पर है. उनका कहना है कि एक असंवैधानिक कानून को सुप्रीम कोर्ट गिराती है या फिर कायम रखती है, अगर उन्होंने इस निर्णय को कायम रखा और असंवैधानिक को संवैधानिक मान लिया, तो यह धर्मनिरपेक्षता के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी.

उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां आरएसएस कहती है कि जो हिंदुस्तान में जन्मा है, वह हिंदू है, लेकिन अगर जो अमेरिका या अफ्रीका में हिंदू जन्मा है, तो उसका क्या होगा. आरएसएस कहती है कि असम में 40 लाख बांग्लादेशी घुस आए हैं, जब एनआरसी तैयार हुआ तो साढ़े 12 लाख हिंदू और नेपाली और 7 लाख मुसलमान निकले. अब अपनी गलती को ठीक करने के लिए पूरे देश में एनआरसी लागू करना चाहते हैं.

एनआरसी पर दिग्विजय ने घेरा

दिग्विजय सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति कहते हैं कि हम पूरे देश में एनआरसी लागू करेंगे. अमित शाह पहले सिटीजन एक्ट फिर एनपीआर और फिर एनआरसी लागू करने की बात करते हैं. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री कहते हैं कि सब झूठ बोलते हैं. यानि कैबिनेट सेक्रेटरी ने बिना कैबिनेट मंजूरी के राष्ट्रपति का अभिभाषण छपवा दिया.

Intro:भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि देश के हालात को देखकर मुसलमान डरा हुआ है,घबराया हुआ है। वह पूरी व्यवस्था से निराश है और अब आशा की किरण सिर्फ न्याय व्यवस्था पर है। वह देख रहा है कि एक असंवैधानिक कानून को सुप्रीम कोर्ट गिराती है या फिर कायम रखती है।अगर उन्होंने इस निर्णय को कायम रखा और असंवैधानिक को संवैधानिक मान लिया।तो यह है धर्मनिरपेक्षता के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी। दिग्विजय सिंह आज भोपाल में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून पर लंबी चर्चा मैं कहां कि यह कानून सिर्फ देश के मुसलमानों को डराने के लिए लाया गया है।


Body:पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नागरिकता संशोधन कानून पर चर्चा करते हुए कहा सीएए भारत के संविधान की मूल भावना समानता और सामाजिक न्याय के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने कहा है कि सीएए की कोई आवश्यकता नहीं थी। केंद्र सरकार के पास किस को नागरिकता देना है,नहीं देना है, इसका अधिकार है। पूर्व में बने कानून के तहत 11 साल की लंबी अवधि के वीजा पर रह रहे नागरिक आवेदन कर सकते थे। फिर इंटेलिजेंस ब्यूरो तय करता था कि उसे नागरिकता देना है कि नहीं देना है। उसी कानून के तहत जिस को नागरिकता ना देना है, दीजिए। नहीं देना है, मत दीजिए।यह कानून लाने की जरूरत क्या थी। यह कानून सिर्फ इसलिए लाए हैं कि देश के मुसलमानों को डराना है कि अभी तो हम सिर्फ बाहर के लोगों के लिए लाए हैं, अब तुम्हारे लिए भी कर देंगे।भारत के संविधान का उल्लंघन कर दिया है, रोक सको तो रोक लो।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि एक तरफ आर एस एस कहती है कि जो हिंदुस्तान में जन्मा है,वह हिंदू है। लेकिन अगर जो अमेरिका या अफ़्रीका में हिंदू जन्मा है,तो उसका क्या होगा। यह सब लोग कंफ्यूज है, अलग-अलग तरह की बातें करते हैं। कभी कहते हैं कि आरक्षण समाप्त होना चाहिए,कभी कहते हैं कि नहीं होना चाहिए। हमेशा कहते थे कि असम में 40 लाख बांग्लादेशी घुस आए हैं। जब एनआरसी तैयार हुआ,तो साढ़े 19 लाख निकले,जिसमें साढ़े 12 लाख हिंदू और नेपाली निकले। केवल 7 लाख मुसलमान हैं। अब अपनी गलती को ठीक करने के लिए पूरे देश में एनआरसी लागू करना चाहते हैं।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह अजीब बात है कि 2019 के राष्ट्रपति के अभिभाषण में कहते हैं कि हम पूरे देश में एनआरसी लागू करेंगे। अमित शाह तो क्रोनोलॉजिकल ऑर्डर में बताते हैं। पहले सिटीजन एक्ट फिर एनपीआर और फिर एनआरसी लागू करेंगे। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री भाषण देते हैं कि सब झूठ बोलते हैं। 130 करोड़ जनता से मैं कहना चाहता हूं कि एनआरसी की चर्चा ही नहीं हुई है। यदि एनआरसी की चर्चा नहीं हुई है, तो राष्ट्रपति के अभिभाषण की कैबिनेट मंजूरी होती है। यानि कैबिनेट सेक्रेटरी ने बिना कैबिनेट मंजूरी के राष्ट्रपति का अभिभाषण छपवा दिया और वह बात कह दी जिसका कैबिनेट में जिक्र नहीं हुआ था,यह हमारी समझ से परे है।


Conclusion:दिग्विजय सिंह ने कहा कि जिस प्रकार के आजा हालात हो गए हैं। मैं कहना चाहता हूं कि मुझे मुस्लिम परस्त कहा जाता है। मैं ना हिंदू परस्त हूं, ना मुस्लिम परस्त हूं, मैं देश परस्त हूं। मेरे लिए इस देश की अनेकता में एकता सबसे बड़ी ताकत है। मैं इंडियन फर्स्ट फिर हिंदू या कुछ और हूं। यह भावना जब तक हम लोग कायम नहीं रखेंगे, तो देश को नहीं बचा पाएंगे। आज देश का मुसलमान घबराया हुआ है, डरा हुआ है। राजनीतिक दलों और व्यवस्था से निराश है। एक अंतिम किरण न्याय व्यवस्था से बची हुई है। वह देख रहा है कि असंवैधानिक नागरिक कानून को सुप्रीम कोर्ट गिराती है या कायम रहती है। असंवैधानिक कानून को अगर सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक मान लिया, तो यह धर्मनिरपेक्षता के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी। उसके बाद देश के हालात क्या होंगे,हम नहीं समझ सकते हैं। क्योंकि जिस प्रकार देश के लोगों में रोष है। आप अंदाजा नहीं लगा सकते हैं।जो आंदोलन चल रहा है,वह राजनीतिक दलों के हाथ से निकल कर छात्रों और अल्पसंख्यकों का हो गया है। अल्पसंख्यकों में पुरुष नेताओं को अलग कर दिया गया है, महिलाएं आंदोलन कर रही हैं। मैं सुप्रीम कोर्ट से अपील करता हूं कि कृपया कर इस पर उचित न्याय करें। अन्यथा देश में क्या होगा, हम नहीं समझ पाएंगे।
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