भोपाल। मध्यप्रदेश के कर्मचारी वर्ग के लिए साल 2020 अच्छा साबित होने वाला है. क्योंकि लंबे समय से अटका महंगाई भत्ते का मामला सुलझने की कगार पर पहुंच गया है. कमलनाथ सरकार प्रदेश के 10 लाख से ज्यादा कर्मचारियों का 5 फ़ीसदी महंगाई भत्ता (डीए ) नए वित्तीय वर्ष में बढ़ाने जा रही है. जिसकी कवायद शुरू कर दी गई है.
कर्मचारियों को अभी 12 फ़ीसदी डीए मिल रहा है. कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशनर्स को भी इसका लाभ दिया जाएगा. वित्तीय विभाग ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है. अंतिम फैसले के लिए प्रस्ताव कैबिनेट के सामने जल्द रखने की तैयारी की जा रही है. पेंशनर्स को महंगाई राहत देने का फैसला तो लिया जा सकता है,लेकिन भुगतान छत्तीसगढ़ से सहमति मिलने के बाद ही हो पाएगा.
प्रदेश में अखिल भारतीय सेवा के सदस्यों का 5 फ़ीसदी डीए सामान्य प्रशासन विभाग ने 24 अक्टूबर को 1 जुलाई 2019 से बढ़ा दिया. लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों को लेकर अब तक निर्णय नहीं हुआ है. दरअसल प्रदेश की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं है कि एकमुश्त इतनी राशि व्यय की जा सके. लिहाजा राज्य के कर्मचारियों और पेंशनर्स के मामले में निर्णय लंबे समय से नहीं पा रहा था. यही वजह है कि यह मामला काफी दिनों से अटका पड़ा था.
तरूण भनोट ने अधिकारियों को दिए निर्देश
बताया जा रहा है कि वित्त मंत्री तरुण भनोट ने प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनर्स का डीए / डीआर बढ़ाए जाने को लेकर प्रस्ताव कैबिनेट के पास रखने के दिशा निर्देश अधिकारियों को दे दिए है. जिससे इसे हर हाल में कैबिनेट में सही समय पर रखा जा सके. केंद्र सरकार ने 14 अक्टूबर को कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 12 फ़ीसदी से बढ़ाकर 17 फ़ीसदी कर दिया था. आमतौर पर एक बार में 2 फ़ीसदी डीए बढ़ाया जाता रहा है लेकिन इस बार पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी गई है.
छत्तीसगढ़ की अनुमति है जरूरी
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के द्वारा जनवरी में एक बार फिर से डीए में वृद्धि की जाएगी यदि ऐसा होता है तो फिर राज्य दिए डीआर को लंबित रखने पर अपना ही आर्थिक बोझ बढ़ाएगी. हालांकि इस मामले में एक बड़ी समस्या यह भी है कि पेंशनर्स का डीआर बढ़ाने को लेकर कैबिनेट भले ही फैसला कर ले पर यह अमल में तभी आ सकता है. जब छत्तीसगढ़ सहमति दे दे. दरअसल राज्य बंटवारा कानून के मुताबिक ऐसे कोई भी कदम एक राज्य अकेला नहीं उठा सकता है. जो दोनों राज्यों की वित्तीय व्यवस्था से जुड़ा हुआ हो. यही वजह है कि इस फैसले में भी सरकार कोई फैसला नहीं ले पा रही है.