भोपाल। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर देश के दिल मध्यप्रदेश में पर्यटकों को लुभाने और स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ईको पर्यटन विकास बोर्ड ने कमर कस ली है. बोर्ड का उद्देश्य प्रदेश को कैंपिंग हब के रूप में विकसित करने की है. बोर्ड इसके लिए कई पर्यटन कंपनियों से सुझाव ले रहा है.
मध्यप्रदेश प्राकृतिक रूप से काफी संपन्न है. प्रदेश में 95 हजार वर्ग किलोमीटर में वन क्षेत्र है. इसमें 24 अभयारण्य और 11 नेशनल पार्क है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को खूब लुभाते हैं. यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. इसे देखते हुए इको पर्यटन विकास बोर्ड ने प्रदेश को कैंपिंग हब के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है. इसके लिए 36 जगहों को चयनित किया गया हैं. कैंपिंग के तहत बड़े शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के नजदीक स्थित वन क्षेत्र में स्थापित किए जाएंगे.
बोर्ड अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश की 7 बड़ी नदियों के कैचमेंट एरिया, अभयारण्य और खजुराहो, ओरछा, ओंकारेश्वर जैसे बड़े पर्यटन स्थल के पास यह कैंपिंग हब विकसित किए जा रहे हैं. इसमें भोपाल के समरधा, कठौतिया, मटकुली, उदयगिरि, सांची के सतधारा कैंपिंग स्थल इसकी श्रेणी में आएगे.
36 स्थानों में से 13 कैंपिंग स्थलों पर यह इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा चुका है. चार स्थानों पर इसका कार्य चल रहा है और बाकी 19 स्थानों के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है. ईको पर्यटन विकास बोर्ड के सीईओ एसएस राजपूत के मुताबिक कैंपिंग स्थलों के आसपास के गांव के युवाओं को भी इस योजना से जोड़ा जा रहा है, ताकि वे यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को खाने और गाइड की सुविधा उपलब्ध करा सकें. इससे उन्हें रोजगार उपलब्ध होगा और कैंपिंग स्थलों पर ट्रैकिंग साइकिलिंग वर्ड वाचिंग नेचर ट्रेल और एडवेंचर एक्टिविटी की भी व्यवस्था कराई जाएगी.