भोपाल। सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ ही खरीफ सीजन की नई फसलों की आवक जोर पकड़ने से अक्सर सब्जियों और अनाजों के दाम में नरमी आ जाती है, लेकिन इस साल ऐसा अब तक नहीं हुआ है, इसकी वजह मानसून के आखिरी दौर में हुई भारी बारिश और देश के कई इलाकों में आई बाढ़ रही है, जिसके कारण अब तक सब्जियों की महंगाई से आम गृहणियों की रसोई का बजट बिगड़ा हुआ है.
प्याज की महंगाई ने जहां भोजन का स्वाद बिगाड़ दिया है, वहीं आलू, गोभी, पालक समेत तमाम हरी सब्जियों के दाम उंचे होने से उपभोक्ताओं को अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ रही है. पिछले साल से तुलना करें तो ज्यादातर सब्जियों के दाम 50 फीसदी तक ज्यादा हैं. कारोबारी बताते हैं कि मानसून सीजन के आखिरी दौर में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत देश के दूसरे हिस्सों में हुई भारी बारिश से प्याज, टमाटर समेत तमाम सब्जियों की फसलें खराब हो गईं, जिसके कारण इस साल आवक उस तरह से जोर नहीं पकड़ रही है. यही वजह है कि सब्जियां पिछले साल के मुकाबले महंगी हैं.
पिछले हफ्ते केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने संसद के एक सवाल के लिखित जवाब में कुछ आंकड़े पेश किये. जिसके मुताबिक प्याज का दाम इस साल मार्च के बाद 400 फीसदी बढ़ा है. आंकड़ों के मुताबिक मार्च में प्याज का औसत मूल्य 15.87 रुपये प्रति किलो था जो तीन दिसंबर 2019 को बढ़कर 81.90 रुपये प्रति किलो हो गया.
सब्जियों और दूसरे खाद्य पदार्थो के दाम में हुई वृद्धि से बीते महीने नवंबर में खुदरा महंगाई दर 5.54 फीसदी हो गई जोकि एक महीने पहले अक्टूबर में 4.62 फीसदी थी. नवंबर में खुदरा महंगाई दर 2016 के बाद के सबसे ऊंचे स्तर पर है. पिछले साल नवंबर में खुदरा महंगाई दर 2.33 फीसदी थी. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में सब्जियों की महंगाई दर बढ़कर 35.99 फीसदी हो गई. जबकि खाद्य पदार्थो की महंगाई 10.01 फीसदी रही. इधर प्याज भी पिछले कुछ महीनों से रुला रहा है. फुलगोभी, बैंगन, टमाटर, पालक समेत तमाम हरी सब्जियां ऊंचे भाव पर मिल रही हैं.
उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 14 दिसंबर को देशभर में टमाटर का भाव 10 से 80 रुपये प्रति किलो था. जोकि एक साल पहले 10 से 50 रुपये प्रति किलो था. दलहन बाजार के जानकार अमित शुक्ला ने बताया कि आम तौर पर सर्दियों में हरी सब्जी सस्ती होने के कारण दाल की खपत मांग घट जाती थी, लेकिन इस साल ऐसा नहीं है, सब्जी महंगी होने के कारण दाल में लगातार जोरदार मांग बनीं हुई है.