भोपाल। एमपी के दो आईएएस अफसरों पर ढाई सौ करोड़ के घोटाले का आरोप लगा है. पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने ईओडब्ल्यू से इस मामले की शिकायत की है. दिग्विजय सिंह ने इस शिकायत के साथ इस मामले में Whatsapp पर हुई बातचीत और अधिकारियों के बीच लेन-देन का ऑडियो सीडी भी दी है. आईएएस अजीत केसरी और ज्ञानेश्वर पाटिल पर ये आरोप लगे हैं और दिग्विजय सिंह ने उनकी शिकायत की है.
दिग्विजय सिंह ने की ईओडब्लू में की शिकायत: दिग्विजय सिंह ने ईओडब्ल्यू (EOW) को लिखे पत्र में कहा है कि 'एमपी में वित्त विभाग के अधिकारियों ने ढाई सौ करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया है. उन्होंने लिखा है कि इस पत्र के साथ जो दस्तावेज और ऑडियो हैं, उनके आधाकर पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर घोटाले में शामिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों और कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि उन्हें इस मामले में शिकायत मिली है.'
ढाई सौ करोड़ के करप्शन का क्या है माामला: दिग्विजय सिंह ने इस पत्र में लिखा है कि राज्य मंत्रालय में लागू आई.एफ.एम.एस. सिस्टम का काम एक चहेती फर्म को देने के लिए वित्त विभाग के अधिकारियों ने वित्त मंत्री को विश्वास में लेकर यह ढाई सौ करोड़ रुपये के घोटाले को विधानसभा चुनाव घोषित होने के कुछ दिन पहले ही अंजाम दिया है. उन्होंने कहा कि मुझे प्राप्त शिकायत के अनुसार आई.एफ.एम.एस. सिस्टम के काम के लिये पहले तो मनमानी शर्तें डालते हुए टी.सी.एस. जैसी टाटा की विश्व प्रसिद्ध कंपनी को प्रक्रिया से बाहर किया. फिर टेरा सी.आई.एस. टेक्नालॉजी लिमिटेड, गुडगांव को टेंडर देने के लिये कार्रवाई शुरु कर दी.
इस मामले में वित्त मंत्री जगदीश देवडा के साथ-साथ अतिरिक्त मुख्य सचिव अजीत केशरी की भूमिका भी संदिग्ध रही है. दिग्विजय सिंह की इस शिकायत में आरोप है कि एक अन्य आई.ए.एस. अधिकारी ज्ञानेश्वर पाटिल भी आरोपित कंपनी के प्रतिनिधियों से मिलीभगत कर घोटाले में शामिल रहे. पहले यह टेंडर 200 करोड़ रुपये का था, जिसे एजेंसी तय होने के दौरान बढ़ाकर 247 करोड़ रुपये कर दिया गया.
आरोप टेंडल घोटाले में पचास करोड़ का लेन देन: दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि इस पूरे टेंडर घोटाले में करीब पचास करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है. रिश्वत की रकम विभिन्न माध्यमों से संबंधित अधिकारियों और मंत्री को दी गई है. ए.सी.एस. वित्त अजीत केशरी, ज्ञानेश्वर पाटिल, आयुक्त कोष एवं लेखा और टेरा टेक्नॉलाजी लिमिटेड गुडगांव से काम लेने वाले आंध्र प्रदेश की कंपनी पिक्सल वाईड सॉल्यूशन के डायरेक्टर प्रित्युश जी. रेड्डी के लिए काम करने वाले ग्वालियर निवासी देवेश अग्रवाल के बीच की गई बातचीत का ऑडियो भी दस्तावेज के तौर पर दिग्विजय सिंह ने ईओडब्लू को सौंपा है.
उन्होंने लिखा है कि ऑडियो में वित्त विभाग के शीर्ष अधिकारी हैदराबाद स्थित कंपनी के डायरेक्टर से डील पूरी करने की चर्चा करते सुने जा सकते हैं. इस बातचीत में डील पूरी न होने पर टाटा कंपनी की टी.सी.एस को आगे काम देने की बात भी कही जा रही है. चर्चा के दौरान किसी पवन नामक व्यक्ति का नाम लेनदेन में बार-बार आ रहा था.
आरोप टेंडर प्रक्रिया की शर्तों में बदलाव: दिग्विजय सिंह ने इस पत्र में आरोप लगाया है कि इस मामले में करीब पचास करोड़ का लेन देन करने के बाद वित्त विभाग के अधिकारियों ने आचार संहिता लगने के कुछ दिन पहले गुड़गांव की कंपनी को वर्क ऑर्डर दिया. जो बाद में हैदराबाद की कंपनी को सबलेट किया गया. वित्त विभाग के अधिकारियों ने इस टेंडर प्रक्रिया की शर्तों को इस कंपनी के अनुकूल बनाया था, ताकि अन्य कंपनी भाग ही न ले सके.
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मांग प्रकरण दर्ज कर दस्तावेज जब्त किए जाएं: दिग्विजय सिंह ने मांग की है कि विधानसभा चुनाव के साल में और चुनाव घोषित हाने के कुछ दिन पूर्व घटित इस हाई प्रोफाईल घोटाले में आर्थिक अनियमितता, भ्रष्टाचार का प्रकरण दर्ज कर समस्त संबंधित दस्तावेज जब्त किये जाना चाहिये और आरोपी अधिकारियों और कंपनी के प्रतिनिधियों और दलालों के बीच हुई बातचीत का रिकार्ड मोबाइल कंपनियों से लिया जाकर कार्रवाई की जाये.