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कर्मचारियों को आम बजट से मिली निराशा, अब कमलनाथ से लगाई उम्मीद

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Published : Feb 5, 2020, 6:46 PM IST

Updated : Feb 5, 2020, 6:56 PM IST

मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्र सरकार के बजट ने काफी निराश किया है. ऐसे में कमलनाथ सरकार से कर्मचारियों ने उम्मीद लगाई है कि प्रदेश सरकार अपने बजट में उनके हितों का खयाल रखेगी.

Employees expect Kamal Nath budget in bhopal
कर्मचारियों को बजट में मोदी से मिली निराशा

भोपाल। कर्मचारियों को हर साल केंद्र और राज्य सरकार के बजट का बेसब्री से इंतजार रहता है. केंद्र और राज्य के कर्मचारियों को मोदी सरकार से उम्मीद थी कि, आयकर में राहत मिलेगी. मोदी सरकार ने आयकर की सीमा तो पांच लाख रखी, लेकिन कर्मचारियों को मिलने वाली तमाम तरह की छूट को समाप्त कर दिया है. प्रदेश सरकार के कर्मचारी कमलनाथ सरकार से उम्मीद लगा रहे हैं कि, आर्थिक तंगी के कारण वेतन और अन्य भत्तों में हो रही देरी पर काबू पाने के लिए सरकार अपने आगामी बजट में बेहतर व्यवस्था करे. हालांकि आर्थिक तंगी से जूझ रही प्रदेश सरकार के बजट में कटौती हुई है. ऐसे में कर्मचारियों की उम्मीदों पर खरा उतरना प्रदेश सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.

कर्मचारियों को बजट में मोदी से मिली निराशा

मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के महामंत्री लक्ष्मी नारायण शर्मा बताते हैं कि ,केंद्र का जो बजट आया है. उसमें तो कर्मचारियों को पूर्ण रूप से निराश किया है. कर्मचारियों ने जो उम्मीद लगाई थी, तो उम्मीदों का हश्र ये हुआ है कि खोदा पहाड़ और चूहा भी नहीं निकला. इस बार आयकर के 168 सालों के इतिहास में सरकार ने एक वैकल्पिक व्यवस्था कर दी है जो नई दरें आई हैं, उसमें पांच लाख तक की आय को टैक्स से मुक्त किया गया है, लेकिन इसके साथ कर्मचारियों को मिलने वाली 70 प्रकार की छूटें समाप्त कर दी गई हैं. अभी तो सरकार की मजबूरी है कि, सरकार ने जो पुरानी दर और नई दर पर टैक्स जमा करने की वैकल्पिक व्यवस्था दी है.

वहीं कमलनाथ सरकार का बजट अब आने वाला है. कर्मचारियों को कमलनाथ सरकार के बजट से भी काफी उम्मीदें हैं. इस मामले में लक्ष्मी नारायण शर्मा का कहना है कि, राज्य सरकार में जो सबसे बड़ी समस्या कर्मचारियों की है, वो ये है कि जो जुलाई 2019 का पांच फीसदी महंगाई भत्ता है. वो आर्थिक तंगी के कारण सरकार आज तक कर्मचारियों को नहीं दे पाई है. वहीं दूसरी तरफ जितनी भी योजनाएं हैं. उनमें जो कर्मचारी काम करते हैं, उनके लिए पर्याप्त बजट नहीं होता है.

भोपाल। कर्मचारियों को हर साल केंद्र और राज्य सरकार के बजट का बेसब्री से इंतजार रहता है. केंद्र और राज्य के कर्मचारियों को मोदी सरकार से उम्मीद थी कि, आयकर में राहत मिलेगी. मोदी सरकार ने आयकर की सीमा तो पांच लाख रखी, लेकिन कर्मचारियों को मिलने वाली तमाम तरह की छूट को समाप्त कर दिया है. प्रदेश सरकार के कर्मचारी कमलनाथ सरकार से उम्मीद लगा रहे हैं कि, आर्थिक तंगी के कारण वेतन और अन्य भत्तों में हो रही देरी पर काबू पाने के लिए सरकार अपने आगामी बजट में बेहतर व्यवस्था करे. हालांकि आर्थिक तंगी से जूझ रही प्रदेश सरकार के बजट में कटौती हुई है. ऐसे में कर्मचारियों की उम्मीदों पर खरा उतरना प्रदेश सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.

कर्मचारियों को बजट में मोदी से मिली निराशा

मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के महामंत्री लक्ष्मी नारायण शर्मा बताते हैं कि ,केंद्र का जो बजट आया है. उसमें तो कर्मचारियों को पूर्ण रूप से निराश किया है. कर्मचारियों ने जो उम्मीद लगाई थी, तो उम्मीदों का हश्र ये हुआ है कि खोदा पहाड़ और चूहा भी नहीं निकला. इस बार आयकर के 168 सालों के इतिहास में सरकार ने एक वैकल्पिक व्यवस्था कर दी है जो नई दरें आई हैं, उसमें पांच लाख तक की आय को टैक्स से मुक्त किया गया है, लेकिन इसके साथ कर्मचारियों को मिलने वाली 70 प्रकार की छूटें समाप्त कर दी गई हैं. अभी तो सरकार की मजबूरी है कि, सरकार ने जो पुरानी दर और नई दर पर टैक्स जमा करने की वैकल्पिक व्यवस्था दी है.

वहीं कमलनाथ सरकार का बजट अब आने वाला है. कर्मचारियों को कमलनाथ सरकार के बजट से भी काफी उम्मीदें हैं. इस मामले में लक्ष्मी नारायण शर्मा का कहना है कि, राज्य सरकार में जो सबसे बड़ी समस्या कर्मचारियों की है, वो ये है कि जो जुलाई 2019 का पांच फीसदी महंगाई भत्ता है. वो आर्थिक तंगी के कारण सरकार आज तक कर्मचारियों को नहीं दे पाई है. वहीं दूसरी तरफ जितनी भी योजनाएं हैं. उनमें जो कर्मचारी काम करते हैं, उनके लिए पर्याप्त बजट नहीं होता है.

Intro:भोपाल। कर्मचारियों को हर साल केंद्र और राज्य सरकार के बजट का बेसब्री से इंतजार रहता है। केंद्र सरकार के बजट का इंतजार इसलिए रहता है। क्योंकि केंद्र सरकार हर साल आयकर की नई दरों का निर्धारण करती है और कर्मचारी वर्ग पर इसका सीधा असर पड़ता है। केंद्र और राज्य के कर्मचारियों को मोदी सरकार से उम्मीद थी कि आयकर में राहत मिलेगी। मोदी सरकार ने आयकर की सीमा तो 5 लाख रखी। लेकिन कर्मचारियों को मिलने वाली तमाम तरह की छूट को समाप्त कर दिया। मप्र सरकार के कर्मचारी कमलनाथ सरकार से उम्मीद लगा रहे हैं कि आर्थिक तंगी के कारण वेतन और अन्य भत्तों में हो रही देरी पर काबू पाने के लिए सरकार अपने आगामी बजट में बेहतर व्यवस्था करें। हालांकि आर्थिक तंगी से जूझ रही मप्र सरकार को केंद्रीय बजट में प्रदेश के हिस्से में कटौती हुई है।ऐसे में कमलनाथ सरकार कर्मचारियों की उम्मीद पर खरी उतरती है कि नहीं,यह देखने लायक होगा।


Body:दरअसल,केंद्रीय कर्मचारियों या राज्य कर्मचारी हो,उन्हें मोदी सरकार से उम्मीद थी कि इस बजट में मोदी सरकार उनको आयकर में और ज्यादा राहत देगी। लेकिन बजट में जो हासिल हुआ, उसको लेकर कर्मचारियों में नाराजगी है। मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के महामंत्री लक्ष्मी नारायण शर्मा बताते हैं कि केंद्र का जो बजट आया है।उसने तो कर्मचारियों को पूर्ण रूप से निराश किया है। कर्मचारियों ने जो उम्मीद लगाई थी तो उम्मीदों का हश्र यह हुआ है कि खोदा पहाड़ और चूहा भी नहीं निकला।लोग कहते थे कि बजट में कम से कम इतनी व्यवस्था हो कि ऊंट के मुंह में जीरे के समान दिखाई दे। लेकिन इस बार जो केंद्रीय बजट आया है। उसमें नौकरी पेशा लोगों को सीधे-सीधे प्रभावित किया है। क्योंकि कर्मचारी वर्ग सबसे ज्यादा आयकर से प्रभावित होता है। इस बार आयकर के 168 वर्षों के इतिहास में सरकार ने एक वैकल्पिक व्यवस्था कर दी है।जो नई दरें आई है, उसमें पांच लाख तक की आय को टैक्स से मुक्त किया गया है। लेकिन इसके साथ कर्मचारियों को मिलने वाली 70 प्रकार की छूटें समाप्त कर दी गई है।अभी तो सरकार की मजबूरी है कि सरकार ने जो पुरानी दर और नई दर पर टैक्स जमा करने की वैकल्पिक व्यवस्था दी है। लेकिन अगर दोनों को चुनने की कोशिश करें। तो निश्चित रूप से नई दरों में कर्मचारी को 30 से लेकर 70 हजार तक अधिक आयकर का भुगतान करना पड़ेगा। यह भी तय हो गया है,क्योंकि केंद्रीय वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया है कि यह छूट लंबे समय तक नहीं दी जाएगी।तो आने वाले समय में कर्मचारी को 70 हजार से ज्यादा आयकर भुगतना पड़ेगा। उसे कर्मचारियों की कमर टूट जाएगी।


Conclusion:वही कमलनाथ सरकार का बजट अब आने वाला है।कर्मचारियों को कमलनाथ सरकार के बजट से भी काफी उम्मीदें हैं।इस मामले में लक्ष्मी नारायण शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार में जो सबसे बड़ी समस्या कर्मचारियों की है,वह यह है कि जो जुलाई 2019 का 5 फ़ीसदी महंगाई भत्ता है। वह आर्थिक तंगी के कारण सरकार आज तक कर्मचारियों को नहीं दे पाई है। वहीं दूसरी तरफ जितनी भी योजनाएं हैं। उनमें जो कर्मचारी काम करते हैं,उनके लिए पर्याप्त बजट नहीं होता है। जिसके कारण कर्मचारियों को तीन-तीन चार-चार महीने वेतन का इंतजार करना पड़ता है। यह बहुत दुखदाई व्यवस्था है। राज्य सरकार के इस बजट से हम उम्मीद कर रहे हैं कि वेतन और अन्य मदों के लिए जो राशि चाहिए। उसमें सरकार बजट में पर्याप्त व्यवस्था करें। जिससे कर्मचारियों को वेतन के लाले ना पड़े।

बाइट - लक्ष्मी नारायण शर्मा - महामंत्री, मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ।
Last Updated : Feb 5, 2020, 6:56 PM IST
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