भोपाल। मध्य प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र गोस्वामी ने बताया कि कोविड के संकटकाल में विभाग के चिकित्सकों द्वारा अपनी चिंता न कर मरीजों के हित में और जनहित में संक्रमण रोकने में अच्छा कार्य किया हैं. वर्तमान में लगभग 800 से 900 पीजी चिकित्सक विभाग में कार्यरत है. मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ ने पूर्व भी शासन से अनुरोध किया था कि विषय विशेज्ञता का लाभ जनहित में, मरीज हित में हो. इसलिए सभी पीजी मेडिकल ऑफिसर को विशेषज्ञ पद पर अपग्रेड किया जाए. लेकिन इस बार अभी तक कोई कार्रवाई शासन के द्वारा नहीं की गई.
- भर्ती नियमों में सामने आई गड़बड़ी
अभी हाल ही में हुए निर्णय के अनुसार 75% पदों पर पदोन्नति और 25% पदों पर विशेषज्ञ की सीधी भर्ती का प्रावधान किया जा रहा है, जबकि भर्ती नियम में सभी पदों को पदोन्नति से भरने का नियम था. अभी के निर्णय से चिकित्सकों में रोष व्याप्त हो रहा है, क्योंकि अगर सीधी भर्ती से विशेषज्ञ पद पर नियुक्ति की जाएगी तो पूर्व से विभाग में कार्यरत पीजी मेडिकल ऑफीसर की वरिष्ठता प्रभावित होगी. और उन्हें वरिष्ठ होने के बावजूद भी अपने कनिष्ठ के मातहत कार्य करना पड़ेगा.
ऊर्जा विभाग के आउटसोर्स कर्मचारियों को कलेक्ट्रेट रेट पर मिले वेतन- ऊर्जा मंत्री
- पुलिस विभाग में भी हुआ अपग्रेडेशन
मुख्यमंत्री की भी मंशा रही है कि विभागों में लंबे समय से कार्यरत कर्मचारियों और अधिकारियों को पदोन्नत या अपग्रेड किया जाए, इसी तारतम्य में पुलिस विभाग में कार्यरत कर्मचारियों और अधिकारियों को उनके कार्यावधि के अनुरूप एक वरिष्ठ पद दिया गया है. लेकिन चिकित्सा विभाग में अपग्रेडेशन नहीं हुआ.
- मांग पूरी नहीं होने पर करेंगे आंदोलन
मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि विभाग में कार्यरत सभी पीजी चिकित्सकों को विशेषज्ञों के रिक्त पदों पर अपग्रेड कर उन्हें विशेषज्ञ बनाया जाए. शीघ्र ही पीजी मेडिकल ऑफिसर्स को विशेषज्ञ पदों पर अपग्रेड किया जाए, अन्यथा चिकित्सक चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.