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दस्तक अभियान में इस बार होगा डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर का उपयोग, आसानी से होगी बच्चों की स्क्रीनिंग

दस्तक अभियान में इस बार कुपोषण और एनीमिया से पीड़ित बच्चों की जांच के लिए डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे बच्चों की स्क्रीनिंग ज्यादा आसानी से हो सकेगी.

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Published : Feb 7, 2020, 12:40 PM IST

Updated : Feb 7, 2020, 12:59 PM IST

digital hemoglobin meter
डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर का इस्तेमाल

भोपाल। प्रदेश के बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की जांच के लिए चलाए जाने वाले दस्तक अभियान को स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन बड़े स्तर पर चलाने की योजना बना रहा है. अब जांच के लिए डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि बच्चों में एनीमिया की स्क्रीनिंग आसानी से और जल्दी हो सके.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उप संचालक डॉ. प्रज्ञा तिवारी ने बताया कि इस बार हमारी कोशिश है कि इस साल दस्तक अभियान के तहत 5 साल से कम उम्र के बच्चों में हीमोग्लोबिन की स्क्रीनिंग उन्नत उपकरण से की जाए. पिछली बार अभियान में WHO कलर स्केल का उपयोग किया गया था, वहीं इस बार इसे और बेहतर बनाने के लिए हीमोग्लोबिन मीटर का इस्तेमाल होगा.

डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर का इस्तेमाल
बता दें कि पिछले साल जून-जुलाई 2019 में दस्तक अभियान चलाया गया था, जिसमें प्रदेश के 76 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग की गई थी. इनमें से 5 साल से कम उम्र के बच्चों को केंद्र में रखा गया. इसमें करीब 20 हज़ार बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित मिले. उन्हें प्रदेश के पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया था. इसके अलावा एनीमिक बच्चों को चिन्हित करके उन्हें ब्लड ट्रांसफ्यूजन सेवाएं दी गईं और उपचार किया गया.

भोपाल। प्रदेश के बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की जांच के लिए चलाए जाने वाले दस्तक अभियान को स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन बड़े स्तर पर चलाने की योजना बना रहा है. अब जांच के लिए डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि बच्चों में एनीमिया की स्क्रीनिंग आसानी से और जल्दी हो सके.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उप संचालक डॉ. प्रज्ञा तिवारी ने बताया कि इस बार हमारी कोशिश है कि इस साल दस्तक अभियान के तहत 5 साल से कम उम्र के बच्चों में हीमोग्लोबिन की स्क्रीनिंग उन्नत उपकरण से की जाए. पिछली बार अभियान में WHO कलर स्केल का उपयोग किया गया था, वहीं इस बार इसे और बेहतर बनाने के लिए हीमोग्लोबिन मीटर का इस्तेमाल होगा.

डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर का इस्तेमाल
बता दें कि पिछले साल जून-जुलाई 2019 में दस्तक अभियान चलाया गया था, जिसमें प्रदेश के 76 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग की गई थी. इनमें से 5 साल से कम उम्र के बच्चों को केंद्र में रखा गया. इसमें करीब 20 हज़ार बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित मिले. उन्हें प्रदेश के पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया था. इसके अलावा एनीमिक बच्चों को चिन्हित करके उन्हें ब्लड ट्रांसफ्यूजन सेवाएं दी गईं और उपचार किया गया.
Intro:भोपाल- प्रदेश के बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की जांच के लिए चलाएं जाने वाले दस्तक अभियान को इस बार स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन बड़े स्तर पर चलाने की योजना में है इसके साथ ही जांच के लिए डिजिटल हिमोग्लोबिनो मीटर का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि बच्चों में एनीमिया की स्क्रीनिंग आसानी से और जल्दी हो सकें।


Body:इस बारे में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उप संचालक डॉ. प्रज्ञा तिवारी ने बताया कि इस बार हमारी कोशिश है कि इस साल दस्तक अभियान के तहत 5 साल से कम उम्र के बच्चों में हिमोग्लोबिन की स्क्रिनिंग उन्नत उपकरण से की जाएं, पिछली बार अभियान में डब्ल्यू. एच. ओ. कलर स्केल का उपयोग किया था वहीं इस बार इसे और बेहतर बनाने के लिए हिमोग्लोबिनो मीटर का हम इस्तेमाल करेंगे।
इसके लिए भर्ती प्रकिया शुरू कर दी गईं है, जिसके बाद प्रशिक्षण देकर जून-जुलाई2020 में अभियान को शुरू किया जाएगा।



Conclusion:बता दें कि पिछले साल जून-जुलाई 2019 में दस्तक अभियान चलाया गया था जिसमें प्रदेश के 76 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें 5 साल से कम उम्र के बच्चों को केंद्र में रखा गया। इसमें करीब 20 हज़ार बच्चे गम्भीर कुपोषण और चिकित्सीय जटिलता युक्त थे,उन्हें प्रदेश के पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया था। इसके अलावा एनिमिक बच्चों को चिन्हित करके बच्चों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन सेवाएं दी गयी और उपचार दिया गया
इस बार भी शासन का यहीं प्रयास है कि इस प्रक्रिया को और बेहतर किया जाएं।

बाइट- डॉ प्रज्ञा तिवारी
उप संचालक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन


नीलम गुर्वे
रिपोर्टर/कंटेंट एडिटर
भोपाल
Last Updated : Feb 7, 2020, 12:59 PM IST
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