भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान अपने जन्मदिन के अवसर पर देर शाम परिवार के साथ भोपाल के नेशनल पार्क वन विहार पहुंचे. जहां उन्होंने नाइट सफारी का लुफ्त उठाया. मुख्यमंत्री चौहान ने अधिकारियों से नाइट सफारी से संबंधित व्यवस्थाओं की जानकारी भी ली. भोपाल वन विहार में गुरुवार से इस नाइट सफारी का शुभारंभ किया गया है. अपनी नाइट सफारी राइड के बाद उन्होंने अपने ट्वीटर अकाउंट पर इसका मजा लेते हुए एक वीडियो भी साझा किया हैं.
मुख्यमंत्री चौहान ने नाइट सफारी का आंनद उठाते हुए कहा कि वन विहार भोपाल एक बेहतर स्थान है. यहां व्यवस्थाएं बेहतर बनाकर इसकी ख्याति बढ़ाई जाना चाहिए. ऐसे कार्य हों कि वन विहार भोपाल का दुनिया में नाम हो. मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्य प्राणी हमारी पृथ्वी का हिस्सा हैं. मनुष्य के साथ वन्य प्राणियों का अस्तित्व भी उतना ही महत्वपूर्ण है. मुख्यमंत्री चौहान ने वन अधिकारियों से वन विहार के वन्य प्राणियों के आहार, विश्राम और उनकी दिनचर्या से संबंधित जानकारी प्राप्त की.
सफारी शुरू होने के दूसरे दिन किया भ्रमण
4 मार्च से भोपाल में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में रात्रि सफारी प्रारंभ की गई है. इससे पर्यटन के विकास में सहयोग मिलेगा. मुख्यमंत्री चौहान ने पिछले माह वन विहार के निरीक्षण के दौरान निर्देश दिए थे कि यहां रात्रि सफारी का शुभारंभ किया जाए. इसी के चलते गुरुवार को इसी शुरुआत की गई, जिसके बाद कल वाइल्ड लाइफ नियमों का पालन करते हुए सीएम ने नाइट सफारी की.
विशिष्ट वन्य प्राणियों के प्रसिद्ध लिए रहा है भोपाल का वन विहार
करीब 445 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले भोपाल के वन विहार को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया है. यहां विशिष्ट वृक्षों की प्रजातियां देखने को मिलती हैं, जिनमें अमलतास, साजा, बैल, बबूल, ईमली, आंवला, तेंदू और सीताफल शामिल हैं. वन्य प्राणियों में बाघ, तेंदुआ, सियार, चीतल, नीलगाय, कृष्णमघ, खरगोश, घड़ियाल और कछुआ आदि शामिल हैं. यह विंध्य अंचल से लाए गए सफेद शेर और बिलासपुर (वर्तमान छत्तीसगढ़) के वनांचल से लाए गए भालू सहित अनेक विशिष्ट वन्य प्राणियों की आश्रय स्थली रहा है. एक सर्प संग्रहालय भी वन विहार परिसर में स्थित है.
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प्राकृतिक सुंदरता को समेटे हुए वन विहार के नजदीक भोजताल है. इसके साथ ही राष्ट्रीय मानव संग्रहालय और सैर-सपाटा जैसे पर्यटक स्थल भी हैं. वन विहार में सालाना लगभग 6 लाख वन्य प्राणी प्रेमी और पर्यटक आते हैं. वर्तमान में यहां संचालित गतिविधियों से दो करोड़ 50 लाख रूपए की वार्षिक आय होती है. वन्य प्राणियों की जीवनचर्या को प्रभावित किए बिना नाइट सफारी प्रारंभ की गई है.