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भोपालियों की कौन सी बात ताउम्र नहीं भुला पाए दिलीप कुमार, भोपाल के सुनहरे दौर की ये तस्वीरें देखी नहीं होंगी आपने

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Published : Jun 7, 2023, 1:41 PM IST

Updated : Jun 7, 2023, 11:20 PM IST

भारत की आजादी के एक दशक बाद बनी फिल्म 'नया दौर' की शूटिंग के लिए भोपाल को ही क्यों चुना गया. भोपाली तांगों का इस शूटिंग में क्या कनेक्शन था. उस दौर में बनी नया दौर की ये तस्वीरें आपने देखी नहीं होंगी.

dilip kumar movie naya daur
दिलीप कुमार भोपाल नया दौर शूटिंग
भोपालियों की कौन सी बात ताउम्र नहीं भुला पाए दिलीप कुमार

भोपाल। भारत की आजादी के ठीक 10 साल बाद बनी फिल्म 'नया दौर' याद है ना आपको.. यू ट्यूब पर देखी भी होगी. दिलीप कुमार की फिल्म 'नया दौर' की शूटिंग भोपाल के पास बुधनी के जंगलों में हुई, ये भी जानते हों शायद आप....लेकिन उस दौर में आई नया दौर के पर्दे के पीछे की और कई कहानियां और शार्ट ओके हो जाने के बाद दिलीप कुमार और वैजयंती माला की वो तस्वीरें भी जो आज तक आपने नहीं देखी होंगी. नया दौर फिल्म की शूटिंग के लिए बुधनी के जंगलों को ही क्यों चुना गया. इस नया दौर फिल्म का भोपाल के तांगे वालों से क्या कनेक्शन है. भोपालियों का ऐसा कौन सा बर्ताव था, जिसे शूटिंग के दौरान दिलीप कुमार अपनी पूरी उम्र नहीं भुला पाए. भोपाल के अतीत को अपने तरीके से सहेज रहे सैयद ताशा पाशा ने नया दौर की यादों को भी सहेजा है. ईटीवी भारत के लिए सैयद पाशा ने उस दौर के पन्नों को फिर पलटा है. नया दौर पहली फिल्म थी जो भोपाल के नजदीक फिल्माई गई.

नया दौर फिल्म से भोपाल का तांगा कनेक्शन: भोपाल के नजदीक बुधनी के जंगलो में नया दौर की शूटिंग की एक बड़ी वजह थे तांगे. उस समय करीब 15 बरस के रहे सैयद ताशा पाशा बताते हैं, ''मुझे जो जानकारी है तो उस समय भोपाल के शायरों का मुंबई में अच्छा होल्ड था. उन्होंने ही भोपाल के बारे में डायरेक्टर वगैरह को बताया होगा, फिर फिल्म की जो कहानी थी उसमें नए और पुराने ट्रांसपोर्टेशन की बात थी और यहीं से तांगों के लिए गुंजाइश बनी.'' पाशा बताते हैं ''उस दौर में दिल्ली लखनऊ और भोपाल ये तीन शहर खास थे जहां तांगों का खूब चलन था. लेकिन भोपाल के तांगों की बात ही कुछ और थी. मुझे लगता है कि यही वजह रही होगा कि फिल्म डायरेक्टर ने बुधनी की लोकेशन को पसंद किया. क्योंकि यहां तांगे आसानी से मिल जाते थे, फिर बुधनी से रेल कनेक्टिविटी भी थी. पहाड़ी इलाका भी था, जिसके पीछे से नर्मदा नदी दिखाई देती थी. तो कई सारे प्लस पाइंट मिले लेकिन नया दौर की यूनिट को बुधनी तक लाने में बड़ा क्रेडिट बेशक तांगों का ही था.''

dilip kumar movie naya daur
दिलीप कुमार भोपाल नया दौर शूटिंग

तांगे वालों ने बताया बुधनी चलो, फिल्म बन रही है: अबकी तरह व्हाट्सअप का दौर तो था नहीं कि वीडियो वायरल हो जाता. खबरें जुबान से उतरकर कान पर चढ़ती थी. तो ये काम बखूबी तांगे वालों ने किया. सैय्यद ताशा पाशा बताते हैं कि ''तब लोगों को फिल्मों के बारे में उतना मालूम भी नहीं था. सितारों का ऐसा क्रेज भी नहीं. लेकिन जिस तरीके से भोपाल से सजे धजे तांगे बुधनी जाते थे लोग बुधनी में शूटिंग देखने का रुख करने लगे.'' उन्हीं दिनों की तस्वीर दिखाते हुए सैय्यद ताशा पाशा कहते हैं, ये देखिए ये मेरे हाथों से खींची हुई तस्वीरें हैं. ये वही गाड़ी है जो फिल्म में इस्तेमाल हुई है. जिसमें दिलीप कुमार बैठे हैं. वैयजंती माला जी का ये फोटो देखिए. जॉनी वॉकर साहब को तो हमने बुलाया तो वो जैसे थे वैसे ही फोटो खिंचवाने आ गए. मैकअप भी सब हम लोगों के सामने ही होता था. फॉरेट्स और पीडब्लूडी के रेस्ट हाउस में सारे लोग ठहरते थे.''

दिलीप कुमार भोपाल नया दौर शूटिंग
दिलीप कुमार भोपाल नया दौर शूटिंग

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ना जनता झूमती थी, ना हीरो नक्शे दिखाते थे: सैय्यद ताशा पाशा ने दिलीप कुमार समेत नया दौर के तकरीबन सारे सितारों की तस्वीरें खींची लेकिन ऐसी जिद नहीं थी कि इन सितारों के साथ तस्वीरें ली जाए. सैयद पाशा कहते हैं, ''डिसिप्लिन बहुत था आप यकीन करेंगे, अगर एक क्रू मैम्बर भी निकलता था तो पब्लिक खुद व खुद पीछे सरक जाती थी. दिलीप कुमार शूटिंग के बाद अकेले बैठे रहे. मजाल है कि कोई उनसे मिलने चला जाए. सब दूर से देखा करते थे. सैय्यद पाशा बताते हैं ''फिल्म रिलीज हो जाने के बाद जब दिलीप कुमार भोपाल आए थे तो उन्होंने एक मुलाकात में मुझसे ये कहा भी कि भोपाल के लोगों का अनुशासन वो कभी नहीं भूलेंगे.'' सैय्यद पाशा कहते हैं ''मुझे जॉनी वॉकर साहब की सादादिली भी बहुत याद आती है वैसे तो दिलीप साहब भी बहुत जमीनी इंसान. जॉनी वॉकर तो जिन कपड़ों में थे उन्ही कपड़ों में मुझसे मिलने आ गए थे. तब के सितारे बहुत सादगी पसंद थे. कोई नक्शे नहीं. कोई प्रोटोकॉल नहीं. लेकिन खास बात ये कि जनता भी उतने ही दूरी में रहती थी. भोपाल के नजदीक हुई पहली फिल्म की शूटिंग नया दौर इसकी गवाही देते हैं. जिसमें दिलीप कुमार वैजयंती माला जैसे सुपर सितारे थे.''

भोपालियों की कौन सी बात ताउम्र नहीं भुला पाए दिलीप कुमार

भोपाल। भारत की आजादी के ठीक 10 साल बाद बनी फिल्म 'नया दौर' याद है ना आपको.. यू ट्यूब पर देखी भी होगी. दिलीप कुमार की फिल्म 'नया दौर' की शूटिंग भोपाल के पास बुधनी के जंगलों में हुई, ये भी जानते हों शायद आप....लेकिन उस दौर में आई नया दौर के पर्दे के पीछे की और कई कहानियां और शार्ट ओके हो जाने के बाद दिलीप कुमार और वैजयंती माला की वो तस्वीरें भी जो आज तक आपने नहीं देखी होंगी. नया दौर फिल्म की शूटिंग के लिए बुधनी के जंगलों को ही क्यों चुना गया. इस नया दौर फिल्म का भोपाल के तांगे वालों से क्या कनेक्शन है. भोपालियों का ऐसा कौन सा बर्ताव था, जिसे शूटिंग के दौरान दिलीप कुमार अपनी पूरी उम्र नहीं भुला पाए. भोपाल के अतीत को अपने तरीके से सहेज रहे सैयद ताशा पाशा ने नया दौर की यादों को भी सहेजा है. ईटीवी भारत के लिए सैयद पाशा ने उस दौर के पन्नों को फिर पलटा है. नया दौर पहली फिल्म थी जो भोपाल के नजदीक फिल्माई गई.

नया दौर फिल्म से भोपाल का तांगा कनेक्शन: भोपाल के नजदीक बुधनी के जंगलो में नया दौर की शूटिंग की एक बड़ी वजह थे तांगे. उस समय करीब 15 बरस के रहे सैयद ताशा पाशा बताते हैं, ''मुझे जो जानकारी है तो उस समय भोपाल के शायरों का मुंबई में अच्छा होल्ड था. उन्होंने ही भोपाल के बारे में डायरेक्टर वगैरह को बताया होगा, फिर फिल्म की जो कहानी थी उसमें नए और पुराने ट्रांसपोर्टेशन की बात थी और यहीं से तांगों के लिए गुंजाइश बनी.'' पाशा बताते हैं ''उस दौर में दिल्ली लखनऊ और भोपाल ये तीन शहर खास थे जहां तांगों का खूब चलन था. लेकिन भोपाल के तांगों की बात ही कुछ और थी. मुझे लगता है कि यही वजह रही होगा कि फिल्म डायरेक्टर ने बुधनी की लोकेशन को पसंद किया. क्योंकि यहां तांगे आसानी से मिल जाते थे, फिर बुधनी से रेल कनेक्टिविटी भी थी. पहाड़ी इलाका भी था, जिसके पीछे से नर्मदा नदी दिखाई देती थी. तो कई सारे प्लस पाइंट मिले लेकिन नया दौर की यूनिट को बुधनी तक लाने में बड़ा क्रेडिट बेशक तांगों का ही था.''

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दिलीप कुमार भोपाल नया दौर शूटिंग

तांगे वालों ने बताया बुधनी चलो, फिल्म बन रही है: अबकी तरह व्हाट्सअप का दौर तो था नहीं कि वीडियो वायरल हो जाता. खबरें जुबान से उतरकर कान पर चढ़ती थी. तो ये काम बखूबी तांगे वालों ने किया. सैय्यद ताशा पाशा बताते हैं कि ''तब लोगों को फिल्मों के बारे में उतना मालूम भी नहीं था. सितारों का ऐसा क्रेज भी नहीं. लेकिन जिस तरीके से भोपाल से सजे धजे तांगे बुधनी जाते थे लोग बुधनी में शूटिंग देखने का रुख करने लगे.'' उन्हीं दिनों की तस्वीर दिखाते हुए सैय्यद ताशा पाशा कहते हैं, ये देखिए ये मेरे हाथों से खींची हुई तस्वीरें हैं. ये वही गाड़ी है जो फिल्म में इस्तेमाल हुई है. जिसमें दिलीप कुमार बैठे हैं. वैयजंती माला जी का ये फोटो देखिए. जॉनी वॉकर साहब को तो हमने बुलाया तो वो जैसे थे वैसे ही फोटो खिंचवाने आ गए. मैकअप भी सब हम लोगों के सामने ही होता था. फॉरेट्स और पीडब्लूडी के रेस्ट हाउस में सारे लोग ठहरते थे.''

दिलीप कुमार भोपाल नया दौर शूटिंग
दिलीप कुमार भोपाल नया दौर शूटिंग

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ना जनता झूमती थी, ना हीरो नक्शे दिखाते थे: सैय्यद ताशा पाशा ने दिलीप कुमार समेत नया दौर के तकरीबन सारे सितारों की तस्वीरें खींची लेकिन ऐसी जिद नहीं थी कि इन सितारों के साथ तस्वीरें ली जाए. सैयद पाशा कहते हैं, ''डिसिप्लिन बहुत था आप यकीन करेंगे, अगर एक क्रू मैम्बर भी निकलता था तो पब्लिक खुद व खुद पीछे सरक जाती थी. दिलीप कुमार शूटिंग के बाद अकेले बैठे रहे. मजाल है कि कोई उनसे मिलने चला जाए. सब दूर से देखा करते थे. सैय्यद पाशा बताते हैं ''फिल्म रिलीज हो जाने के बाद जब दिलीप कुमार भोपाल आए थे तो उन्होंने एक मुलाकात में मुझसे ये कहा भी कि भोपाल के लोगों का अनुशासन वो कभी नहीं भूलेंगे.'' सैय्यद पाशा कहते हैं ''मुझे जॉनी वॉकर साहब की सादादिली भी बहुत याद आती है वैसे तो दिलीप साहब भी बहुत जमीनी इंसान. जॉनी वॉकर तो जिन कपड़ों में थे उन्ही कपड़ों में मुझसे मिलने आ गए थे. तब के सितारे बहुत सादगी पसंद थे. कोई नक्शे नहीं. कोई प्रोटोकॉल नहीं. लेकिन खास बात ये कि जनता भी उतने ही दूरी में रहती थी. भोपाल के नजदीक हुई पहली फिल्म की शूटिंग नया दौर इसकी गवाही देते हैं. जिसमें दिलीप कुमार वैजयंती माला जैसे सुपर सितारे थे.''

Last Updated : Jun 7, 2023, 11:20 PM IST
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