ETV Bharat / state

सपा और बसपा को है उपचुनाव के परिणाम का इंतजार, जानें क्या है बहुमत का समीकरण ?

मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के नतीजे 10 नवंबर को घोषित हो जाएंगे, इसके साथ ही ये भी साफ हो जाएगा की, सूबे की सत्ता किसके हाथ में रहेगी. सीएम शिवराज अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब होते हैं या फिर कांग्रेस वापसी करती है. मतगणना से पहले लगाए जा रहे तमाम कयासों के बीच सपा और बसपा की भूमिका भी काफी अहम हो सकती है.

bsp sp and independent candidates
किसके साथ हाथी-साइकिल?
author img

By

Published : Nov 9, 2020, 8:07 AM IST

Updated : Nov 9, 2020, 9:17 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के नतीजे 10 नवंबर को घोषित हो जाएंगे. ये उपचुनाव कांग्रेस के लिए जहां गद्दार बनाम वफादार की लड़ाई बन चुका है, तो वहीं सीएम शिवराज और सिंधिया के साथ- साथ कांग्रेस के बागियों की किस्मत का फैसला करने वाला है. मतगणना से पहले लगाए जा रहे तमाम कयासों के बीच सपा और बसपा की भूमिका भी काफी अहम मानी जा रही है. बीजेपी को सरकार बचाने के लिए सिर्फ 8 सीटों की जरूरत है, तो वहीं कांग्रेस को सत्ता में वापसी करने के लिए सभी 28 सीटें जीतनी पड़ेगी. ऐसे में अगर एसपी- बीएसपी ने अच्छा प्रदर्शन किया तो सत्ता की चाबी हथियानों में कामयाब हो जाएंगी.

किसके साथ हाथी-साइकिल?

एसपी- बीएसपी को है उपचुनाव परिणाम का इंतजार

एक ओर मौजूदा समय में शिवराज सरकार के समर्थन में निर्दलीय, सपा और बसपा के विधायक नजर आ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर उन विधायकों का यह भी कहना है कि, हम आज की तारीख तक सरकार के साथ हैं, परिणाम आने के बाद अपने हाईकमान के निर्देश पर चलेंगे. इसका मतलब साफ है कि, वो हवा के रुख के साथ अपना रुख बदल सकते हैं.

हाई कमान तय करेगा हमारी भूमिका- संजीव कुशवाहा

बहुजन समाज पार्टी के विधायक संजीव कुशवाहा का कहना है कि, आज दिनांक तक हम सरकार के साथ हैं. 28 विधानसभा सीटों के परिणाम घोषित होने के बाद 10 नवंबर के बाद जो हाईकमान कहेगा, हम उस फैसले पर अमल करेंगे. कहीं न कहीं इसका मतलब साफ है कि, निर्दलीय, बसपा और सपा का रुख भी उसी हवा के साथ रहेगा, जो 10 तारीख के बाद मध्य प्रदेश में चलेगी, क्योंकि ये वही निर्दलीय, बसपा और समाजवादी पार्टी के विधायक हैं, जो शिवराज सरकार गिरने के बाद कमलनाथ के साथ थे और तर्क था कि, वह क्षेत्र के विकास के लिए सरकार के साथ हैं. इन विधायकों के बयान उस समय भी सामने आए थे, जब सूबे की सत्ता से सिंधिया और उनके समर्थकों ने मिलकर कमलनाथ सरकार का तख्तापलट किया था. तब भी यही दावा किया था कि, वो कमलनाथ सरकार के साथ हैं. लेकिन जब सरकार गिरी तो इन विधायकों ने भी अपना रुख बदलकर बीजेपी की तरफ कर लिया.

ये भी पढ़ें- MP BY POLLS 2020: जीते तो नाथ को ताज, हारे तो डूबेंगे महा'राज' !

रूख है खास

10 नवंबर को आने वाले चुनाव परिणामों के बाद 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा के विधायकों की भूमिका भी खास हो सकती है, क्योंकि इन विधायकों का रुख समय-समय पर क्षेत्र के विकास के लिए सरकार को समर्थन करना रहा है. पिछली कमलनाथ सरकार में भी सभी विधायकों ने उनकी सरकार का समर्थन किया था, जिसमें एक निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को खनिज मंत्री बनाया गया था तो वहीं जब कमलनाथ की सरकार गिरी तो प्रदीप जायसवाल ने बीजेपी का थामन थामा और वर्तमान में खनिज विकास निगम के अध्यक्ष हैं.

ये भी पढ़ें- पूर्व सीएम कमलनाथ ने 11 नवंबर को बुलाई विधायक दल की बैठक

हाल ही में बसपा विधायक संजीव सिंह और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह से भी मुलाकात की, जिसके बाद से माना जा रहा था कि, ये मुलाकात इन विधायकों को विश्वास में लेने के लिए की गई है. यही नहीं इसके पहले सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया से निर्दलीय विधायक केदार सिंह डावर भी मुलाकात कर चुके हैं. फिलहाल सपा और बसपा के विधायक प्रदेश की बीजेपी सरकार को समर्थन दे रहे हैं, लेकिन सवाल आज भी यही है कि, क्या ये सभी विधायक 10 नवंबर के बाद भी बीजेपी के साथ हीं रहेंगे या चुनाव परिणाम शिवराज सरकार के खिलाफ होते ही 'कमल' छोड़कर सभी विधायक कमलनाथ के हो जाएंगे.

ये भी पढ़ें- उमा भारती का सक्रिय राजनीति में वापसी का संकेत किस ओर ?

इस तरह समझें बहुमत का समीकरण

मध्य प्रदेश में सत्ता के अंक गणित की बात की जाए, तो प्रदेश में कुल विधायकों की संख्या 230 है, जिसमें हाल ही में एक विधायक के इस्तीफे के बाद 229 रह गई है. वर्तमान में विधायकों की संख्या के हिसाब से सरकार को बहुमत हासिल करने के लिए 115 विधायकों की जरूरत होगी. मौजूदा समय मे बीजेपी के पास 107 विधायक हैं और बहुमत के लिए बीजेपी को 8 विधायकों की जरूरत है. वहीं कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या सिर्फ 87 रह गई है. उपचुनाव वाली सभी 28 सीटें जीतने के बाद ही कांग्रेस के हाथ सत्ता की कुर्सी लग पाएगी.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस से इस्तीफा देकर राहुल लोधी बीजेपी में शामिल, सीएम शिवराज ने दिलाई सदस्यता

हम 28 की 28 सीटें जीत रहे हैं- वीडी शर्मा

10 नवंबर को आने वाले परिणाम को लेकर भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि, वो 28 की 28 सीटें जीत रही हैं. लेकिन कहीं न कहीं बीजेपी नेताओं के अंदर भी ये हलचल मची है कि, कहीं ये बंपर मतदान बीजेपी के कमल को न उखाड़ दे. यही वजह है कि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा लगातार चुनाव प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों से एक-एक सीट पर हुए मतदान का फीडबैक ले रहे हैं और मीडिया के सामने यह दावा भी कर रहे हैं कि, हम 28 की 28 सीटें प्रचंड बहुमत से जीत रहे हैं.

ये भी पढ़ें- विधानसभा उपचुनाव में सभी 28 सीटें जीतेगी बीजेपी, कार्यकर्ता की मेहनत होगी सफल : वीडी शर्मा

28 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के परिणाम के पहले ही एक बार फिर से निर्दलीय और कई पार्टी के विधायकों को तवज्जो मिलनी शुरू हो गई है. जिस तरीके से भारी-भरकम मतदान हुआ है, कहीं न कहीं बीजेपी को भी ये डर सताने लगा है कि, कहीं है मतदान बीजेपी के खिलाफ तो नहीं है. यही वजह है कि, अभी से भारतीय जनता पार्टी अपने प्लान B पर काम करने लगी है.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस की अपने विधायकों पर पैनी नजर, कमलनाथ ने सीनियर नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी

भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के नतीजे 10 नवंबर को घोषित हो जाएंगे. ये उपचुनाव कांग्रेस के लिए जहां गद्दार बनाम वफादार की लड़ाई बन चुका है, तो वहीं सीएम शिवराज और सिंधिया के साथ- साथ कांग्रेस के बागियों की किस्मत का फैसला करने वाला है. मतगणना से पहले लगाए जा रहे तमाम कयासों के बीच सपा और बसपा की भूमिका भी काफी अहम मानी जा रही है. बीजेपी को सरकार बचाने के लिए सिर्फ 8 सीटों की जरूरत है, तो वहीं कांग्रेस को सत्ता में वापसी करने के लिए सभी 28 सीटें जीतनी पड़ेगी. ऐसे में अगर एसपी- बीएसपी ने अच्छा प्रदर्शन किया तो सत्ता की चाबी हथियानों में कामयाब हो जाएंगी.

किसके साथ हाथी-साइकिल?

एसपी- बीएसपी को है उपचुनाव परिणाम का इंतजार

एक ओर मौजूदा समय में शिवराज सरकार के समर्थन में निर्दलीय, सपा और बसपा के विधायक नजर आ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर उन विधायकों का यह भी कहना है कि, हम आज की तारीख तक सरकार के साथ हैं, परिणाम आने के बाद अपने हाईकमान के निर्देश पर चलेंगे. इसका मतलब साफ है कि, वो हवा के रुख के साथ अपना रुख बदल सकते हैं.

हाई कमान तय करेगा हमारी भूमिका- संजीव कुशवाहा

बहुजन समाज पार्टी के विधायक संजीव कुशवाहा का कहना है कि, आज दिनांक तक हम सरकार के साथ हैं. 28 विधानसभा सीटों के परिणाम घोषित होने के बाद 10 नवंबर के बाद जो हाईकमान कहेगा, हम उस फैसले पर अमल करेंगे. कहीं न कहीं इसका मतलब साफ है कि, निर्दलीय, बसपा और सपा का रुख भी उसी हवा के साथ रहेगा, जो 10 तारीख के बाद मध्य प्रदेश में चलेगी, क्योंकि ये वही निर्दलीय, बसपा और समाजवादी पार्टी के विधायक हैं, जो शिवराज सरकार गिरने के बाद कमलनाथ के साथ थे और तर्क था कि, वह क्षेत्र के विकास के लिए सरकार के साथ हैं. इन विधायकों के बयान उस समय भी सामने आए थे, जब सूबे की सत्ता से सिंधिया और उनके समर्थकों ने मिलकर कमलनाथ सरकार का तख्तापलट किया था. तब भी यही दावा किया था कि, वो कमलनाथ सरकार के साथ हैं. लेकिन जब सरकार गिरी तो इन विधायकों ने भी अपना रुख बदलकर बीजेपी की तरफ कर लिया.

ये भी पढ़ें- MP BY POLLS 2020: जीते तो नाथ को ताज, हारे तो डूबेंगे महा'राज' !

रूख है खास

10 नवंबर को आने वाले चुनाव परिणामों के बाद 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा के विधायकों की भूमिका भी खास हो सकती है, क्योंकि इन विधायकों का रुख समय-समय पर क्षेत्र के विकास के लिए सरकार को समर्थन करना रहा है. पिछली कमलनाथ सरकार में भी सभी विधायकों ने उनकी सरकार का समर्थन किया था, जिसमें एक निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को खनिज मंत्री बनाया गया था तो वहीं जब कमलनाथ की सरकार गिरी तो प्रदीप जायसवाल ने बीजेपी का थामन थामा और वर्तमान में खनिज विकास निगम के अध्यक्ष हैं.

ये भी पढ़ें- पूर्व सीएम कमलनाथ ने 11 नवंबर को बुलाई विधायक दल की बैठक

हाल ही में बसपा विधायक संजीव सिंह और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह से भी मुलाकात की, जिसके बाद से माना जा रहा था कि, ये मुलाकात इन विधायकों को विश्वास में लेने के लिए की गई है. यही नहीं इसके पहले सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया से निर्दलीय विधायक केदार सिंह डावर भी मुलाकात कर चुके हैं. फिलहाल सपा और बसपा के विधायक प्रदेश की बीजेपी सरकार को समर्थन दे रहे हैं, लेकिन सवाल आज भी यही है कि, क्या ये सभी विधायक 10 नवंबर के बाद भी बीजेपी के साथ हीं रहेंगे या चुनाव परिणाम शिवराज सरकार के खिलाफ होते ही 'कमल' छोड़कर सभी विधायक कमलनाथ के हो जाएंगे.

ये भी पढ़ें- उमा भारती का सक्रिय राजनीति में वापसी का संकेत किस ओर ?

इस तरह समझें बहुमत का समीकरण

मध्य प्रदेश में सत्ता के अंक गणित की बात की जाए, तो प्रदेश में कुल विधायकों की संख्या 230 है, जिसमें हाल ही में एक विधायक के इस्तीफे के बाद 229 रह गई है. वर्तमान में विधायकों की संख्या के हिसाब से सरकार को बहुमत हासिल करने के लिए 115 विधायकों की जरूरत होगी. मौजूदा समय मे बीजेपी के पास 107 विधायक हैं और बहुमत के लिए बीजेपी को 8 विधायकों की जरूरत है. वहीं कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या सिर्फ 87 रह गई है. उपचुनाव वाली सभी 28 सीटें जीतने के बाद ही कांग्रेस के हाथ सत्ता की कुर्सी लग पाएगी.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस से इस्तीफा देकर राहुल लोधी बीजेपी में शामिल, सीएम शिवराज ने दिलाई सदस्यता

हम 28 की 28 सीटें जीत रहे हैं- वीडी शर्मा

10 नवंबर को आने वाले परिणाम को लेकर भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि, वो 28 की 28 सीटें जीत रही हैं. लेकिन कहीं न कहीं बीजेपी नेताओं के अंदर भी ये हलचल मची है कि, कहीं ये बंपर मतदान बीजेपी के कमल को न उखाड़ दे. यही वजह है कि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा लगातार चुनाव प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों से एक-एक सीट पर हुए मतदान का फीडबैक ले रहे हैं और मीडिया के सामने यह दावा भी कर रहे हैं कि, हम 28 की 28 सीटें प्रचंड बहुमत से जीत रहे हैं.

ये भी पढ़ें- विधानसभा उपचुनाव में सभी 28 सीटें जीतेगी बीजेपी, कार्यकर्ता की मेहनत होगी सफल : वीडी शर्मा

28 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के परिणाम के पहले ही एक बार फिर से निर्दलीय और कई पार्टी के विधायकों को तवज्जो मिलनी शुरू हो गई है. जिस तरीके से भारी-भरकम मतदान हुआ है, कहीं न कहीं बीजेपी को भी ये डर सताने लगा है कि, कहीं है मतदान बीजेपी के खिलाफ तो नहीं है. यही वजह है कि, अभी से भारतीय जनता पार्टी अपने प्लान B पर काम करने लगी है.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस की अपने विधायकों पर पैनी नजर, कमलनाथ ने सीनियर नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी

Last Updated : Nov 9, 2020, 9:17 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.