भोपाल। जब मध्यप्रदेश की सत्ता पर कमलनाथ सरकार काबिज हुई थी, तब सरकार ने मंत्रालय में हर महीने की 1 तारीख को होने वाले वंदे मातरम के गायन को ये कहकर बंद कर दिया था कि, हम इसको नए स्वरूप में लागू करेंगे, जिसको लेकर तत्कालीन प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने विरोध जताया था, जिसके बाद तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने एक बार फिर से वंदे मातरम का गायन महीने की पहली तारीख को शुरू कर दिया था. अब जबकि बीजेपी सूबे की सत्ता में वापस आ गई है. पिछले 2 महीने से लॉकडाउन के कारण मंत्रालय में वंदे मातरम का गायन नहीं हो रहा था, लेकिन लॉकडाउन खत्म होने पर भी प्रदेश सरकार को इसकी याद नहीं आई, जिसका कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने गांधीवादी तरीके से विरोध जताया है और वल्लभ भवन के उद्यान में पहुंचकर वंदे मातरम का गायन किया.
कमलनाथ सरकार ने पुलिस बैंड के साथ वंदे मातरम का गायन शुरू किया था, जिसमें बैंड के साथ मंत्रालय के कर्मचारी और स्थानीय लोग मंत्रालय से शौर्य स्मारक तक वंदे मातरम का गायन करते हुए पहुंचते थे. लेकिन कमलनाथ सरकार के गिरते ही लॉकडाउन शुरू हो गया और अप्रैल-मई माह में 1 तारीख को वंदे मातरम का गायन नहीं हुआ. आज 1 जून से उम्मीद थी कि, परंपरा के अनुसार मंत्रालय में वंदे मातरम का गायन होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिससे नाराज कांग्रेसियों ने मंत्रालय के सामने पहुंचकर वंदे मातरम का गायन किया.
पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि, जब तक कांग्रेस की सरकार रही, कमलनाथ मुख्यमंत्री रहे, लगातार वंदे मातरम का गायन होता रहा. लॉकडाउन में गायन नहीं हुआ, लेकिन आज 1 जून है और लॉकडाउन 4.0 के बाद अनलॉक पीरियड शुरू हो गया है. ऐसे में सरकार को वंदे मातरम का गायन करना चाहिए था, लेकिन नहीं किया गया. कांग्रेस पार्टी मानती है कि, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ जो लड़ाई लड़ी और जेल गए, उनका जोश बढ़ाने के लिए वंदे मातरम गीत का गायन किया जाता था. पीसी शर्मा ने कहा कि, 1 जून को हमारी जिला कांग्रेस ने वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा के समक्ष वंदे मातरम गायन किया है, जो हमारी एक कमलनाथ सरकार की परंपरा थी.