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डिजिटल से डरे माननीय: ऑनलाइन रहने के लिए लेते हैं कई हजार का भत्ता, सवाल पूछे ऑफलाइन

एमपी विधानसभा का मानसून सत्र 9 अगस्त से शुरू होने जा रहा है. राज्य सरकार डिजिटल गवर्नेंस पर जोर दे रही है. इसके बावजूद विधायक ई-गवर्नेंस में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. मानसून सत्र के लिए विधायकों ने 1200 सवाल लगाए, जिसमें 700 सवाल ऑफलाइन पूछे गए हैं.

mp legislative assembly
एमपी विधानसभा
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Published : Aug 4, 2021, 8:32 PM IST

Updated : Aug 4, 2021, 8:44 PM IST

भोपाल। लगता है प्रदेश के कई विधायकों की डिजिटल गवर्नेंस का हिस्सा बनने में रुचि नहीं है. यही वजह है कि लैपटॉप ट्रेनिंग और कंप्यूटर ऑपरेटर की सुविधाएं मिलने के बाद भी माननीय विधानसभा के लिए ऑनलाइन सवाल पूछने में रुचि नहीं दिखाते. नौ अगस्त से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र के लिए विधायकों ने करीब 1200 सवाल लगाए हैं, इसमें से 138 विधायकों ने करीब 700 सवाल ऑफलाइन ही पूछे हैं, जबकि सरकार इस बार डिजिटल बजट पेश कर डिजिटल गवर्नेंस का संदेश दे चुकी है.

एपी सिंह प्रमुख सचिव विधानसभा सचिवालय.

9 अगस्त से शुरू होना है विधानसभा सत्र
विधानसभा का मानसून सत्र 9 अगस्त से शुरू होने जा रहा है. 4 दिन की सत्र के लिए विधायकों ने 1184 सवाल लगाए हैं. इसमें से 618 तारांकित और 566 सवाल अतारांकित हैं. अपने क्षेत्र की समस्या सदन में उठाने के लिए 195 विधायकों ने यह सवाल लगाए हैं. सवाल लगाने वाले विधायकों में से सिर्फ 57 विधायकों ने ही ऑनलाइन सवाल पूछे हैं, जबकि बाकी 138 विधायकों ने लिखकर अपने सवाल विधानसभा सचिवालय भेजे हैं. इन विधायकों ने करीब 700 सवाल ऑफलाइन पूछे हैं. सिर्फ 484 सवाल ही ऑनलाइन पूछे गए हैं.

माननीय को हाईटेक बनाने के लिए दिए गए लैपटॉप
प्रदेश के माननीय हाईटेक रह सकें, इसके लिए कोरोना की वजह से पैदा हुई कड़की के बीच विधायकों को 50-50 हजार की राशि लैपटॉप के लिए जारी की गई थी, जिससे विधायक ऑनलाइन काम कर सकें. इसके अलावा विधायकों को कंप्यूटर भत्ता दिया जाता है. साल 2012 में कंप्यूटर भत्ता 10 हजार रुपये था, जो 2016 में बढ़ाकर 15000 रुपये किया जा चुका है.

टेबलेट पर पेश हुआ था बजट
राज्य सरकार ने अपना पिछला बजट लैपटॉप के जरिए पेश किया था. केंद्र सरकार के पद चिह्नों पर चलते हुए सूबे के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में टेबलेट पर ही बजट पढ़ा. बजट की हार्ड कॉपी के स्थान पर पीडीएफ फॉर्मेट में बजट मोबाइल पर उपलब्ध कराया गया. संदेश साफ था कि सरकार डिजिटल गवर्नेंस की तरफ बढ़ रही है.

ई-लिटरेसी के लिए ट्रेनिंग
विधायकों को ई-लिट्रेट बनाने के लिए उन्हें विधानसभा सचिवालय द्वारा समय-समय पर ट्रेनिंग दी जाती रही है, ताकि उन्हें कंप्यूटर पर काम करने में परेशानी न हो. विधायक ऑनलाइन सवाल लगा सकें, इसके लिए उनके डिजिटल सिग्नेचर भी बना कर दिए गए. सवाल लगाते समय विधायकों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं.

विधानसभा सत्र बीच में छोड़ CM शिवराज ने लगवाई कोरोना वैक्सीन

विधानसभा सचिवालय में बनाया गया अलग प्रकोष्ठ
माननीयों को ऑनलाइन सवाल लगाने में मदद के लिए विधानसभा सचिवालय में अलग से प्रकोष्ठ भी बनाया गया है. इसमें विधायक या उनके सहायक इसको लेकर मदद ले सकते हैं. वहीं विधायक सीधे विधानसभा के अधिकारियों से भी संपर्क कर सकते हैं. मकसद साफ है कि विधायक ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन सवाल ही पूछे. कोरोना से बचाव के लिए भी विधायकों को ऑनलाइन सवाल पूछने की सुविधा दी गई है. ध्यान आकर्षण और शून्यकाल की सूचनाएं भी ऑनलाइन दी जा सकती हैं.

भोपाल। लगता है प्रदेश के कई विधायकों की डिजिटल गवर्नेंस का हिस्सा बनने में रुचि नहीं है. यही वजह है कि लैपटॉप ट्रेनिंग और कंप्यूटर ऑपरेटर की सुविधाएं मिलने के बाद भी माननीय विधानसभा के लिए ऑनलाइन सवाल पूछने में रुचि नहीं दिखाते. नौ अगस्त से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र के लिए विधायकों ने करीब 1200 सवाल लगाए हैं, इसमें से 138 विधायकों ने करीब 700 सवाल ऑफलाइन ही पूछे हैं, जबकि सरकार इस बार डिजिटल बजट पेश कर डिजिटल गवर्नेंस का संदेश दे चुकी है.

एपी सिंह प्रमुख सचिव विधानसभा सचिवालय.

9 अगस्त से शुरू होना है विधानसभा सत्र
विधानसभा का मानसून सत्र 9 अगस्त से शुरू होने जा रहा है. 4 दिन की सत्र के लिए विधायकों ने 1184 सवाल लगाए हैं. इसमें से 618 तारांकित और 566 सवाल अतारांकित हैं. अपने क्षेत्र की समस्या सदन में उठाने के लिए 195 विधायकों ने यह सवाल लगाए हैं. सवाल लगाने वाले विधायकों में से सिर्फ 57 विधायकों ने ही ऑनलाइन सवाल पूछे हैं, जबकि बाकी 138 विधायकों ने लिखकर अपने सवाल विधानसभा सचिवालय भेजे हैं. इन विधायकों ने करीब 700 सवाल ऑफलाइन पूछे हैं. सिर्फ 484 सवाल ही ऑनलाइन पूछे गए हैं.

माननीय को हाईटेक बनाने के लिए दिए गए लैपटॉप
प्रदेश के माननीय हाईटेक रह सकें, इसके लिए कोरोना की वजह से पैदा हुई कड़की के बीच विधायकों को 50-50 हजार की राशि लैपटॉप के लिए जारी की गई थी, जिससे विधायक ऑनलाइन काम कर सकें. इसके अलावा विधायकों को कंप्यूटर भत्ता दिया जाता है. साल 2012 में कंप्यूटर भत्ता 10 हजार रुपये था, जो 2016 में बढ़ाकर 15000 रुपये किया जा चुका है.

टेबलेट पर पेश हुआ था बजट
राज्य सरकार ने अपना पिछला बजट लैपटॉप के जरिए पेश किया था. केंद्र सरकार के पद चिह्नों पर चलते हुए सूबे के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में टेबलेट पर ही बजट पढ़ा. बजट की हार्ड कॉपी के स्थान पर पीडीएफ फॉर्मेट में बजट मोबाइल पर उपलब्ध कराया गया. संदेश साफ था कि सरकार डिजिटल गवर्नेंस की तरफ बढ़ रही है.

ई-लिटरेसी के लिए ट्रेनिंग
विधायकों को ई-लिट्रेट बनाने के लिए उन्हें विधानसभा सचिवालय द्वारा समय-समय पर ट्रेनिंग दी जाती रही है, ताकि उन्हें कंप्यूटर पर काम करने में परेशानी न हो. विधायक ऑनलाइन सवाल लगा सकें, इसके लिए उनके डिजिटल सिग्नेचर भी बना कर दिए गए. सवाल लगाते समय विधायकों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं.

विधानसभा सत्र बीच में छोड़ CM शिवराज ने लगवाई कोरोना वैक्सीन

विधानसभा सचिवालय में बनाया गया अलग प्रकोष्ठ
माननीयों को ऑनलाइन सवाल लगाने में मदद के लिए विधानसभा सचिवालय में अलग से प्रकोष्ठ भी बनाया गया है. इसमें विधायक या उनके सहायक इसको लेकर मदद ले सकते हैं. वहीं विधायक सीधे विधानसभा के अधिकारियों से भी संपर्क कर सकते हैं. मकसद साफ है कि विधायक ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन सवाल ही पूछे. कोरोना से बचाव के लिए भी विधायकों को ऑनलाइन सवाल पूछने की सुविधा दी गई है. ध्यान आकर्षण और शून्यकाल की सूचनाएं भी ऑनलाइन दी जा सकती हैं.

Last Updated : Aug 4, 2021, 8:44 PM IST
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