भोपाल। मनुआभान टेकरी कोहेफिजा में 12 साल की नाबालिग के साथ हुई रेप और हत्या की वारदात की जांच सीबीआई करेगी. सीएम शिवराज ने इस मामले में सीबीआई जांच का निर्णय लिया है. सीएम ने कहा है कि, बच्चियों के साथ अपराध की घटनाओं में अपराधियों को कड़ी सजा दिलाई जाएगी. बता दें कि, इस मामले को लेकर पुलिस की कार्रवाई पर कई तरह के सवालिया निशान लग चुके हैं. जिन लड़कों को इस मामले में आरोपी बनाया गया है, उनके मेडिकल रिपोर्ट में कई बार अंतर पाया गया. यही वजह है कि, उनके मेडिकल रिपोर्ट को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ चुके हैं.
पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल
इसके अलावा आरोपियों के परिजनों द्वारा भी इस बात का दावा किया गया है कि, उनके बच्चों को फंसाया गया है. यही वजह है कि, अब तक पुलिस पुख्ता सबूत जुटाने में नाकाम साबित हुई है. इस संबंध में गृह विभाग द्वारा सीबीआई को राज्य सरकार की सहमति भेज दी गई है. प्रदेश सरकार ने इस घटना से संबंधित अपराध, अपराधों के उत्प्रेरण व षडयंत्र संबंधी अनुसंधान की भी सहमति दी है.
क्या था पूरा मामला ?
गौरतलब है कि, 30 अप्रैल 2019 को नाबालिग अपनी हमउम्र रिश्तेदार के साथ मनुआभान टेकरी पर घूमने गई थी. जिसके बाद वो कभी अपने घर नहीं लौट पाई. देर शाम तक जब वो घर नहीं लौटी तो परिजनों ने पुलिस में सूचना दी. नाबालिग की तलाश की गई, तो उसकी लाश मनुभावन टेकरी के पीछे बड़ी पहाड़ी के पास झाड़ियों में मिली. मेडिकल रिपोर्ट में सामने आया कि, उसके साथ पहले रेप किया गया फिर उसकी हत्या कर दी गई. कोहेफिजा थाना पुलिस ने रेप और हत्या का मामला दर्ज कर अविनाश साहू और जस्टिन राज को आरोपी बनाया है. मामले में पुलिस ने कुल 45 लोगों को बतौर गवाह बनाया था.
सागर फॉरेंसिक लैब भेजे गए थे सैंपल
डीएनए रिपोर्ट के लिए दोनों आरोपियों और लड़की के शव से सैंपल लेकर सागर फॉरेंसिक लैब भेजे गए थे. इसके बाद अचानक पुलिस का रुख बदल गया. पुलिस ने सागर फॉरेंसिक लैब से आई रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया. सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त हुई एक जानकारी में पता चला कि, पुलिस ने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि सागर फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. 21 अगस्त 2019 को भोपाल पुलिस ने आरोपी एवं मृतका के सैंपल हैदराबाद फॉरेंसिक लैब भेजे थे. लेकिन हैदराबाद फॉरेंसिक लैब में वेटिंग ज्यादा होने के कारण सैंपल दिल्ली फॉरेंसिक लैब भेज दिए गए. सागर फॉरेंसिक लैब से जो रिपोर्ट आई वो नेगेटिव थी. यही वजह है कि, पुलिस सागर फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट को लगातार नकारने का काम करती रही.
पीड़ित के साथ धरने पर बैठे थे सीएम
जबकि इस फॉरेंसिक लैब कि रिपोर्ट के आधार पर साल 2018 से लेकर मई 2019 तक अलग मामलों में 29 लोगों को सजा-ए-मौत दी जा चुकी है. इस मामले में अभी तक न्याय न मिलने पर सीएम शिवराज ने भी पुलिस को आड़े हाथों लिया था. वो पीड़ित परिवार के साथ धरने पर भी बैठे थे. इस मामले में कोहेफिजा थाना पुलिस ने नाबालिग के शरीर पर मिले शुक्राणु के आधार पर दो लोगों को आरोपी बनाया था. पुलिस ने इस घटना में 45 गवाह बनाए हैं. पूरी तफ्तीश कर 16 जून को चालान कोर्ट में पेश किया गया. पुलिस ने कोर्ट में तर्क दिया था कि, दो बार डीएनए सैंपल सागर लैब भेजे गए थे, जो खराब हो गए. पुलिस अगर नेगेटिव डीएनए रिपोर्ट को कोर्ट में पेश कर देती है, तो निश्चित ही दोनों आरोपियों को जमानत मिल जाती, अब उम्मीद की जा रही है कि, मामला सीबीआई के सौंपा जा रहा है. तो निश्चित रूप से इस पूरे मामले का जल्द से जल्द पर्दाफाश हो जाएगा.