भोपाल। प्रदेश के अशासकीय शिक्षण संघ की कुछ मांगों को शिक्षा मंत्री ने मान लिया गया है. जिसके तहत सभी स्कूलों को बिना जांच के मान्यता देने की बात कही है, साथ ही मार्च 2020 से अब तक के स्कूलों में लगने वाले कमर्शियल बिल को घरेलू दर पर करने की मांग को स्वीकार किया है.
- 10 मांगों में से 6 मांगों पर तुरन्त ही मिली सहमति
शिक्षण संघ के 10 सूत्रीय मांगों में से 6 मांगों को सरकार ने मान लिया है, और संबंधित विभागों को आदेश भी जारी कर दिया है. इस दौरान शिक्षकों के प्रमुख मांगों में पिछले चार साल से आरटीयू (शिक्षा का अधिकार) के तहत पढ़ने वाले बच्चों का पैसा शिक्षा विभाग द्वारा संबंधित स्कूलों को भेजा जाएगा. साथ ही 2020-21 के तहत भी बच्चों को इस योजना के तहत एडमिशन दिया जाएगा.
- स्कूल के सम्पति कर सहित परिवहन पर मिलेगी छूट
शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार सहित शिक्षा विभाग के सचिव से वार्तालाप के दौरान स्कूल में चलने वाली बसों, टैक्सियों का कमर्शियल टैक्स माफ करने सहित स्कूल के कमर्शियल बिल को घरेलू बिल में परिवर्तन करने और अन्य टैक्सों को माफ करने की अपील के साथ संपत्ति कर में छूट देने के लिए संबंधित विभाग को शिक्षा मंत्री द्वारा लिखा गया है. वहीं शिक्षक संघ सत्र को मई माह तक बढ़ाए जाने की मांग को ठुकरा दिया गया है.
- दिनभर प्रदर्शन के बाद शाम को शिक्षा मंत्री से की मुलाकात
शिक्षकों का प्रदर्शन सुबह से शुरू हुआ, और देर शाम तक जारी रहा, जिसके बाद पुलिस की बस से 16 सदस्यीय दल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से मिलने मंत्रालय पहुंचा. जहां शिक्षा मंत्री सहित शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और शिक्षकों के बीच करीब 1 घंटे तक मीटिंग चली, इस दौरान 10 सूत्री मांगों में से 6 मांगों को तुरंत ही मान लिया गया. वहीं तीन मांगों पर विचार करने की बात शिक्षा मंत्री द्वारा कही गई. सभी शिक्षक मुख्यमंत्री से मिलने की मांग कर रहे थे, लेकिन शिक्षकों को चिनार पार्क के पास रोक लिया गया, लेकिन शाम होते ही शिक्षकों के एक दल को शिक्षा मंत्री से मिलने के लिए भेजा गया.