भोपाल। राजधानी भोपाल में बालविहार चौराहे पर हर साल की तरह इस साल भी पशुओं के श्रृंगार का बाजार लगा हुआ है. ये बाजार सिर्फ गोवर्धन के तीन-चार दिन पहले ही शुरू होता है.मवेशियों को सजाने के लिए लोग इस बाजार से श्रृंगार का सामान लाकर उन्हें सजाते हैं.
भोपाल के गोशाला संचालकों ने गौ माता और बछड़ों के लिए यहां श्रृंगार के तरह- तरह के सामान खरीदें. गोवर्धन पूजा को लेकर इस बार गोवंश के श्रृंगार का व्यवसाय पिछले साल के मुकाबले इस साल काफी अच्छा रहा.
दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. कई जगह लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते है. मान्यता है कि इस दिन गाय की पूजा करनी चाहिए. शास्त्रों के अनुसार गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है. इसकी वजह ये है कि जैसे देवी लक्ष्मी सुख समृद्धि प्रदान करती है उसी तरह गौमाता भी हमें स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती है. यही वजह है कि लोग गोवर्धन का रूप मानकर गौ माता की पूजा करते है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों का संरक्षण किया. जिससे इंद्र का अभिमान चूर-चूर हो गया और कृष्ण ने गोवर्धन की पूजा का महत्व बताया. इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं.