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कैंपिंग हब योजना पर काम शुरू, बड़े शहरों के पास बनाए जाएंगे वन क्षेत्र

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Published : Jul 2, 2019, 7:20 AM IST

ईको पर्यटन विकास बोर्ड पर्यटकों को लुभाने और स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कैंपिंग हब योजना पर काम कर रहा है.

भोपाल

भोपाल। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर देश के दिल मध्यप्रदेश में पर्यटकों को लुभाने और स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ईको पर्यटन विकास बोर्ड ने कमर कस ली है. बोर्ड का उद्देश्य प्रदेश को कैंपिंग हब के रूप में विकसित करने की है. बोर्ड इसके लिए कई पर्यटन कंपनियों से सुझाव ले रहा है.

कैंपिंग हब के रूप में विकसित होगा प्रदेश

मध्यप्रदेश प्राकृतिक रूप से काफी संपन्न है. प्रदेश में 95 हजार वर्ग किलोमीटर में वन क्षेत्र है. इसमें 24 अभयारण्य और 11 नेशनल पार्क है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को खूब लुभाते हैं. यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. इसे देखते हुए इको पर्यटन विकास बोर्ड ने प्रदेश को कैंपिंग हब के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है. इसके लिए 36 जगहों को चयनित किया गया हैं. कैंपिंग के तहत बड़े शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के नजदीक स्थित वन क्षेत्र में स्थापित किए जाएंगे.

बोर्ड अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश की 7 बड़ी नदियों के कैचमेंट एरिया, अभयारण्य और खजुराहो, ओरछा, ओंकारेश्वर जैसे बड़े पर्यटन स्थल के पास यह कैंपिंग हब विकसित किए जा रहे हैं. इसमें भोपाल के समरधा, कठौतिया, मटकुली, उदयगिरि, सांची के सतधारा कैंपिंग स्थल इसकी श्रेणी में आएगे.

36 स्थानों में से 13 कैंपिंग स्थलों पर यह इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा चुका है. चार स्थानों पर इसका कार्य चल रहा है और बाकी 19 स्थानों के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है. ईको पर्यटन विकास बोर्ड के सीईओ एसएस राजपूत के मुताबिक कैंपिंग स्थलों के आसपास के गांव के युवाओं को भी इस योजना से जोड़ा जा रहा है, ताकि वे यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को खाने और गाइड की सुविधा उपलब्ध करा सकें. इससे उन्हें रोजगार उपलब्ध होगा और कैंपिंग स्थलों पर ट्रैकिंग साइकिलिंग वर्ड वाचिंग नेचर ट्रेल और एडवेंचर एक्टिविटी की भी व्यवस्था कराई जाएगी.

भोपाल। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर देश के दिल मध्यप्रदेश में पर्यटकों को लुभाने और स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ईको पर्यटन विकास बोर्ड ने कमर कस ली है. बोर्ड का उद्देश्य प्रदेश को कैंपिंग हब के रूप में विकसित करने की है. बोर्ड इसके लिए कई पर्यटन कंपनियों से सुझाव ले रहा है.

कैंपिंग हब के रूप में विकसित होगा प्रदेश

मध्यप्रदेश प्राकृतिक रूप से काफी संपन्न है. प्रदेश में 95 हजार वर्ग किलोमीटर में वन क्षेत्र है. इसमें 24 अभयारण्य और 11 नेशनल पार्क है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को खूब लुभाते हैं. यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. इसे देखते हुए इको पर्यटन विकास बोर्ड ने प्रदेश को कैंपिंग हब के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है. इसके लिए 36 जगहों को चयनित किया गया हैं. कैंपिंग के तहत बड़े शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के नजदीक स्थित वन क्षेत्र में स्थापित किए जाएंगे.

बोर्ड अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश की 7 बड़ी नदियों के कैचमेंट एरिया, अभयारण्य और खजुराहो, ओरछा, ओंकारेश्वर जैसे बड़े पर्यटन स्थल के पास यह कैंपिंग हब विकसित किए जा रहे हैं. इसमें भोपाल के समरधा, कठौतिया, मटकुली, उदयगिरि, सांची के सतधारा कैंपिंग स्थल इसकी श्रेणी में आएगे.

36 स्थानों में से 13 कैंपिंग स्थलों पर यह इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा चुका है. चार स्थानों पर इसका कार्य चल रहा है और बाकी 19 स्थानों के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है. ईको पर्यटन विकास बोर्ड के सीईओ एसएस राजपूत के मुताबिक कैंपिंग स्थलों के आसपास के गांव के युवाओं को भी इस योजना से जोड़ा जा रहा है, ताकि वे यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को खाने और गाइड की सुविधा उपलब्ध करा सकें. इससे उन्हें रोजगार उपलब्ध होगा और कैंपिंग स्थलों पर ट्रैकिंग साइकिलिंग वर्ड वाचिंग नेचर ट्रेल और एडवेंचर एक्टिविटी की भी व्यवस्था कराई जाएगी.

Intro:प्राकृतिक संसाधन से भरपूर देश के दिल मध्य प्रदेश मैं पर्यटकों को लुभाने और स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ईको पर्यटन विकास बोर्ड प्रदेश को कैंपिंग हब बनाने की तैयारी में जुटा हुआ है। बोर्ड ने इसके लिए 36 स्थान चयनित किए हैं। इन सभी स्थानों पर बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया जा रहा है। बोर्ड को उम्मीद है की इससे प्रदेश मैं पर्यटकों की संख्या में और भी इजाफा होगा। बोर्ड ने यह निर्णय विश्व की जानी-मानी पर्यटन कंपनी थ्रेलोफीलिया के सुझाव पर लिया है।


Body:मध्य प्रदेश प्राकृतिक रूप से काफी संपन्न है प्रदेश में 95000 वर्ग किलोमीटर मैं वन क्षेत्र फैला हुआ। 24 अभ्यारण और 11 नेशनल पार्क यहां पर्यटकों को खूब लुभाते हैं यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। इसको देखते हुए इको पर्यटन विकास बोर्ड ने प्रदेश को कैंपिंग हब के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। इसके लिए 36 स्थान चयनित किए गए हैं। यह कैंपिंग बड़े शहर भोपाल इंदौर ग्वालियर जबलपुर के नजदीक स्थित वन क्षेत्र में स्थापित किए जाएंगे। बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश की 7 बड़ी नदियों के केचमेंट एरिया, अभ्यारण और खजुराहो, ओरछा, ओमकारेश्वर जैसे बड़े पर्यटन स्थल के पास यह कैंपिंग हम विकसित किए जा रहे हैं। भोपाल के समरधा, कठौतिया, मटकुली, उदयगिरि, सांची के सतधारा कैंपिंग स्थल विकसित किया जा रहा है। सतधारा में सांची से भी पुराने बौद्ध स्तूप मौजूद है। इसी तरह कान्हा के कटिया पन्ना के हिनौता, पायली में कैंपिंग स्थल विकसित किए जा रहे हैं। कैंपिंग स्थल पर कराई जाएगी एडवेंचर एक्टिविटी बोर्ड द्वारा कैंपिंग स्थल पर टेंट के प्लेटफार्म, टॉयलेट, किचन और फेंसिंग की व्यवस्था कराई जाएगी। 36 स्थानों में से 13 कैंपिंग स्थलों पर यह इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा चुका है चार स्थानों पर इसका कार्य चल रहा है और बाकी 19 स्तनों के लिए कार योजना तैयार की गई है। इको पर्यटन विकास बोर्ड के सीईओ एसएस राजपूत के मुताबिक कैंपिंग स्थलों के आस-पास के गांव की युवाओं को भी इस योजना से जोड़ा जा रहा है ताकि वे यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को खाने और गाइड की सुविधा उपलब्ध कराया सकें। इससे उन्हें रोजगार उपलब्ध होगा कैंपिंग स्थलों पर ट्रैकिंग साइकिलिंग वर्ड वाचिंग नेचर ट्रेल और एडवेंचर एक्टिविटी की भी व्यवस्था कराई जाएगी।


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