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देना बैंक घोटाला मामलाः 17 साल बाद आरोपियों को हुई सजा, सीबीआई स्पेशल कोर्ट का फैसला

भोपाल के एमपीनगर के देना बैंक के कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से बैंक को करोड़ों का चूना लगाया था. जिसके बाद मामला सीबीआई कोर्ट में पहुंच गया था, सीबीआई की विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए बैंक मैनेजर समेत चारों आरोपियों को 4 साल की सजा के साथ 16 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

जिला एवं सत्र न्यायालय
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Published : Oct 6, 2019, 3:06 PM IST

Updated : Oct 6, 2019, 3:21 PM IST

भोपाल | राजधानी के एमपी नगर क्षेत्र में साल 2002 से 2003 के बीच देना बैंक शाखा में कुछ कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए की बैंक गारंटी प्राप्त की गई थी. ये मामला कई सालों से सीबीआई की विशेष अदालत में चल रहा था . लेकिन देर शाम न्यायाधीश आलोक अवस्थी ने भ्रष्टाचारी बैंक मैनेजर सहित चार लोगों को 4 साल की सजा के साथ 16 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है.

बता दें देना बैंक के रीजनल मैनेजर एस श्रीनिवासन ने सीबीआई कार्यालय में लिखित शिकायत की थी. जिसमें बताया गया था कि बैंक के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर आरके माथुर ,बैंक अधिकारी संजय कुमार ने आरके एक्सपोर्ट भोपाल संचालक हेनरी गर्ग, गारंटर आरके गर्ग और सिंगल एक्सपोर्ट मुंबई के पार्टनर अशोक अग्रवाल के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए की बैंक गारंटी प्राप्त की है. बैंक मैनेजर , बैंक अधिकारी ने बैंक के नियमों को ताक पर रखते हुए, ऐसी कुल 18 बैंक गारंटी स्वीकृत की जिसका अमाउंट 16 करोड़ 57 लाख रुपए है.

देना बैंक घोटाले में आरोपियों को हुई सजा

अभियोजन के अनुसार मामला साल 2002 से 2003 के बीच का है जो लंबे समय से चल रहा था, जिसका फैसला आखिरकार हो गया है . उस समय देना बैंक के रीजनल मैनेजर एस श्रीनिवासन ने सीबीआई कार्यालय में लिखित शिकायत की थी . शिकायत में बताया गया था कि बैंक के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर आर के माथुर ,बैंक अधिकारी संजय कुमार ने आरके एक्सपोर्ट भोपाल संचालक हेनरी गर्ग , गारंटर आरके गर्ग और सिंगल एक्सपोर्ट मुंबई के पार्टनर अशोक अग्रवाल के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए की बैंक गारंटी प्राप्त की है . बैंक मैनेजर , बैंक अधिकारी ने बैंक के नियमों को ताक पर रखते हुए ऐसी कुल 18 बैंक गारंटी स्वीकृत की जो कि 16 करोड़ 57 लाख रुपए की है.

आरोपियों ने फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर चंडीगढ़ फ़ूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से चावल की खरीदी की है . बैंक अधिकारियों ने आरोपियों को लाभ पहुंचाने के लिए उनकी लिमिट से अधिक की बैंक गारंटी स्वीकृत की थी . आरोपियों को 02 करोड़ 10 लाख रुपए तक बैंक गारंटी की पात्रता थी . लेकिन उन्हें 16 करोड़ 57 लाख रुपए की गारंटी दी गई. जिसके बाद उन्होंने इन फर्जी गारंटी के माध्यम से फिरोजपुर, जालंधर , चंडीगढ़, पटियाला व दूसरे राज्यों की एफसीआई कार्यालयों से करोड़ों के अनाज की खरीदी की. साथ ही एफसीआई को भी लाखों रुपए का चूना लगाया था,जिसकी वसूली के प्रकरणों की सुनवाई अलग से अदालत में चल रही है. सीबीआई ने शिकायत के आधार पर षड्यंत्र में शामिल बैंक अधिकारियों और फर्मो के संचालकों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत धोखाधड़ी ,जालसाजी ,फर्जीवाड़े , और षड्यंत्र का मामला कायम किया. जिसके बाद अदालत में ये फैसला सुनाया गया.

भोपाल | राजधानी के एमपी नगर क्षेत्र में साल 2002 से 2003 के बीच देना बैंक शाखा में कुछ कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए की बैंक गारंटी प्राप्त की गई थी. ये मामला कई सालों से सीबीआई की विशेष अदालत में चल रहा था . लेकिन देर शाम न्यायाधीश आलोक अवस्थी ने भ्रष्टाचारी बैंक मैनेजर सहित चार लोगों को 4 साल की सजा के साथ 16 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है.

बता दें देना बैंक के रीजनल मैनेजर एस श्रीनिवासन ने सीबीआई कार्यालय में लिखित शिकायत की थी. जिसमें बताया गया था कि बैंक के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर आरके माथुर ,बैंक अधिकारी संजय कुमार ने आरके एक्सपोर्ट भोपाल संचालक हेनरी गर्ग, गारंटर आरके गर्ग और सिंगल एक्सपोर्ट मुंबई के पार्टनर अशोक अग्रवाल के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए की बैंक गारंटी प्राप्त की है. बैंक मैनेजर , बैंक अधिकारी ने बैंक के नियमों को ताक पर रखते हुए, ऐसी कुल 18 बैंक गारंटी स्वीकृत की जिसका अमाउंट 16 करोड़ 57 लाख रुपए है.

देना बैंक घोटाले में आरोपियों को हुई सजा

अभियोजन के अनुसार मामला साल 2002 से 2003 के बीच का है जो लंबे समय से चल रहा था, जिसका फैसला आखिरकार हो गया है . उस समय देना बैंक के रीजनल मैनेजर एस श्रीनिवासन ने सीबीआई कार्यालय में लिखित शिकायत की थी . शिकायत में बताया गया था कि बैंक के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर आर के माथुर ,बैंक अधिकारी संजय कुमार ने आरके एक्सपोर्ट भोपाल संचालक हेनरी गर्ग , गारंटर आरके गर्ग और सिंगल एक्सपोर्ट मुंबई के पार्टनर अशोक अग्रवाल के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए की बैंक गारंटी प्राप्त की है . बैंक मैनेजर , बैंक अधिकारी ने बैंक के नियमों को ताक पर रखते हुए ऐसी कुल 18 बैंक गारंटी स्वीकृत की जो कि 16 करोड़ 57 लाख रुपए की है.

आरोपियों ने फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर चंडीगढ़ फ़ूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से चावल की खरीदी की है . बैंक अधिकारियों ने आरोपियों को लाभ पहुंचाने के लिए उनकी लिमिट से अधिक की बैंक गारंटी स्वीकृत की थी . आरोपियों को 02 करोड़ 10 लाख रुपए तक बैंक गारंटी की पात्रता थी . लेकिन उन्हें 16 करोड़ 57 लाख रुपए की गारंटी दी गई. जिसके बाद उन्होंने इन फर्जी गारंटी के माध्यम से फिरोजपुर, जालंधर , चंडीगढ़, पटियाला व दूसरे राज्यों की एफसीआई कार्यालयों से करोड़ों के अनाज की खरीदी की. साथ ही एफसीआई को भी लाखों रुपए का चूना लगाया था,जिसकी वसूली के प्रकरणों की सुनवाई अलग से अदालत में चल रही है. सीबीआई ने शिकायत के आधार पर षड्यंत्र में शामिल बैंक अधिकारियों और फर्मो के संचालकों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत धोखाधड़ी ,जालसाजी ,फर्जीवाड़े , और षड्यंत्र का मामला कायम किया. जिसके बाद अदालत में ये फैसला सुनाया गया.

Intro: बैंक के साथ फर्जीवाड़ा करने वाले बैंक मैनेजर सहित चार लोगों को न्यायालय ने सुनाई 4 साल की सजा

भोपाल | राजधानी के एमपी नगर क्षेत्र में वर्ष 2002 से 2003 के बीच देना बैंक शाखा में कुछ कर्मचारियों के द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए की बैंक गारंटी प्राप्त की गई थी . यह मामला कई वर्षों से सीबीआई की विशेष अदालत में चल रहा था . लेकिन देर शाम विशेष न्यायाधीश आलोक अवस्थी ने भ्रष्टाचारी बैंक मैनेजर सहित चार लोगों को 4 साल की सजा सुनाई है .







Body:राजधानी की सीबीआई की विशेष अदालत ने 16. 57 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी घोटाले के दोषी पाए गए बैंक मैनेजर, बैंक अधिकारी और अनाज की खरीददार फर्मों के संचालकों को 4 साल की कैद और 16 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है .

अभियोजन के अनुसार मामला वर्ष 2002 से 2003 के बीच का है जो लंबे समय से चल रहा था, जिसका फैसला आखिरकार हो गया है . उस समय देना बैंक के रीजनल मैनेजर एस श्रीनिवासन ने सीबीआई कार्यालय में लिखित शिकायत की थी . शिकायत में बताया गया था कि बैंक के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर आर के माथुर ,बैंक अधिकारी संजय कुमार ने आरके एक्सपोर्ट भोपाल संचालक हेनरी गर्ग , गारंटर आरके गर्ग और सिंगल एक्सपोर्ट मुंबई के पार्टनर अशोक अग्रवाल के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए की बैंक गारंटी प्राप्त की है . बैंक मैनेजर , बैंक अधिकारी ने बैंक के नियमों को ताक पर रखते हुए ऐसी कुल 18 बैंक गारंटी स्वीकृत की जो कि 16 करोड़ 57 लाख रुपए की है .


Conclusion:आरोपितों ने फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर चंडीगढ़ फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया से चावल की खरीदी की है . बैंक अधिकारियों ने आरोपितों को लाभ पहुंचाने के लिए उनकी लिमिट से अधिक की बैंक गारंटी स्वीकृत की थी . आरोपितों को 02 करोड़ 10 लाख रुपए तक बैंक गारंटी की पात्रता थी . लेकिन उन्हें 16 करोड़ 57 लाख रुपए की गारंटी दी गई थी . आरोपितों ने इन फर्जी गारंटी के माध्यम से फिरोजपुर , जालंधर , चंडीगढ़ , पटियाला व अन्य राज्यों की एफसीआई कार्यालयों से करोड़ों के अनाज की खरीदी की थी . आरोपितों ने एफसीआई को भी लाखों रुपए का चूना लगाया था ,जिनके वसूली के प्रकरणों की सुनवाई अलग से अदालत में चल रही है . सीबीआई ने शिकायत के आधार पर षड्यंत्र में शामिल बैंक अधिकारियों और फर्मो के संचालकों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत धोखाधड़ी ,जालसाजी ,फर्जीवाड़े , और षड्यंत्र का अपराध कायम कर मामले का चालान अदालत में पेश किया था .जिसके बाद यह फैसला सुनाया गया है .
Last Updated : Oct 6, 2019, 3:21 PM IST
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