भोपाल। पूरे देश की निगाहें अब मध्यप्रदेश पर ही होंगी. 30 मार्च से एक अप्रैल तक ये तीन दिन सामरिक दृष्टि से बेहद अहम होने वाले हैं. वजह ये है कि इन तीन दिनों में नेवी, आर्मी और एयरफोर्स तीनों सेनाओं के प्रमुखों समेत चीफ डिफेंस स्टॉफ के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भोपाल में होने जा रही कमांडर कॉन्फ्रेंस में शामिल होंगे. हमने सेना के पूर्व अधिकारियों के जरिए समझने की कोशिश की कि नियमित बैठक होने के बावजूद इस तरह की कॉन्फ्रेंस को दिल्ली से दूर किए जाने के संदेश क्या हो सकते हैं. वही भारतीय सेना की भविष्य की रणनीति रक्षा के मामलो में आत्मनिर्भरता और दुनिया में बदल रही युद्ध स्ट्रेटेजी से निपटने के फ्यूचर प्लान तैयार करने में इस बैठक की क्या भूमिका है.
पाकिस्तान चीन की चुनौती बनी हुई है: भूतपूर्व ब्रिगेडियर आर विनायक ईटीवी भारत से बातचीत में कहते हैं देखिए भोपाल में जो कमांडर कॉन्फ्रेंस होने जा रही है, ये वैसे तो रूटीन बैठक है. जो हमेशा दिल्ली में होती है. इस बार भोपाल में आयोजित की जा रही है. अगर दिल्ली से बाहर ये भोपाल में हो रही है. इसे इस नजरिए से देखा जा सकता है कि भोपाल के लिए ये गर्व की बात है. अगर दिल्ली से बाहर ये कान्फ्रेंस हो रही है तो इस कॉन्फ्रेंस के साथ जो सेना की गतिविधि हो रही है. फौज को जानने जो एक्जीबिशन लगी है, जो बैंड्स हैं, इसके जरिए सेना से कनेक्शन बन रहा है. सेना को समझने का बड़ा मौका मिल रहा है. दूसरा ये कॉन्फ्रेंस मैं समझता हूं कि रक्षा के मुद्दे पर जो चर्चा होगी. जाहिर है भारत लगातार इस मामले में आत्मनिर्भर हुआ है, लेकिन चीन और पाकिस्तान हमारे सामने ये दो चुनौतियां अब भी बनी हुई है. अगर आप रुस और यूक्रेन के बीच लंबे चले युद्ध की बात करेंगे तो भारत पाकिस्तान के बीच तो निरंतर कई वर्षों से युद्ध जैसे ही हालात हैं. 1948 के बाद से भारत का रुक रुक कर युद्ध ही तो चल रहा है. इस मोर्चे पर कॉन्फ्रेंस में चर्चा हो सकती है. विनायक कहते हैं इसके साथ-साथ देश के सामने फिलहाल आंतरिक चुनौतियां भी हैं. उसमे भी सेना की अहम भूमिका है. जाहिर है कि सेना की मजबूती से लेकर युद्ध की बदली रणनीति दुनिया में सामरिक महत्व का बदला सीन इन सभी मुद्दों पर इस कॉन्फ्रेंस में चर्चा की जा सकती है.
भारतीय सेना मजबूत और सशक्त: वीर चक्र से सम्मानित रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल आदित्य विक्रम पेठिया कहते हैं देखिए युद्ध की रणनीति निरंतर बदल रही है. उसी तरीके से बदल रहे हैं युद्ध की तकनीक उपकरण. आज की तीनो सेनाएं तकनीकी रुप से बहुत समृद्ध है. सामरिक दृष्टि से देखें तो भारतीय सेना बेहद मजबूत और सशक्त है. अब जो भोपाल में ये कमांडर कॉन्फ्रेंस होने जा रही है. ये यूं तो सेना की नियमित बैठक है, लेकिन जाहिर है कि इसमें दुनिया में युद्ध की बदल रही स्ट्रेटेजी के मद्देनजर भी चर्चा हो सकती है. भारत हर मामले में आत्मनिर्भर हुआ है. रक्षा के मौर्चे पर इसमें और कितनी मजबूती की जरुरत है, इस पर भी विचार किया जा सकता है. बाकी एक टर्म है पीस अंडर थ्रेट इसे युद्ध के बदले माहौल के नजरिए से देखिए. तो अब शांति बनी रहे इसके लिए आस पास जो देश हैं, जिनसे खींचतान बनी रहती हैं, उनमें हमारी धमक जरुरी है. इस तरह की कॉन्फ्रेंस जब दिल्ली से निकलकर देश के दूसरे राज्यों में जाती है तो धमक भी बनती है कि भारत रक्षा के मोर्चे पर किसी भी परिस्थिति से डटकर मुकाबला करने तैयार है. इस सामरिक रणनीति के लिए होने वाली कॉन्फ्रेंस की मेहबानी देश के किसी भी हिस्से में की जा सकती है.