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Budget 2023: आम बजट से किसानों को आस, क्या इन मांगों पर खरा उतरेगी केंद्र सरकार - budget session 2023

1 फरवरी को केंद्र सरकार अपना आप बजट पेश करेगी. इस बजट से हर तबके को बड़ी आशा है. इसी क्रम में कृषि प्रधान देश कहे जाने वाले भारत के किसानों को केंद्र के बजट से उम्मीदें है. किसानों की मानें तो उनके समर्थन मूल्य पर फसल खरीदी की जानी चाहिए.

Budget 2023
आम बजट से किसानों को आस
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Published : Jan 31, 2023, 4:42 PM IST

भोपाल। आम बजट का इंतजार खत्म होने को है. सरकार चुनावी साल को देखते हुए कई सौगातें देने की तैयारी में है. भारत की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है. चुनावी साल में मोदी सरकार किसानों को खुश करना चाहेगी, किसानों के मुताबिक उनके समर्थन मूल्य पर फसल खरीदी की जानी चाहिए, लेकिन अभी सरकार समर्थन मूल्य उतना नहीं देती है. अगर सरकार ऐसा करती है तो किसानों के चेहरों पर मुस्कान आ सकती है. भोपाल से लगे फंदा ब्लॉक के किसान आत्मराम शर्मा कहते हैं कि सरकार अधिसूचित फसल समर्थन मूल्य पर खरीदती है और वो भी एक तय समय सीमा में. किसान के पास इतना पैसा नहीं होता कि वो फसल को रोक सके. आर्थिक स्थिति उतनी मजबूत नहीं होती कि वो अपनी फसल रोक सके. जब तक सरकार ऐलान करती है कि फसल खरीदी होगी, तब तक किसान मंडियों में अपनी फसल बेच चुका होता है, लिहाजा फायदा किसान को नहीं बल्कि व्यापारी को होता है.

फसल बीमा को लेकर सरकार पर आरोप: फसल बीमा के जरिए शिवराज किसानों को साधने की कोशिश करेंगे. शिवराज सरकार का दावा है कि 2021-22 में 49 लाख किसानों को 7600 करोड़ रुपए बतौर फसल बीमा दिया. सरकार इस साल भी बड़ा आयोजन करने जा रही है, खरीफ की फसलों को हुए नुकसान का आकलन किया गया है और एक बार फिर बीजेपी सरकार करोड़ों रुपए किसानों के खाते में डालेगी, लेकिन फसल बीमा में कई खामियां अभी भी है. बीजेपी पर आरोप लगते रहे हैं कि फसल बीमा उन इलाकों में ज्यादा मिलता है, जिस क्षेत्र से सरकार में पूर्व मंत्री या फिर मंत्री चुना गया है. अभी भी फसल बीमा को लेकर काफी विसगंतियां सामने आती हैं. इस बार किसान की नजर फिर सरकार के बजट पर रहेगी. लगातार खाद महंगा हो रहा है. प्रति एकड़ जो खेती की लागत आ रही है. उसके बाद किसानों को मुनाफा नहीं हो पाता है.

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किसानों की महंगी बिजली पर और सब्सिडी की मांग: रायसेन जिले के किसान भीकम सिंह कहते हैं कि हमारा गांव भोपाल से लगा हुआ है और हम कैश क्रॉप पैदा करके मुनाफा भी कमा लेते हैं, लेकिन सरकार द्वारा लगातार बिजली के दाम बढ़ाए जा रहे हैं. ऐसे में सरकार को इन पर और सब्सिडी देना चाहिए, लेकिन बिजली चोरी से वोल्टेज कम हो जाता है और ज्यादातर जो चोरी करते हैं, वे रसूखदार हैं, ऐसे में सरकार को नए नियम बनाने चाहिए. एमपी में चुनावी साल है और ऐसे में राज्यों की कोशिश होगी कि किसानों को और सौगात मिले. जैसे सोलर पंप योजना जो कि फिलहाल बंद है. इसे चालू रखने के लिए केंद्र सरकार बजट का प्रावधान करने वाली है. वहीं मुख्यमंत्री ट्रांसफार्मर योजना भी चालू करने की मांग है. जिसमें किसान 25 प्रतिशत की लागत में अपने खेत में ट्रांसफार्मर रख लेता है. वैसे अमूमन निजी तौर पर एक टांसफार्मर रखने में एक लाख रुपए का खर्च आता है. किसानों की आमदनी बढाने के लिए पारंपरिक खेती की जगह सरकार का ध्यान उद्यानिकी और फल की खेती पर है. इस सेक्टर के लिए बजट में खासा प्रावधान किए जाने की उम्मीद है.

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मोटे अनाज की ब्रांडिग पर केंद्र सरकार का जोर: केंद्र सरकार की योजना है कि मोटे अनाज की मार्केटिंग हो और किसान भी मोटे अनाज की तरफ आकर्षित हो, लेकिन सबसे बड़ी समस्या है कि मोटे अनाज में उतना उत्पादन नहीं मिल पाता. जिससे किसान मोटे अनाज की खेती से बच रहा है, हालांकि सरकार इसके लिए भी योजना लाने की तैयारी में है. हाइब्रीड बीज उपलब्ध कराए जाने के लिए प्लानिंग की जा रही है

भोपाल। आम बजट का इंतजार खत्म होने को है. सरकार चुनावी साल को देखते हुए कई सौगातें देने की तैयारी में है. भारत की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है. चुनावी साल में मोदी सरकार किसानों को खुश करना चाहेगी, किसानों के मुताबिक उनके समर्थन मूल्य पर फसल खरीदी की जानी चाहिए, लेकिन अभी सरकार समर्थन मूल्य उतना नहीं देती है. अगर सरकार ऐसा करती है तो किसानों के चेहरों पर मुस्कान आ सकती है. भोपाल से लगे फंदा ब्लॉक के किसान आत्मराम शर्मा कहते हैं कि सरकार अधिसूचित फसल समर्थन मूल्य पर खरीदती है और वो भी एक तय समय सीमा में. किसान के पास इतना पैसा नहीं होता कि वो फसल को रोक सके. आर्थिक स्थिति उतनी मजबूत नहीं होती कि वो अपनी फसल रोक सके. जब तक सरकार ऐलान करती है कि फसल खरीदी होगी, तब तक किसान मंडियों में अपनी फसल बेच चुका होता है, लिहाजा फायदा किसान को नहीं बल्कि व्यापारी को होता है.

फसल बीमा को लेकर सरकार पर आरोप: फसल बीमा के जरिए शिवराज किसानों को साधने की कोशिश करेंगे. शिवराज सरकार का दावा है कि 2021-22 में 49 लाख किसानों को 7600 करोड़ रुपए बतौर फसल बीमा दिया. सरकार इस साल भी बड़ा आयोजन करने जा रही है, खरीफ की फसलों को हुए नुकसान का आकलन किया गया है और एक बार फिर बीजेपी सरकार करोड़ों रुपए किसानों के खाते में डालेगी, लेकिन फसल बीमा में कई खामियां अभी भी है. बीजेपी पर आरोप लगते रहे हैं कि फसल बीमा उन इलाकों में ज्यादा मिलता है, जिस क्षेत्र से सरकार में पूर्व मंत्री या फिर मंत्री चुना गया है. अभी भी फसल बीमा को लेकर काफी विसगंतियां सामने आती हैं. इस बार किसान की नजर फिर सरकार के बजट पर रहेगी. लगातार खाद महंगा हो रहा है. प्रति एकड़ जो खेती की लागत आ रही है. उसके बाद किसानों को मुनाफा नहीं हो पाता है.

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