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पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजे जाएंगे डॉ. अवध किशोर जड़िया, साहित्य के क्षेत्र में दिया विशेष योगदान, जानें उनके बारे में सब कुछ - पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजे जाएंगे डॉ. अवध किशोर जड़िया

बुंदेली के कवि डॉ. अवध किशोर जड़िया को बुधवार को पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा जाएगा. उन्हें यह सम्मान साहित्य के शानदार प्रदर्शन करने के लिए दिया जा रहा है.

Avadh Kishore Jadia
डॉ अवध किशोर जड़िया
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Published : Jan 25, 2022, 11:04 PM IST

भोपाल। बुंदेली के कवि डॉ. अवध किशोर जड़िया (doctor Avadh Kishore Jadia ) को पद्मश्री अवॉर्ड के लिए चुना गया है. 26 जनवरी को उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सम्मानित करेंगे. उन्हें यह सम्मान साहित्य के शानदार प्रदर्शन करने के लिए दिया जा रहा है. इस बार पद्म अवॉर्ड के लिए एमपी से पांच नामों का चयन किया गया है, इनमें अवध किशोर का नाम भी शामिल है.

कौन हैं अवध किशोर जड़िया ?
बुंदेली के कवि डॉ. अवध किशोर जड़िया का जन्म हरपालपुर में 17 अगस्त 1948 को हुआ था. उनके पिता ब्रजलाल आलीपुरा स्टेट के राजवैध थे. वे साहित्य मर्मज्ञ और ज्योतिष के भी ज्ञाता थे. अपने पिता से मिले संस्कारों से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हरपालपुर में प्राप्त की. इसके बाद डॉक्टर बीएएमएस की डिग्री ग्वालियर यूनिवर्सिटी से 1970 में हासिल की. इसके बाद वे आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में सरकारी नौकरी करने लगे.

1977 में प्रकाशित की थी अपनी किताब
1977 में डॉ अवध किशोर जड़िया ने अपनी एक किताब वंदनीय बुंदेलखंड प्रकाशित की. ऊधव शतक, कारे कन्हाई के कान लगी है तथा विरागमाता काव्य संग्रह अभी अप्रकाशित हैं. डॉक्टर जड़िया को कला संस्कृति साहित्य विधापीठ मथुरा ने साहित्यालंकार, श्रीराम रामायण संस्कृति ट्रस्ट ग्वालियर ने उदीयमान मानस मणि, ब्रज साहित्य संकाय आगरा ने बुंदेली गौरव सम्मान भी प्राप्त हुआ है.

Padma Award 2022: MP की 5 हस्तियों को पद्म श्री, 3 को कला, 1 को साहित्य और भोपाल के प्रसिद्ध डॉ. एनपी मिश्रा को मरणोपरांत मिलेगा सम्मान

मुख्य रूप से बुंदेली भाषा में लेखन करने वाले डॉ जड़िया को संतोष सिंह बुंदेला पुरस्कार, डॉ. उल्फत सिंह निर्भय पुरस्कार तथा सर्वधर्म समभाव भी मिला है. बुंदेलखंड अंचल में इनकी कविताएं लोक गीतों के तौर पर जनमानस में गहरे तक समाई हैं. इनकी बुंदेली कविताओं में अनुप्रास, यमक, श्लेष के साथ विभिन्न रसों में रसिकों के कंठों में गुंजती रहती हैं.

भोपाल। बुंदेली के कवि डॉ. अवध किशोर जड़िया (doctor Avadh Kishore Jadia ) को पद्मश्री अवॉर्ड के लिए चुना गया है. 26 जनवरी को उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सम्मानित करेंगे. उन्हें यह सम्मान साहित्य के शानदार प्रदर्शन करने के लिए दिया जा रहा है. इस बार पद्म अवॉर्ड के लिए एमपी से पांच नामों का चयन किया गया है, इनमें अवध किशोर का नाम भी शामिल है.

कौन हैं अवध किशोर जड़िया ?
बुंदेली के कवि डॉ. अवध किशोर जड़िया का जन्म हरपालपुर में 17 अगस्त 1948 को हुआ था. उनके पिता ब्रजलाल आलीपुरा स्टेट के राजवैध थे. वे साहित्य मर्मज्ञ और ज्योतिष के भी ज्ञाता थे. अपने पिता से मिले संस्कारों से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हरपालपुर में प्राप्त की. इसके बाद डॉक्टर बीएएमएस की डिग्री ग्वालियर यूनिवर्सिटी से 1970 में हासिल की. इसके बाद वे आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में सरकारी नौकरी करने लगे.

1977 में प्रकाशित की थी अपनी किताब
1977 में डॉ अवध किशोर जड़िया ने अपनी एक किताब वंदनीय बुंदेलखंड प्रकाशित की. ऊधव शतक, कारे कन्हाई के कान लगी है तथा विरागमाता काव्य संग्रह अभी अप्रकाशित हैं. डॉक्टर जड़िया को कला संस्कृति साहित्य विधापीठ मथुरा ने साहित्यालंकार, श्रीराम रामायण संस्कृति ट्रस्ट ग्वालियर ने उदीयमान मानस मणि, ब्रज साहित्य संकाय आगरा ने बुंदेली गौरव सम्मान भी प्राप्त हुआ है.

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मुख्य रूप से बुंदेली भाषा में लेखन करने वाले डॉ जड़िया को संतोष सिंह बुंदेला पुरस्कार, डॉ. उल्फत सिंह निर्भय पुरस्कार तथा सर्वधर्म समभाव भी मिला है. बुंदेलखंड अंचल में इनकी कविताएं लोक गीतों के तौर पर जनमानस में गहरे तक समाई हैं. इनकी बुंदेली कविताओं में अनुप्रास, यमक, श्लेष के साथ विभिन्न रसों में रसिकों के कंठों में गुंजती रहती हैं.

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