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दिग्विजय सिंह ने पीएम और शिवराज सिंह को लिखा पत्र, फंसे मजदूरों को वापस लाने की मांग - Digvijay Singh wrote a letter

दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी और सीएम शिवराज सिंह चौहान के लिए एक पत्र लिखा है. पत्र में जगह-जगह फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था करने की अपील की है. इसके लिए उन्होंने बीजेपी के राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव की पहल पर यूपी काशी में फंसे विभिन्न राज्यों के 1000 मजदूरों को उनके घर पहुंचाने का उदाहरण दिया.

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दिग्विजय सिंह
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Published : Apr 17, 2020, 5:51 PM IST

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देशभर में जगह-जगह फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था करने की अपील की है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि मुंबई और सूरत की घटना से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देशभर में अलग-अलग स्थानों पर फंसे मजदूर किन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में बीजेपी के राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव की पहल पर यूपी काशी में फंसे विभिन्न राज्यों के 1000 मजदूरों को उनके घर पहुंचाने का उदाहरण देते हुए अन्य मजदूरों को भी इसी तरह उनके गृह राज्य भेजे जाने की मांग की है.

दिग्विजय सिंह ने सुझाव दिया है कि मजदूरों को उनके घर ले जाने का एक निश्चित प्रोटोकॉल करके उन्हें घर भेजा जा सकता है. घर पहुंचकर उन्हें पंचायत, स्कूल भवनों में क्वॉरेंटाइन किया जा सकता है. दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा है कि कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए किए गए 21 दिन के लॉकडाउन को केंद्र सरकार द्वारा 3 मई तक बढ़ाया गया है. मुझे विश्वास है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के प्रयास तथा आम जनता के सहयोग से देश जल्दी ही इस भयंकर महामारी पर काबू पा लेगा.

दिग्विजय सिंह ने लिखा कि इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों की असहनीय समस्या और पीड़ा की ओर आकर्षित करना चाहता हूं. देशभर के अनेक स्थानों से खबरें आ रही हैं कि वहां फंसे हुए प्रवासी मजदूर और अन्य लोग काफी परेशान हैं. मुंबई और सूरत से आने वाली खबरों से समस्या की भयावहता का अनुमान लगाया जा सकता है. यह लोग रहने और खाने-पीने की समुचित व्यवस्था नहीं होने या गंभीर पारिवारिक परेशानियों के कारण स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और अपने घर जाना चाहते हैं.

विशेष ट्रेन चलाने का दिया सुझाव

मीडिया की खबरों के माध्यम से पता चला है कि राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव की पहल पर काशी (उत्तर प्रदेश) में फंसे तमिलनाडु,तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और उड़ीसा के 1000 तीर्थ यात्रियों को 13 अप्रैल 2020 को केंद्र सरकार की अनुमति पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उनके राज्यों में भेजा गया है. मेरा आपसे अनुरोध है कि प्रवासी मजदूर और गरीबों को भी स्क्रीनिंग करके सेनिटाइज बसों द्वारा और अन्य साधनों से पुलिस सुरक्षा के बीच उनके निवास स्थान तक भेजा जाए. साथ ही उनके लिए प्रोटोकॉल तय किया जा सकता है. ताकि जो लोग स्वस्थ हो और जिसमें कोरोना के कोई लक्षण विद्यमान ना वह अपने स्थान पर पहुंच सकें. ऐसे मजदूरों के लिए विशेष ट्रेन भी चलाई जा सकती है.

पत्र में दिग्विजय सिंह ने दिए सुझाव

अपने पत्र के अंत में दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि अपने स्थान पर पहुंचकर मजदूरों को जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन द्वारा इनके घरों में या इनके गांव के सार्वजनिक भवनों, स्कूल, पंचायत भवन या अन्य उपलब्ध स्थानों पर 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन किया जा सकता है. ताकि संक्रमण भी ना फैले और इन मजदूरों को बीमारी, भूख या हताशा से मरने से बचाया जा सके. इन्हें लाने पर होने वाले व्यय को या तो केंद्र सरकार वहन करेंगी. या फिर राज्य सरकारें वहन करें, जहां के मजदूर मूल निवासी हैं. इसके लिए केंद्र और राज्य आधा-आधा खर्च भी वहन कर सकते हैं.

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देशभर में जगह-जगह फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था करने की अपील की है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि मुंबई और सूरत की घटना से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देशभर में अलग-अलग स्थानों पर फंसे मजदूर किन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में बीजेपी के राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव की पहल पर यूपी काशी में फंसे विभिन्न राज्यों के 1000 मजदूरों को उनके घर पहुंचाने का उदाहरण देते हुए अन्य मजदूरों को भी इसी तरह उनके गृह राज्य भेजे जाने की मांग की है.

दिग्विजय सिंह ने सुझाव दिया है कि मजदूरों को उनके घर ले जाने का एक निश्चित प्रोटोकॉल करके उन्हें घर भेजा जा सकता है. घर पहुंचकर उन्हें पंचायत, स्कूल भवनों में क्वॉरेंटाइन किया जा सकता है. दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा है कि कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए किए गए 21 दिन के लॉकडाउन को केंद्र सरकार द्वारा 3 मई तक बढ़ाया गया है. मुझे विश्वास है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के प्रयास तथा आम जनता के सहयोग से देश जल्दी ही इस भयंकर महामारी पर काबू पा लेगा.

दिग्विजय सिंह ने लिखा कि इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों की असहनीय समस्या और पीड़ा की ओर आकर्षित करना चाहता हूं. देशभर के अनेक स्थानों से खबरें आ रही हैं कि वहां फंसे हुए प्रवासी मजदूर और अन्य लोग काफी परेशान हैं. मुंबई और सूरत से आने वाली खबरों से समस्या की भयावहता का अनुमान लगाया जा सकता है. यह लोग रहने और खाने-पीने की समुचित व्यवस्था नहीं होने या गंभीर पारिवारिक परेशानियों के कारण स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और अपने घर जाना चाहते हैं.

विशेष ट्रेन चलाने का दिया सुझाव

मीडिया की खबरों के माध्यम से पता चला है कि राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव की पहल पर काशी (उत्तर प्रदेश) में फंसे तमिलनाडु,तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और उड़ीसा के 1000 तीर्थ यात्रियों को 13 अप्रैल 2020 को केंद्र सरकार की अनुमति पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उनके राज्यों में भेजा गया है. मेरा आपसे अनुरोध है कि प्रवासी मजदूर और गरीबों को भी स्क्रीनिंग करके सेनिटाइज बसों द्वारा और अन्य साधनों से पुलिस सुरक्षा के बीच उनके निवास स्थान तक भेजा जाए. साथ ही उनके लिए प्रोटोकॉल तय किया जा सकता है. ताकि जो लोग स्वस्थ हो और जिसमें कोरोना के कोई लक्षण विद्यमान ना वह अपने स्थान पर पहुंच सकें. ऐसे मजदूरों के लिए विशेष ट्रेन भी चलाई जा सकती है.

पत्र में दिग्विजय सिंह ने दिए सुझाव

अपने पत्र के अंत में दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि अपने स्थान पर पहुंचकर मजदूरों को जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन द्वारा इनके घरों में या इनके गांव के सार्वजनिक भवनों, स्कूल, पंचायत भवन या अन्य उपलब्ध स्थानों पर 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन किया जा सकता है. ताकि संक्रमण भी ना फैले और इन मजदूरों को बीमारी, भूख या हताशा से मरने से बचाया जा सके. इन्हें लाने पर होने वाले व्यय को या तो केंद्र सरकार वहन करेंगी. या फिर राज्य सरकारें वहन करें, जहां के मजदूर मूल निवासी हैं. इसके लिए केंद्र और राज्य आधा-आधा खर्च भी वहन कर सकते हैं.

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