भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सीएए भारत के संविधान की मूल भावना, समानता और सामाजिक न्याय के अधिकार का उल्लंघन है. सीएए की कोई आवश्यकता नहीं है.
दिग्विजय सिंह ने कहा है कि देश के हालात को देखकर मुसलमान डरा हुआ है. पूरी व्यवस्था से निराश है और अब आशा की किरण सिर्फ न्याय व्यवस्था पर है. उनका कहना है कि एक असंवैधानिक कानून को सुप्रीम कोर्ट गिराती है या फिर कायम रखती है, अगर उन्होंने इस निर्णय को कायम रखा और असंवैधानिक को संवैधानिक मान लिया, तो यह धर्मनिरपेक्षता के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी.
उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां आरएसएस कहती है कि जो हिंदुस्तान में जन्मा है, वह हिंदू है, लेकिन अगर जो अमेरिका या अफ्रीका में हिंदू जन्मा है, तो उसका क्या होगा. आरएसएस कहती है कि असम में 40 लाख बांग्लादेशी घुस आए हैं, जब एनआरसी तैयार हुआ तो साढ़े 12 लाख हिंदू और नेपाली और 7 लाख मुसलमान निकले. अब अपनी गलती को ठीक करने के लिए पूरे देश में एनआरसी लागू करना चाहते हैं.
एनआरसी पर दिग्विजय ने घेरा
दिग्विजय सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति कहते हैं कि हम पूरे देश में एनआरसी लागू करेंगे. अमित शाह पहले सिटीजन एक्ट फिर एनपीआर और फिर एनआरसी लागू करने की बात करते हैं. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री कहते हैं कि सब झूठ बोलते हैं. यानि कैबिनेट सेक्रेटरी ने बिना कैबिनेट मंजूरी के राष्ट्रपति का अभिभाषण छपवा दिया.