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हे भगवान! इतनी छोटी-छोटी बातों पर रेत की तरह मुट्ठी से फिसल रहे रिश्ते

राजधानी के जिला विधिक प्राधिकरण में 3 बेंच लगती है, जिसमें 3 काउंसलर प्रतिदिन 100 से अधिक मामलो की कॉउंसलिंग करते हैं. ताकि तलाक के केसेस को कम किया जा सके.

Family Court Bhopal
फैमिली कोर्ट भोपाल
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Published : Jan 23, 2021, 5:01 PM IST

Updated : Jan 23, 2021, 5:31 PM IST

भोपाल। देश में शादियां टूटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. अपनी शादी को तोड़ने से ज्यादा कष्टकारी कुछ नहीं हो सकता है, लेकिन आज के दौर में जहां लोगों की सोच मॉडर्न हो रही है तो ऐसे दौर में तलाक भी मानों बहुत आम हो गया है. यह हम नहीं बल्कि जिला विधिक प्राधिकरण में चल रहे तलाक के अजीबों गरीब मामले बता रहे हैं. फेमिली कोर्ट में पिछले एक साल में 40% ऐसे तलाक के प्रकरण दर्ज हुए है, जहां तलाक की वजह बहुत छोटी थी.

इन कारणों से बढ़ रहे हैं पति-पत्नी के बीच तलाक के मामले

छोटी-छोटी बातों पर कोर्ट पहुंचे दपंत्ति

यूं तो जिला विधिक प्राधिकरण में आये दिन पति-पत्नी के तलाक के दर्जनों मामले आते हैं, लेकिन अगर तलाक की वजह घरेलू हिंसा, पति पत्नी में विवाद या कोई बड़ा कारण हो तो तलाक होना तय है, लेकिन अगर तलाक ईगो, कॉम्पिटिशन, जलन की वजह से हो, तो यह कारण आम नहीं हो सकते है. लेकिन जिला विधिक प्राधिकरण में ऐसे ढेरों मामले है जहां पति-पत्नी का तलाक छोटी-छोटी बातों पर हो रहा है और यह समाज के लिए चिंता का विषय है.

House of Justice
न्याय सेवा सदन

40% मामलों में ईगो के चलते होते है तलाक- रिपोर्ट

राजधानी के जिला विधिक प्राधिकरण में 3 बेंच लगती है, जिसमें 3 काउंसलर प्रतिदिन दिन 100 से अधिक मामलो की कॉउंसलिंग करती है. काउंसलर का कहना है कि ज्यादातर मामले घरेलू हिंसा या परिवार विवाद के सामने आते हैं लेकिन जैसे-जैसे लोगों की सोच बदल रही है. वैसे-वैसे तलाक के मामलों में भी कई तरह के बदलाव देखे हैं. वहीं काउंसलर्स का कहना है कि पहले जो मामले आते थे उसमें पत्नी बहुत मजबूर होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाती थी लेकिन आज बहुत छोटी बातों को लेकर पति या पत्नी तलाक के लिए पिटीशन फाइल कर देते हैं.

House of Justice
न्याय सेवा सदन

इन बातों पर भी हो जाता है 'तलाक'

काउंसलर के मुताबिक आज कल इतनी छोटी बातों पर लोग तलाक की पिटीशन फाइल कर देते है जिन बातों को आपस में सुलझाया जा सकता है. जैसे अगर पत्नी ने फिट रहने के लिए जिम जॉइन नहीं किया तो तलाक, पति नहाता नहीं है इसलिए तलाक, या पति ने बाल नहीं कटवाए इसलिए तलाक. काउंसलर्स का कहना है कि इस तरह के प्रकरण जब कोर्ट तक पहुंचते है तो हैरानी होती है कि आज लोगों के लिए रिश्तों का कोई महत्व नहीं रह गया है. तलाक जैसे फेसलों को लेकर लोग गंभीर नहीं है. छोटा सा गुस्सा ज़िंदगी बर्बाद होने की कारण बन रहा है.

तलाक की बड़ी वजह 'ईगो'

फैमिली कोर्ट की काउंसलर शैल अवस्ती ने बताया कि उनके पास इस कोरोना पेंडेमिक के चलते ऐसे मामले तलाक के लिए आये है. जहां तलाक की जरूरत ही नहीं थी. घरेलू लड़ाई झगड़े जो आम जिंदगी में होते रहते हैं. ऐसे झगड़े आज तलाक का कारण बन रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास पिछले एक साल में तलाक के जितने प्रकरण है, उनमें सबसे ज़्यादा ऐसे मामले है जहां पति-पत्नी दोनों इंडिपेंडेंट है. दोनों एक दूसरे पर निर्भर नहीं है और अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी जीना चाहते हैं. ऐसे केसेस में दोनों में ज़िद है, अपने आपको प्रूफ करने की दोनों एक दूसरे के सामने झुकना नहीं चाहते है. ऐसे में घर में होने वाले छोटे छोटे लड़ाई झगड़े उन्हें कोर्ट तक ले आते हैं और उनकी ज़िद के चलते ऐसे मामलों में समझौते की स्थिति बहुत कम होती है, तलाक उनका आखिरी फैसला होता है.

एक्सट्रा मैरिटल अफेयर तलाक की वजह

वहीं काउंसलर सरिता राजानि ने बताया आज के दौर में जहां लोगों की सोच बहुत मॉडर्न हो गई है. ऐसे दौर में अगर कपल्स को लगता है कि हमारी सोच अलग है. हमें साथ नहीं रहना चाहिए, तो पति-पत्नी कोर्ट में म्यूच्यूअल डिवोर्स फाइल कर देते हैं, क्योंकि वे अपनी ज़िंदगी फ्रीडम के साथ जीना चाहते है, जबकि हिन्दू रीति रिवाज में तलाक एक बड़ा फैसला होता है, लेकिन आज कल के लोग तलाक लेने से पहले बिल्कुल नहीं सोच रहे हैं कि आगे उनका जीवन क्या होगा. उन्होंने बताया कोर्ट में पेंडिंग 30 % प्रकरण ऐसे है जंहा पति पत्नी का ईगो, एक्सट्रा मैरिटल अफेयर और दोनों के विचारों का अलग होना तलाक की वजह बन जाता है ओर ऐसे मामलों में बहुत समझाइश के बाद भी दोनों की ज़िद के आगे रिश्ते जुड़ नहीं पाते और आखिर विकल्प तलाक होता है. जिसमें सफर बच्चों को करना पड़ता है.

भोपाल। देश में शादियां टूटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. अपनी शादी को तोड़ने से ज्यादा कष्टकारी कुछ नहीं हो सकता है, लेकिन आज के दौर में जहां लोगों की सोच मॉडर्न हो रही है तो ऐसे दौर में तलाक भी मानों बहुत आम हो गया है. यह हम नहीं बल्कि जिला विधिक प्राधिकरण में चल रहे तलाक के अजीबों गरीब मामले बता रहे हैं. फेमिली कोर्ट में पिछले एक साल में 40% ऐसे तलाक के प्रकरण दर्ज हुए है, जहां तलाक की वजह बहुत छोटी थी.

इन कारणों से बढ़ रहे हैं पति-पत्नी के बीच तलाक के मामले

छोटी-छोटी बातों पर कोर्ट पहुंचे दपंत्ति

यूं तो जिला विधिक प्राधिकरण में आये दिन पति-पत्नी के तलाक के दर्जनों मामले आते हैं, लेकिन अगर तलाक की वजह घरेलू हिंसा, पति पत्नी में विवाद या कोई बड़ा कारण हो तो तलाक होना तय है, लेकिन अगर तलाक ईगो, कॉम्पिटिशन, जलन की वजह से हो, तो यह कारण आम नहीं हो सकते है. लेकिन जिला विधिक प्राधिकरण में ऐसे ढेरों मामले है जहां पति-पत्नी का तलाक छोटी-छोटी बातों पर हो रहा है और यह समाज के लिए चिंता का विषय है.

House of Justice
न्याय सेवा सदन

40% मामलों में ईगो के चलते होते है तलाक- रिपोर्ट

राजधानी के जिला विधिक प्राधिकरण में 3 बेंच लगती है, जिसमें 3 काउंसलर प्रतिदिन दिन 100 से अधिक मामलो की कॉउंसलिंग करती है. काउंसलर का कहना है कि ज्यादातर मामले घरेलू हिंसा या परिवार विवाद के सामने आते हैं लेकिन जैसे-जैसे लोगों की सोच बदल रही है. वैसे-वैसे तलाक के मामलों में भी कई तरह के बदलाव देखे हैं. वहीं काउंसलर्स का कहना है कि पहले जो मामले आते थे उसमें पत्नी बहुत मजबूर होकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाती थी लेकिन आज बहुत छोटी बातों को लेकर पति या पत्नी तलाक के लिए पिटीशन फाइल कर देते हैं.

House of Justice
न्याय सेवा सदन

इन बातों पर भी हो जाता है 'तलाक'

काउंसलर के मुताबिक आज कल इतनी छोटी बातों पर लोग तलाक की पिटीशन फाइल कर देते है जिन बातों को आपस में सुलझाया जा सकता है. जैसे अगर पत्नी ने फिट रहने के लिए जिम जॉइन नहीं किया तो तलाक, पति नहाता नहीं है इसलिए तलाक, या पति ने बाल नहीं कटवाए इसलिए तलाक. काउंसलर्स का कहना है कि इस तरह के प्रकरण जब कोर्ट तक पहुंचते है तो हैरानी होती है कि आज लोगों के लिए रिश्तों का कोई महत्व नहीं रह गया है. तलाक जैसे फेसलों को लेकर लोग गंभीर नहीं है. छोटा सा गुस्सा ज़िंदगी बर्बाद होने की कारण बन रहा है.

तलाक की बड़ी वजह 'ईगो'

फैमिली कोर्ट की काउंसलर शैल अवस्ती ने बताया कि उनके पास इस कोरोना पेंडेमिक के चलते ऐसे मामले तलाक के लिए आये है. जहां तलाक की जरूरत ही नहीं थी. घरेलू लड़ाई झगड़े जो आम जिंदगी में होते रहते हैं. ऐसे झगड़े आज तलाक का कारण बन रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास पिछले एक साल में तलाक के जितने प्रकरण है, उनमें सबसे ज़्यादा ऐसे मामले है जहां पति-पत्नी दोनों इंडिपेंडेंट है. दोनों एक दूसरे पर निर्भर नहीं है और अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी जीना चाहते हैं. ऐसे केसेस में दोनों में ज़िद है, अपने आपको प्रूफ करने की दोनों एक दूसरे के सामने झुकना नहीं चाहते है. ऐसे में घर में होने वाले छोटे छोटे लड़ाई झगड़े उन्हें कोर्ट तक ले आते हैं और उनकी ज़िद के चलते ऐसे मामलों में समझौते की स्थिति बहुत कम होती है, तलाक उनका आखिरी फैसला होता है.

एक्सट्रा मैरिटल अफेयर तलाक की वजह

वहीं काउंसलर सरिता राजानि ने बताया आज के दौर में जहां लोगों की सोच बहुत मॉडर्न हो गई है. ऐसे दौर में अगर कपल्स को लगता है कि हमारी सोच अलग है. हमें साथ नहीं रहना चाहिए, तो पति-पत्नी कोर्ट में म्यूच्यूअल डिवोर्स फाइल कर देते हैं, क्योंकि वे अपनी ज़िंदगी फ्रीडम के साथ जीना चाहते है, जबकि हिन्दू रीति रिवाज में तलाक एक बड़ा फैसला होता है, लेकिन आज कल के लोग तलाक लेने से पहले बिल्कुल नहीं सोच रहे हैं कि आगे उनका जीवन क्या होगा. उन्होंने बताया कोर्ट में पेंडिंग 30 % प्रकरण ऐसे है जंहा पति पत्नी का ईगो, एक्सट्रा मैरिटल अफेयर और दोनों के विचारों का अलग होना तलाक की वजह बन जाता है ओर ऐसे मामलों में बहुत समझाइश के बाद भी दोनों की ज़िद के आगे रिश्ते जुड़ नहीं पाते और आखिर विकल्प तलाक होता है. जिसमें सफर बच्चों को करना पड़ता है.

Last Updated : Jan 23, 2021, 5:31 PM IST
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