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गांधी प्रतिमा के सामने विपक्ष ने शीला दीक्षित को दी श्रद्धांजलि, अनुमति नहीं मिलने पर किया सदन का बहिष्कार

विपक्ष ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन पर सदन में श्रद्धांजलि देने की मांग की, जिसे सत्ता पक्ष ने नकार दिया, जिसके बाद विपक्ष ने हंगामा करते हुए सदन का बहिष्कार किया और सदन के बाहर लगी गांधी प्रतिमा के सामने उन्हें श्रद्धांजलि देकर दो मिनट का मौन रखा.

पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को श्रद्धांजली देते बीजेपी के विधायक.
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Published : Jul 22, 2019, 2:00 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि रविवार के दिन भी विधानसभा की कार्यवाही चली. हालांकि, ये कार्यवाही देर रात तक चलनी थी, लेकिन कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन पर विपक्ष ने मांग की थी कि शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन को स्थगित कर दिया जाये. जिस पर खूब हंगामा भी हुआ क्योंकि सत्ता पक्ष ने श्रद्धांजलि के लिए 22 जुलाई की तारीख मुकर्रर की थी. हंगामे की वजह से दो बार सदन को स्थगित करना पड़ा.

पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को श्रद्धांजली देते बीजेपी विधायक

सत्ता पक्ष की मनमानी के खिलाफ विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया और सदन के बाहर लगी गांधी प्रतिमा के सामने शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि दी और दो मिनट का मौन रखा. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि शीला दीक्षित न केवल कांग्रेस की एक वरिष्ठ नेता थीं, बल्कि दिल्ली की 15 साल तक मुख्यमंत्री भी रही हैं. वे न केवल कांग्रेस की बल्कि बीजेपी की भी नेता थीं, लेकिन बीजेपी से ज्यादा नेता तो वह कांग्रेस की ही थीं.
कांग्रेस का मानना था कि शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने का प्रावधान कार्य सूची में नहीं है, लेकिन श्रद्धांजलि देना कार्य सूची का स्थाई विषय नहीं है. यदि इस प्रकार की घटनाएं घटित हो जाती हैं तो उस समय इस प्रकार की चीजों को नहीं देखा जाता है और श्रद्धांजलि दी जाती है.

शीला दीक्षित का कार्य सराहनीय है और उनका सम्मान एक अच्छे नेता के रूप में करते हैं. विपक्ष की मांग पर भी श्रद्धांजलि देने की अनुमति नहीं दी गई, जिसकी वजह से सभी विधायकों ने बाहर आकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. वहीं, पूर्व जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि 5 मिनट के लिए यदि श्रद्धांजलि दी जाती तो उससे सत्र के दौरान कोई भी खलल पैदा नहीं होती, लेकिन कांग्रेस के लिए प्राथमिकताएं अलग है. उन्होंने एक वरिष्ठ नेता का अपमान किया है.

भोपाल। मध्यप्रदेश के लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि रविवार के दिन भी विधानसभा की कार्यवाही चली. हालांकि, ये कार्यवाही देर रात तक चलनी थी, लेकिन कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन पर विपक्ष ने मांग की थी कि शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन को स्थगित कर दिया जाये. जिस पर खूब हंगामा भी हुआ क्योंकि सत्ता पक्ष ने श्रद्धांजलि के लिए 22 जुलाई की तारीख मुकर्रर की थी. हंगामे की वजह से दो बार सदन को स्थगित करना पड़ा.

पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को श्रद्धांजली देते बीजेपी विधायक

सत्ता पक्ष की मनमानी के खिलाफ विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया और सदन के बाहर लगी गांधी प्रतिमा के सामने शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि दी और दो मिनट का मौन रखा. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि शीला दीक्षित न केवल कांग्रेस की एक वरिष्ठ नेता थीं, बल्कि दिल्ली की 15 साल तक मुख्यमंत्री भी रही हैं. वे न केवल कांग्रेस की बल्कि बीजेपी की भी नेता थीं, लेकिन बीजेपी से ज्यादा नेता तो वह कांग्रेस की ही थीं.
कांग्रेस का मानना था कि शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने का प्रावधान कार्य सूची में नहीं है, लेकिन श्रद्धांजलि देना कार्य सूची का स्थाई विषय नहीं है. यदि इस प्रकार की घटनाएं घटित हो जाती हैं तो उस समय इस प्रकार की चीजों को नहीं देखा जाता है और श्रद्धांजलि दी जाती है.

शीला दीक्षित का कार्य सराहनीय है और उनका सम्मान एक अच्छे नेता के रूप में करते हैं. विपक्ष की मांग पर भी श्रद्धांजलि देने की अनुमति नहीं दी गई, जिसकी वजह से सभी विधायकों ने बाहर आकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. वहीं, पूर्व जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि 5 मिनट के लिए यदि श्रद्धांजलि दी जाती तो उससे सत्र के दौरान कोई भी खलल पैदा नहीं होती, लेकिन कांग्रेस के लिए प्राथमिकताएं अलग है. उन्होंने एक वरिष्ठ नेता का अपमान किया है.

Intro:शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि ना देने के चलते विपक्ष ने किया हंगामा परिसर में गांधी प्रतिमा के नीचे दी बीजेपी ने श्रद्धांजलि

भोपाल | मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार रविवार को विधानसभा का सत्र आहूत किया गया था . यह कार्यवाही देर रात तक चलनी थी. लेकिन कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन पर सदन को स्थगित किए जाने को लेकर जमकर हंगामा हुआ . विपक्ष का आरोप था कि पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर सदन को स्थगित कर देना चाहिए साथ ही विपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि दिए जाने की मांग कर रहा था . इसी बात को लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा की स्थिति बनी रही . विधानसभा सत्र के दौरान दो बार सदन को स्थगित करना पड़ा .
बीजेपी विधायकों ने देर रात पूर्व मुख्यमंत्री को श्रद्धांजलि ना देने के चलते विधानसभा का सत्र बीच में ही छोड़ दिया और सभी लोग परिसर में बनी गांधी प्रतिमा के पास एकत्रित हो गए . बीजेपी के सभी विधायकों ने यहां नेता प्रतिपक्ष की मौजूदगी में शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि अर्पित की . यहां पर सभी विधायकों के द्वारा 2 मिनट का मौन भी रखा गया . Body:नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का आरोप था कि शीला दीक्षित ना केवल कांग्रेस की एक वरिष्ठ नेता थी बल्कि दिल्ली की 15 साल तक मुख्यमंत्री भी रही है बिना केबल कांग्रेस की बल्कि बीजेपी की भी नेता थी लेकिन हमसे ज्यादा नेता तो वह कांग्रेस की ही थी और इसे देखते हुए कांग्रेस को सबसे पहले उन्हें श्रद्धांजलि देना थी लेकिन कॉन्ग्रेस कल परसों पर मामला टालने का प्रयास कर रही है कांग्रेस का मानना था कि शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने का प्रावधान कार्य सूची में नहीं है लेकिन श्रद्धांजलि देना कार्य सूची का स्थाई विषय नहीं है यदि इस प्रकार की घटनाएं घटित होती है तो उस समय इस प्रकार की चीजों को नहीं देखा जाता है और श्रद्धांजलि दी जाती है .
शीला दीक्षित ने जिस तरह से दिल्ली के लिए काम किया है वह हमेशा याद किया जाएगा और उनका सम्मान हम केवल पार्टी के रूप से नहीं बल्कि एक अच्छे नेता के रूप से करते हैं राजनीतिक पार्टी का भेद भाव मिटाते हुए हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं हमारी मांग की कि विधानसभा के अंदर ही उन्हें श्रद्धांजलि दी जाए लेकिन हमें श्रद्धांजलि देने की अनुमति नहीं दी गई यही वजह है कि सभी विधायकों ने बाहर आकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है . Conclusion: वहीं पूर्व जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि 5 मिनट के लिए यदि श्रद्धांजलि दी जाती तो उससे विधानसभा सत्र के दौरान किसी भी प्रकार का खलल पैदा नहीं होता लेकिन कांग्रेस के लिए प्राथमिकताएं अलग है उनके लिए मानवीय परंपराएं भी अलग है उन्होंने कांग्रेस की एक वरिष्ठ नेता का अपमान किया है कांग्रेस के द्वारा निंदनीय कृत्य किया गया है .
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