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'ऑपरेशन लोटस' को मिला अंजाम, खत्म हुआ सियासी संग्राम, चर्चा में रहे इन 'खिलाड़ियों' के नाम...

मध्यप्रदेश का सियासी संग्राम पर लगा विराम. बीजेपी का ऑपरेशन लोटस को मिला अंजाम. बीजेपी के खिलाड़ियों ने मिलकर खेला सत्ता का मैच, कमलनाथ सरकार को हराकर जीता सत्ता का कप. जानें इन खिलाड़ियों के नाम....

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'ऑपरेशन लोटस' को मिला अंजाम
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Published : Mar 21, 2020, 12:01 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में चल रहा सियासी घमासान अब खत्म हो गया है. 17 दिनों की सियासी उठा-पठक के बाद आखिरकार कमलनाथ सरकार सत्ता से बाहर हो गई. लेकिन ऑपरेशन लोटस के सफल होने में कुछ अहम किरदार हैं. जिन्होंने प्रदेश में राजनैतिक शतरंज की बिसात बिछाई और अंत में बाजी मार ली.

'ऑपरेशन लोटस' को मिला अंजाम

बीजेपी के ऑपरेशन लोटस की शुरुआत तब शुरू हुई जब निर्दलीय विधायकों को दिल्ली शिफ्ट किया गया था. लेकिन ये सफल नहीं रहा और निर्दलीय कांग्रेस के पाले में वापस चले गए. इसके बाद शुरू हुआ ऑपरेशन लोटस 2.0, जिसमें कांग्रेस से बगावत कर सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए और उनके गुट के विधायकों ने कमलनाथ सरकार से समर्थन वापस ले लिया. जिसके बाद इन विधायकों को बेंगलुरु में शिफ्ट कर दिया गया.

इस सियासी गेम के कई अहम खिलाड़ी हैं. जिनकी शानदार परफार्मेंस की वजह से बीजेपी दोबारा सत्ता में काबिज होती दिखाई दे रही है.

सबसे पहले नाम आता है बीजेपी प्रवक्ता जफर इस्लाम का. जो सिंधिया के करीबी माने जाते हैं. जफर को ही सिंधिया को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. जिसे उन्होंने बखूबी निभाया.

इस पॉलिटिकल गेम में कांग्रेस विधायकों के मैनेजमेंट में बीजेपी खेमे से एक नाम काफी बार सामने आया है. वह नाम है नरोत्तम मिश्रा का. जिन पर कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि नरोत्तम ने ही उनके विधायकों को भोपाल से बेंगलुरु शिफ्ट किया था. उनके इस काम में पूरा सहयोग किया पूर्व मंत्री संजय पाठक ने. माना जाता है कि संजय पाठक के चॉर्टर्ड प्लेन से ही विधायकों को शिफ्ट किया गया था.

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी. शिवराज लगातार कमलनाथ सरकार पर हमलावर रहे. साथ ही बीजेपी विधायकों को एकजुट बनाए रखने में भी शिवराज की महत्वपूर्ण भूमिका रही. दिल्ली से लेकर भोपाल के रिजॉर्ट तक बीजेपी विधायकों की जिम्मेदारी शिवराज के कंधों पर रही. इस काम में गोपाल भार्गव ने शिवराज का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया.

इसके अलावा संगठन को मजबूत बनाने और बीजेपी में वर्चस्व की चिंगारी को भड़कने से रोकने का काम बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बखूबी किया. जिन्होंने कुछ समय पहले बीजेपी की कमान संभाली थी.

सियासी गलियारों में चर्चा है कि इन तमाम किरदारों को पर्दे के पीछे से संभालने की सबसे अहम जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की थी. जिसकी पुष्टि दिल्ली स्थित उनके आवास पर सिंधिया और बीजेपी नेताओं की बैठकों से हो जाती है.

इसके अलावा बीजेपी के ऑपरेशन लोटस में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा जैसे किरदारों की अहम भूमिका रही.

कुल मिलाकर बीजेपी ने टीम वर्क के साथ काम किया और एक बार फिर सत्ता पाने में सफल होती दिख रही है. हालांकि कांग्रेस के पास उपचुनाव में वापसी का एक और मौका होगा. अब देखना होगा कि क्या कमलनाथ रिटर्न का चेप्टर फिर से ओपन होगा या फिर बीजेपी सत्ता में अपनी पकड़ और मजबूत करेगी.

भोपाल। मध्यप्रदेश में चल रहा सियासी घमासान अब खत्म हो गया है. 17 दिनों की सियासी उठा-पठक के बाद आखिरकार कमलनाथ सरकार सत्ता से बाहर हो गई. लेकिन ऑपरेशन लोटस के सफल होने में कुछ अहम किरदार हैं. जिन्होंने प्रदेश में राजनैतिक शतरंज की बिसात बिछाई और अंत में बाजी मार ली.

'ऑपरेशन लोटस' को मिला अंजाम

बीजेपी के ऑपरेशन लोटस की शुरुआत तब शुरू हुई जब निर्दलीय विधायकों को दिल्ली शिफ्ट किया गया था. लेकिन ये सफल नहीं रहा और निर्दलीय कांग्रेस के पाले में वापस चले गए. इसके बाद शुरू हुआ ऑपरेशन लोटस 2.0, जिसमें कांग्रेस से बगावत कर सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए और उनके गुट के विधायकों ने कमलनाथ सरकार से समर्थन वापस ले लिया. जिसके बाद इन विधायकों को बेंगलुरु में शिफ्ट कर दिया गया.

इस सियासी गेम के कई अहम खिलाड़ी हैं. जिनकी शानदार परफार्मेंस की वजह से बीजेपी दोबारा सत्ता में काबिज होती दिखाई दे रही है.

सबसे पहले नाम आता है बीजेपी प्रवक्ता जफर इस्लाम का. जो सिंधिया के करीबी माने जाते हैं. जफर को ही सिंधिया को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. जिसे उन्होंने बखूबी निभाया.

इस पॉलिटिकल गेम में कांग्रेस विधायकों के मैनेजमेंट में बीजेपी खेमे से एक नाम काफी बार सामने आया है. वह नाम है नरोत्तम मिश्रा का. जिन पर कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि नरोत्तम ने ही उनके विधायकों को भोपाल से बेंगलुरु शिफ्ट किया था. उनके इस काम में पूरा सहयोग किया पूर्व मंत्री संजय पाठक ने. माना जाता है कि संजय पाठक के चॉर्टर्ड प्लेन से ही विधायकों को शिफ्ट किया गया था.

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी. शिवराज लगातार कमलनाथ सरकार पर हमलावर रहे. साथ ही बीजेपी विधायकों को एकजुट बनाए रखने में भी शिवराज की महत्वपूर्ण भूमिका रही. दिल्ली से लेकर भोपाल के रिजॉर्ट तक बीजेपी विधायकों की जिम्मेदारी शिवराज के कंधों पर रही. इस काम में गोपाल भार्गव ने शिवराज का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया.

इसके अलावा संगठन को मजबूत बनाने और बीजेपी में वर्चस्व की चिंगारी को भड़कने से रोकने का काम बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बखूबी किया. जिन्होंने कुछ समय पहले बीजेपी की कमान संभाली थी.

सियासी गलियारों में चर्चा है कि इन तमाम किरदारों को पर्दे के पीछे से संभालने की सबसे अहम जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की थी. जिसकी पुष्टि दिल्ली स्थित उनके आवास पर सिंधिया और बीजेपी नेताओं की बैठकों से हो जाती है.

इसके अलावा बीजेपी के ऑपरेशन लोटस में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा जैसे किरदारों की अहम भूमिका रही.

कुल मिलाकर बीजेपी ने टीम वर्क के साथ काम किया और एक बार फिर सत्ता पाने में सफल होती दिख रही है. हालांकि कांग्रेस के पास उपचुनाव में वापसी का एक और मौका होगा. अब देखना होगा कि क्या कमलनाथ रिटर्न का चेप्टर फिर से ओपन होगा या फिर बीजेपी सत्ता में अपनी पकड़ और मजबूत करेगी.

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