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अंकल.. कहीं मैं फेल तो नहीं हो जाऊंगा, रिजल्ट को लेकर स्टूडेंट्स के मन में भय, पेरेंट्स नजर रखें - माध्यमिक शिक्षा मंडल की काउंसलिंग

एग्जाम के बाद अब बच्चों में रिजल्ट को लेकर डर सताने लगा है. माध्यमिक शिक्षा मंडल की हेल्पलाइन नंबर पर लगातार बच्चे यही सवाल पूछ रहे हैं कि रिजल्ट कब आएगा और कहीं वह फेल तो नहीं हो जाएंगे. इसको लेकर मनोचिकित्सक कहते हैं कि माता-पिता को भी इस दौरान बच्चों के साथ समय बिताने की जरूरत है. (Fear in students about the result) (Madhya Pradesh counseling center)

Counseling of Board of Secondary Education
माध्यमिक शिक्षा मंडल की हेल्पलाइन नंबर
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Published : Apr 25, 2022, 4:15 PM IST

भोपाल। कोरोना काल के दो साल बाद मध्यप्रदेश में बोर्ड की परीक्षाएं सामान्य रूप से स्कूलों में कराई गईं. इसको लेकर छात्रों में भी खासा उत्साह देखा गया और बड़ी संख्या में बच्चे परीक्षा देने पहुंचे थे । दसवीं और बारहवीं के छात्रों ने वैक्सीन भी लगवाई और एग्जाम भी दिया. लेकिन अब इनको रिजल्ट का डर सताने लगा है. रिजल्ट कैसा आएगा और उनका कितना प्रतिशत बनेगा. इसको लेकर छात्रों की चिंता बढ़ गई है. दरअसल, पिछले 2 सालों में कोरोना के कारण परीक्षाएं ऑनलाइन हुई थीं. ऐसे में इस बार ऑफलाइन परीक्षाओं के बाद कॉपी भी ऑफलाइन तरीके से स्कूलों में ही चेक की गई हैं. इसके बाद से ही बच्चों के मन में रिजल्ट को लेकर डर है.

रिजल्ट को लेकर भयभीत हैं बच्चे : बच्चे किस प्रकार भयभीत हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 10वीं और 12वीं के बच्चों के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन सेवाओं में रोज बच्चों के प्रश्न इसी से जुड़े आ रहे हैं. माध्यमिक शिक्षा मंडल के कैंपस में ही बच्चों की काउंसलिंग के लिए इस तरह की व्यवस्था की गई है. यहां रोजाना 100 से 300 कॉल बच्चों के आते हैं, जिसमें हर 100 में से 80 बच्चों का यही प्रश्न होता है कि रिजल्ट कब आएगा, जबकि 25 से 30 बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें फेल होने का डर भी सताता है. बच्चों की काउंसलिंग करने वाली संगीता बताती हैं कि अधिकतर बच्चे रिजल्ट कब आएगा, इसको लेकर प्रश्न करते हैं. कई बच्चों के मन में यही शंका होती है कि वह इस बार पास भी हो पाएंगे या नहीं. क्योंकि पिछले दो सीजन ऑनलाइन परीक्षाओं के गुजरे थे.

बच्चों को घबराने की जरूरत नहीं : काउंसलिंग सेंटर के हेड हेमंत शर्मा कहते हैं कि बच्चों को डरने और घबराने की जरूरत नहीं है. उनके समाधान के लिए ही इस काउंसलिंग सेंटर की स्थापना सरकार द्वारा की गई है. वह बताते हैं कि बच्चों को सबसे ज्यादा चिंता अब यही है कि उनका रिजल्ट कब आएगा. दरअसल, मध्य प्रदेश में इस बार दसवीं का एग्जाम देने वाले साढ़े 10 लाख से अधिक स्टूडेंट्स हैं, जबकि 7 लाख से अधिक बच्चों ने 12वीं का एग्जाम दिया है. ऐसे में इनकी कुल संख्या लगभग 17.50 लाख से अधिक है.

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माता-पिता की भी जिम्मेदारी : एग्जाम के रिजल्ट को लेकर बच्चों का डर अपनी जगह है लेकिन मनोचिकित्सक इसको लेकर अलग तर्क रखते हैं. मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य कहती हैं की एग्जाम के डर को दूर करने के लिए माता-पिता को लगातार बच्चों से बात करते रहना चाहिए, क्योंकि इस डर की वजह से ही बच्चे गलत कदम उठा लेते हैं. क्योंकि उन पर माता-पिता का इतना प्रेशर होता है कि वह पास ना होने पर कुछ भी करने से नहीं चूकते. बता दें कि जो भी बच्चे एग्जाम से जुड़ी या अन्य जानकारी चाहते हैं, वे माध्यमिक शिक्षा मंडल की काउंसलिंग पर फोन कर जानकारी हासिल कर सकते हैं. इसके लिए बच्चों को 18002330175 पर कॉल करने होगा, जो सुबह 8:00 से रात के 8:00 बजे तक चालू रहती है. (Fear in students about the result) (Madhya Pradesh counseling center)

भोपाल। कोरोना काल के दो साल बाद मध्यप्रदेश में बोर्ड की परीक्षाएं सामान्य रूप से स्कूलों में कराई गईं. इसको लेकर छात्रों में भी खासा उत्साह देखा गया और बड़ी संख्या में बच्चे परीक्षा देने पहुंचे थे । दसवीं और बारहवीं के छात्रों ने वैक्सीन भी लगवाई और एग्जाम भी दिया. लेकिन अब इनको रिजल्ट का डर सताने लगा है. रिजल्ट कैसा आएगा और उनका कितना प्रतिशत बनेगा. इसको लेकर छात्रों की चिंता बढ़ गई है. दरअसल, पिछले 2 सालों में कोरोना के कारण परीक्षाएं ऑनलाइन हुई थीं. ऐसे में इस बार ऑफलाइन परीक्षाओं के बाद कॉपी भी ऑफलाइन तरीके से स्कूलों में ही चेक की गई हैं. इसके बाद से ही बच्चों के मन में रिजल्ट को लेकर डर है.

रिजल्ट को लेकर भयभीत हैं बच्चे : बच्चे किस प्रकार भयभीत हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 10वीं और 12वीं के बच्चों के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन सेवाओं में रोज बच्चों के प्रश्न इसी से जुड़े आ रहे हैं. माध्यमिक शिक्षा मंडल के कैंपस में ही बच्चों की काउंसलिंग के लिए इस तरह की व्यवस्था की गई है. यहां रोजाना 100 से 300 कॉल बच्चों के आते हैं, जिसमें हर 100 में से 80 बच्चों का यही प्रश्न होता है कि रिजल्ट कब आएगा, जबकि 25 से 30 बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें फेल होने का डर भी सताता है. बच्चों की काउंसलिंग करने वाली संगीता बताती हैं कि अधिकतर बच्चे रिजल्ट कब आएगा, इसको लेकर प्रश्न करते हैं. कई बच्चों के मन में यही शंका होती है कि वह इस बार पास भी हो पाएंगे या नहीं. क्योंकि पिछले दो सीजन ऑनलाइन परीक्षाओं के गुजरे थे.

बच्चों को घबराने की जरूरत नहीं : काउंसलिंग सेंटर के हेड हेमंत शर्मा कहते हैं कि बच्चों को डरने और घबराने की जरूरत नहीं है. उनके समाधान के लिए ही इस काउंसलिंग सेंटर की स्थापना सरकार द्वारा की गई है. वह बताते हैं कि बच्चों को सबसे ज्यादा चिंता अब यही है कि उनका रिजल्ट कब आएगा. दरअसल, मध्य प्रदेश में इस बार दसवीं का एग्जाम देने वाले साढ़े 10 लाख से अधिक स्टूडेंट्स हैं, जबकि 7 लाख से अधिक बच्चों ने 12वीं का एग्जाम दिया है. ऐसे में इनकी कुल संख्या लगभग 17.50 लाख से अधिक है.

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माता-पिता की भी जिम्मेदारी : एग्जाम के रिजल्ट को लेकर बच्चों का डर अपनी जगह है लेकिन मनोचिकित्सक इसको लेकर अलग तर्क रखते हैं. मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य कहती हैं की एग्जाम के डर को दूर करने के लिए माता-पिता को लगातार बच्चों से बात करते रहना चाहिए, क्योंकि इस डर की वजह से ही बच्चे गलत कदम उठा लेते हैं. क्योंकि उन पर माता-पिता का इतना प्रेशर होता है कि वह पास ना होने पर कुछ भी करने से नहीं चूकते. बता दें कि जो भी बच्चे एग्जाम से जुड़ी या अन्य जानकारी चाहते हैं, वे माध्यमिक शिक्षा मंडल की काउंसलिंग पर फोन कर जानकारी हासिल कर सकते हैं. इसके लिए बच्चों को 18002330175 पर कॉल करने होगा, जो सुबह 8:00 से रात के 8:00 बजे तक चालू रहती है. (Fear in students about the result) (Madhya Pradesh counseling center)

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