भोपाल। बीजेपी के पूर्व विधायक रमेश शर्मा गुट्टू भैया नहीं रहे. ये सूचना है. लेकिन खबर ये है कि राजनीति में रहकर सबकी खबर रखने वाले एक नेता का अवसान हो गया है. भोपाल ही नहीं मध्य प्रदेश की राजनीति के इकलौते नेता कहे जा सकते हैं रमेश शर्मा गुट्टू भैया. जिनकी राजनीति का रुख ही था, उनके दिन का बड़ा हिस्सा विश्रामघाट में गुज़रता था. गुट्टू भैया अकेले ऐसे नेता थे जो खबरों में आने से ज्यादा दूसरों की खैर खबर लेने के लिए जाने गए. लोगों के दुख में शामिल होने उनके विश्राम घाट पहुंचने की अगर गिनती की जाती तो मुमकिन है नेता बतौर ये रिकार्ड ही बन जाता.
शादी समारोह से लौटकर ली आखिरी सांस: किसी राजनीतक दल के नेता की अमूमन उनकी ड्यूटी अपने आका या पार्टी ऑफिस की ड्योटी पर हाजिरी देकर खत्म हो जाती है. लेकिन चुनावी राजनीति से दूर चले जाने के बाद भी गुट्टू भैया की उपस्थिति समाज में बनी रही. भोपाल में सर्वाधिक शोक सभाएं और उठावना में शामिल होने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे रमेश शर्मा गुट्टू भैय्या. पूरे समय जनता के बीच रहने वाले एक नेता जिन्होंने आखिरी सांस ली तो किसी शादी समारोह से लौटकर.
शोक सभा में सबसे पहले पहुंचने वाले नेता: भोपाल और खास तौर पर पुराने शहर में कहते हैं कि विश्राम घाट पहुंचने वाली ज्यादातर शव यात्रा के साथ एक नेता की मौजूदगी तय मानी जाती थी. वो नेता थे बीजेपी के पूर्व विधायक रमेश शर्मा गुट्टू भैय्या. रमेश शर्मा गुट्टू भैय्या के लिए कहा जाता था कि वो दिन में एक बार तो किसी शवयात्रा के साथ विश्राम घाट जाते ही हैं. कई बार ये फेरी ज्यादा भी हो जाती. जिसके बाद वे भोपाल विश्राम घाट ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष भी बन गए. नेता को जनता के बीच रहना चाहिए जिस बीजेपी में अब ये हिदायत दी जाती है. उसी बीजेपी के एक ऐसे नेता जो किसी के दुख में बिना बुलाए पहुंचे और खुशी का कोई न्यौता चूका नहीं उनसे. जब आखिरी सांस ली तब भी वे किसी शादी से ही लौटे थे.
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उत्तर भोपाल, बीजेपी की झोली में डालने वाले गुट्टू भैया: जो उत्तर भोपाल सीट अब भी बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल बनी हुई है. 90 के दशक में बेहद विपरीत परिस्थियों में इस सीट पर गुट्टू भैया की बदौलत बीजेपी का कमल खिला था. 1992 के दंगों के बाद का चुनाव था ये और उत्तर भोपाल की इस सीट पर भी वोटों का ध्रुवीकरण हो चुका था. उत्तर भोपाल से बीजेपी ने रमेश शर्मा गुट्टू भैया को अपना उम्मीदवार बनाया. इस एतिहासिक चुनाव में मध्यप्रदेश में पटवा सरकार वापिसी नहीं कर पाई, लेकिन उत्तर भोपाल सीट से रमेश शर्मा गुट्टू भैया बीजेपी उम्मीदवार ने जीत दर्ज की. ये उत्तर भोपाल सीट पर किसी हिंदू विधायक की पहली जीत थी. बताते हैं कि भोपाल की इस जीत का जश्न सीहोर तक मनाया गया था. बावजूद इसके कि बीजेपी ने सत्ता खो दी थी.