भोपाल। मध्य प्रदेश पोल कैश मामले में सोमवार को ईओडब्ल्यू एफआईआर दर्ज कर सकती है. इस मामले से जुड़े दस्तावेज ईओडब्ल्यू की टीम के पास पहुंच चुके हैं. माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के अध्ययन के बाद ईओडब्ल्यू इस मामले में एफआईआर दर्ज कर सकती है. यह भी बताया जा रहा है कि मामला दर्ज करने के बाद मध्य प्रदेश के कई नेता, मंत्री और विधायकों से पूछताछ हो सकती है.
- सोमवार को दर्ज होगी FIR !
साल 2019 लोकसभा चुनाव के समय दिल्ली की इनकम टैक्स विभाग की टीम ने मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों के 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस दौरान कई दस्तावेज और फाइलें जब्त की गई थी. आयकर विभाग की शीर्ष संस्था सीबीडीटी ने इन दस्तावेजों की जांच कर एक रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी है. चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को इस मामले में प्राथमिक जांच दर्ज करने के आदेश दिए हैं. अब यह दस्तावेज ईओडब्ल्यू की टीम के पास पहुंच चुके हैं और माना जा रहा है कि सोमवार को ईओडब्ल्यू की टीम इस मामले में प्राथमिक जांच दर्ज कर सकती है.
दिग्विजय सिंह समेत 64 लोगों से की जा सकती है पूछताछ
पोल कैश मामले में माना जा रहा है कि सोमवार को ईओडब्ल्यू प्राथमिक जांच दर्ज कर सकती है. जांच दर्ज करने के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कई नेता मंत्रियों और विधायकों से पूछताछ की जा सकती है. आयकर विभाग की जो सूची सामने आई है इस सूची में दिग्विजय सिंह समेत 64 नेता, मंत्री और विधायकों के नाम शामिल है. इन नामों के आगे राशि भी लिखी हुई है. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद दिग्विजय सिंह समेत इन सभी नेताओं को लेन-देन का हिसाब किताब देना होगा.
दो पुलिस अधिकारी रह चुके हैं EOW में पदस्थ
इस पूरे मामले में 3 आईपीएस अधिकारियों और एक राज्य सेवा पुलिस के अधिकारी का नाम सामने आ रहा है. सीबीडीटी ने इन अधिकारियों की भूमिका की जांच करने के भी आदेश दिए हैं. जिनमें आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी भी शामिल हैं. सुशोभन बनर्जी लोकसभा चुनाव के वक्त ईओडब्ल्यू में डीजी के पद पर पदस्थ थे. तो वही राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा ईओडब्ल्यू में एसपी के पद पर पदस्थ थे. जानकारों का मानना है कि दोनों ही अधिकारी जांच के घेरे में हैं, और दोनों ही ईओडब्ल्यू में पदस्थ रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में दोनों ही ईओडब्ल्यू की जांच को प्रभावित भी कर सकते हैं.
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क्या है पूरा मामला ?
अप्रैल 2019 को दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सलाहकार आर के मिगलानी, ओएसडी प्रवीण कक्कड़, कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी और एक अन्य कारोबारी अश्विन शर्मा के कुल 52 ठिकानों पर छापे मार कार्रवाई की थी. इस दौरान आयकर विभाग की टीम ने कई अहम दस्तावेज और फाइलें यहां से जब्त तक की थी. इन दस्तावेजों और फाइलों की सीबीडीटी ने बारीकी से जांच की है और जांच कर एक विस्तृत रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी गई है. जिसमें आईपीएस अधिकारियों समेत नेता,मंत्रियों और कारोबारियों के नाम शामिल हैं. इसे लेकर चुनाव आयोग ने ईओडब्ल्यू को प्राथमिक जांच दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
आयकर विभाग ने 14 करोड रुपए की बेहिसाब नकदी, डायरियां, कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थीं. इन्ही दस्तावेजों में करोड़ों रुपए के लेनदेन का हिसाब दर्ज था. दस्तावेजों में यह प्रमाण भी मिला कि 20 करोड़ रुपये की राशि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के दिल्ली स्थित मुख्यालय भेजी गई. इन छापों में कुल 281 करोड़ रुपए के लेनदेन का पुख्ता प्रमाण आयकर विभाग को मिला है. यह रुपए अलग-अलग कारोबारी नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों से एकत्र किया गया था और हवाला के जरिए दिल्ली तुगलक रोड स्थित राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय भेजा गया.