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वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों ने मनवाया अपने अभिनय का लोहा, दी शानदार नाटक की प्रस्तुति

शहीद भवन में चल रहे बाल मन नाट्य समारोह के आखिरी दिन बुजुर्गों ने अपने नाटक की प्रस्तुति दी. उन्होंने इसे लेकर अपने अनुभव साझा किए.

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Published : Jun 3, 2019, 3:25 PM IST

भोपाल| शहीद भवन में चल रहे बाल मन नाट्य समारोह के अंतिम दिन 4 नाट्कों की प्रस्तुति दी गई. सघन सोसायटी फॉर कल्चरल एवं वेलफेयर, भोपाल एवं संस्कृति संचालनालय मध्यप्रदेश शासन के सहयोग से बाल मन नाट्य समारोह का आयोजन किया गया है. इस दो दिवसीय नाट्य समारोह में बच्चों ने अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया. वहीं समारोह के आखिरी दिन बुजुर्गों ने भी अपने नाटक की प्रस्तुति दी.

नाटक 'हम सब एक हैं' में बताया गया कि भले ही भारत देश में अलग-अलग धर्मों के लोग निवास करते हों, लेकिन जब तिरंगे झंडे के नीचे सब एक साथ जमा होते हैं, तो सभी इसी ध्वज के आगे सब अपना मस्तक झुकाते हैं. यही एकता भारत को दुनिया के अन्य देशों से अलग बनाती है. इस नाटक में बताया गया कि यहां हर धर्म के त्योहारों को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. देश में रहने वाले विभिन्न धर्मों के लोग अपने ईश्वर की पूजा अलग-अलग माध्यम और अलग विधि से करते हैं, लेकिन सबका मालिक केवल एक ही है.

कार्यक्रम में प्रस्तुति देते बुजुर्ग कलाकार

बाल मन नाट्य समारोह के आखिरी दिन नाटक "हम सब एक हैं" की प्रस्तुति दी गई. हेमंत योगी द्वारा लिखित नाटक का निर्देशन मुकुल त्रिपाठी ने किया. बुजुर्गों ने बताया कि वे पिछले 15 दिनों से निर्देशक मुकुल त्रिपाठी के निर्देशन में इस नाटक की तैयारी कर रहे थे. उन्हें इस तरह का नाटक करना और अभिनय करना बेहद पसंद है और इससे उन्हें बेहद खुशी मिलती है.
बुजुर्गों ने बताया कि इस तरह एक बड़े मंच पर अपने ऐक्टिंग के माध्यम से लोगों के सामने आना और नाटक की प्रस्तुति देना सचमुच में बड़ा कठिन काम है, लेकिन उन्हें ऐसा करके बहुत अच्छा लगा.

भोपाल| शहीद भवन में चल रहे बाल मन नाट्य समारोह के अंतिम दिन 4 नाट्कों की प्रस्तुति दी गई. सघन सोसायटी फॉर कल्चरल एवं वेलफेयर, भोपाल एवं संस्कृति संचालनालय मध्यप्रदेश शासन के सहयोग से बाल मन नाट्य समारोह का आयोजन किया गया है. इस दो दिवसीय नाट्य समारोह में बच्चों ने अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया. वहीं समारोह के आखिरी दिन बुजुर्गों ने भी अपने नाटक की प्रस्तुति दी.

नाटक 'हम सब एक हैं' में बताया गया कि भले ही भारत देश में अलग-अलग धर्मों के लोग निवास करते हों, लेकिन जब तिरंगे झंडे के नीचे सब एक साथ जमा होते हैं, तो सभी इसी ध्वज के आगे सब अपना मस्तक झुकाते हैं. यही एकता भारत को दुनिया के अन्य देशों से अलग बनाती है. इस नाटक में बताया गया कि यहां हर धर्म के त्योहारों को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. देश में रहने वाले विभिन्न धर्मों के लोग अपने ईश्वर की पूजा अलग-अलग माध्यम और अलग विधि से करते हैं, लेकिन सबका मालिक केवल एक ही है.

कार्यक्रम में प्रस्तुति देते बुजुर्ग कलाकार

बाल मन नाट्य समारोह के आखिरी दिन नाटक "हम सब एक हैं" की प्रस्तुति दी गई. हेमंत योगी द्वारा लिखित नाटक का निर्देशन मुकुल त्रिपाठी ने किया. बुजुर्गों ने बताया कि वे पिछले 15 दिनों से निर्देशक मुकुल त्रिपाठी के निर्देशन में इस नाटक की तैयारी कर रहे थे. उन्हें इस तरह का नाटक करना और अभिनय करना बेहद पसंद है और इससे उन्हें बेहद खुशी मिलती है.
बुजुर्गों ने बताया कि इस तरह एक बड़े मंच पर अपने ऐक्टिंग के माध्यम से लोगों के सामने आना और नाटक की प्रस्तुति देना सचमुच में बड़ा कठिन काम है, लेकिन उन्हें ऐसा करके बहुत अच्छा लगा.

Intro:वृद्ध आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों ने अपने अभिनय का मनवाया लोहा


भोपाल | राजधानी के शहीद भवन में चल रहे बालमन नाट्य समारोह के अंतिम दिन चार नाट्य प्रस्तुति पेश की गई .सघन सोसायटी फॉर कल्चरल एवं वेलफेयर भोपाल एवं संस्कृति संचालनालय मध्यप्रदेश शासन के सहयोग से इस बालमन नाट्य समारोह का आयोजन किया गया है .दो दिवसीय नाट्य समारोह में बच्चों ने अपने अभिनय क्षमता से आए हुए लोगों को रूबरू कराया . लेकिन अंतिम दिन सबसे खास प्रस्तुति रही नाटक" हम सब एक हैं " . इस नाटक को हेमंत योगी के द्वारा लिखा गया है वहीं इस नाटक का निर्देशन मुकुल त्रिपाठी के द्वारा किया गया है इस नाटक में जो कलाकार हिस्सा ले रहे थे वे प्रोफेशनल अभिनय नहीं करते हैं यह सभी बुजुर्ग भोपाल के वृद्ध आश्रम में अपनी जिंदगी के दिन काट रहे हैं लेकिन जागरूक लोगों के माध्यम से इनकी सूनी जिंदगी में खुशी लाने का अभिनव प्रयास किया जा रहा है .


Body:नाटक हम सब एक हैं में बताया गया कि भले ही भारत देश में अलग-अलग धर्मों के लोग निवास करते हैं लेकिन जब तिरंगे झंडे के नीचे सब एक साथ एकत्रित होते हैं तो सभी एक ध्वज के आगे ही अपना मस्तक झुकाते हैं यही एकता भारत को दुनिया के अन्य देशों से अलग बनाती है यहां हर धर्म के त्योहारों को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है भारत देश में रहने वाले अनेक धर्म के लोग अपने ईश्वर की पूजा अलग-अलग माध्यम और अलग विधि से करते हैं लेकिन सबका मालिक केवल एक ही है .


Conclusion:राजधानी के कोलार रोड स्थित अपना घर वृद्ध आश्रम में अपनी जिंदगी के कड़वे दिन गुजार रहे यह बुजुर्ग आज खुशमिजाज नजर आ रहे हैं आज इनके चेहरे पर गम की झुरिया नहीं बल्कि खुशी का अहसास दिल आ रही है इन बुजुर्गों को किसी ने वृद्ध आश्रम में लाकर छोड़ दिया है तो किसी ने घर से निकाल दिया है ऐसी अवस्था में जब इन बुजुर्गों को अपने परिवार की सख्त जरूरत है ऐसे समय पर यह बुजुर्ग एक वृद्ध आश्रम में अपनी बाकी की जिंदगी बिता रहे हैं लेकिन कुछ कला प्रेमियों ने नवाचार करते हुए इन बुजुर्गों को अभिनय के क्षेत्र में लाने का काम किया है यह बुजुर्ग अब तक 8 नाटकों की प्रस्तुति दे चुके हैं .


बुजुर्गों ने बताया कि वे पिछले 15 दिनों से निर्देशक मुकुल त्रिपाठी के निर्देशन में इस नाटक की तैयारी कर रहे थे उन्हें इस तरह का नाटक करना और अभिनय करना बेहद पसंद है और इससे उन्हें बेहद खुशी प्राप्त होती है .

बुजुर्गों का कहना है कि इस तरह एक बड़े मंच पर अपने अभिनय के माध्यम से लोगों के सामने आना और एक नए में नाटक की प्रस्तुति देना सचमुच में बड़ा कठिन है लेकिन जब हम लगातार अभिनय की गंभीरता को समझ रहे हैं तो हमें अब इसे करने में आनंद की अनुभूति हो रही है .
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