भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमायकोसिस के इलाज के लिए यूनिट शुरू की है, जहां ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज जारी है. यहां लगातार इसके मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. पहले नाक, कान, गला सर्जरी विभाग के वार्ड 6 को शुरू किया गया था. जहां करीब 30 मरीज भर्ती हुए थे. इसके बाद मरीजों की तादाद बढ़ने पर केएनबी वार्ड 3 को भी इलाज के लिए तैयार किया गया है.
ताजा हालात यह हैं कि अब तक करीब 41 मरीज दोनों वार्डों में भर्ती हैं, इसके अलावा 8 मरीज कोविड-19 से संक्रमित हैं, जो कोविड वार्डों में ब्लैक फंगस का इलाज करा रहे हैं. गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर जितेन शुक्ला ने बताया कि सोमवार तक हमीदिया में भर्ती मरीजों की संख्या 49 हो चुकी है. इनमें से 6 की सर्जरी सोमवार को हुई है. वहीं 2 मरीजों की हालत गंभीर है. सर्जरी के बाद इनको अलग से इलाज दिया जा रहा है. इन्हें मेडिसिन वार्ड में भर्ती किया गया है. हम पूरी तरह इनकी हालत पर नजर बनाए हुए हैं.
करनी पड़ रही है सर्जरी
डॉक्टर शुक्ला ने बताया कि ब्लैक फंगस के इलाज के लिए हर दिन 4 से 6 मरीजों की सर्जरी की जा रही है, रोज सर्जरी की संख्या बढ़ रही है. सोमवार से पहले हम कम से कम चार मरीजों की सर्जरी कर रहे थे लेकिन अब 5 से 6 सर्जरी रोज करना पड़ रही है, अभी तक 11 मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है. जिनका संक्रमण नाक, गला मुंह के जबड़े और आंखों में फैल चुका है. एंडोस्कोपी पद्धति के माध्यम से इलाज चल रहा है. लेकिन सर्जरी ही इसका आखिरी उपाय होता है
2 मरीजों की आंखों की रोशनी गई
जानकारी के अनुसार वार्ड में भर्ती ब्लैक फंगस के 2 मरीजों के आंख के हिस्सों में संक्रमण पहुंच चुका है, उनकी सर्जरी कर एक आंख निकालनी पड़ी है. यह दोनों मरीज अपनी आंख की रोशनी गंवा चुके हैं.
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मध्यप्रदेश में 400 से अधिक मरीज
कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस की रफ्तार बढ़ रही है. आंकड़ों की बात की जाए, तो मध्यप्रदेश में अब तक 421 मरीज सामने आ चुके हैं. यह प्रदेश के इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर क्षेत्र के हैं, इनमें से ज्यादातर लोग भोपाल में अपना इलाज करवाने आ रहे हैं.
सरकार बांट रही इंजेक्शन, नहीं हो पा रहा पूरा डोज
म्युकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) के इलाज के लिए 'एंफोटेरेसिन बी' इंजेक्शन की व्यवस्था सरकार ने अपने हाथ में ले ली है. अब यह इंजेक्शन हमीदिया अस्पताल के सेंट्रल स्टोर पर मिल रहे हैं, मरीज के अटेंडर गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन की परमिशन के बाद 4792 रुपए में एक इंजेक्शन खरीद रहे हैं, लेकिन मरीजों को यहां से केवल 2 इंजेक्शन ही मिल रहा है, जबकि मरीजों को रोजाना 4 से 6 इंजेक्शन की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में प्रदेश भर में करीब 400 से अधिक मरीजों को रोजाना 16 सौ से ज्यादा इंजेक्शन की आवश्यकता पड़ रही है. जिससे मांग और आपूर्ति की समस्या सामने आ रही है.