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पद्मश्री के लिए नामित भीली चित्रकार भूरी बाई से बातचीत

झाबुआ जिले की भूरी बाई को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है. सिर्फ इतना ही नहीं इन्हें मध्य प्रदेश सरकार शिखर सम्मान द्वारा कई सर्वोच्च राजकीय सम्मान पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

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भूरी बाई को मिला पद्मश्री सम्मान
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Published : Jan 26, 2021, 6:17 PM IST

Updated : Jan 26, 2021, 7:11 PM IST

भोपाल। आदिवासी बहुल झाबुआ जिले की झोली में एक और बड़ा राष्ट्रीय सम्मान आया है. भूरी बाई को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है. वह भारत के सबसे बड़े आदिवासी समूहों के समुदाय से आती हैं. इसके अलावा उन्हें मध्य प्रदेश सरकार शिखर सम्मान द्वारा कई सर्वोच्च राजकीय सम्मान पुरस्कार मिल चुके हैं. सम्मान मिलने पर भूरी बाई ने कहा कि मुझे नहीं पता था कि मुझे पद्मश्री सम्मान मिला है. जब लोग बधाइयां देने आए, तब पता चला की मुझे पद्मश्री मिला है.

भूरी बाई को मिला पद्मश्री सम्मान

भूरी बाई चित्रकारी के लिए कागज और कैनवास का इस्तेमाल करने वाली पहली भील कलाकार है. उन्होंने बताया कि भारत भवन के पूर्व निदेशक जे स्वामीनाथन ने उन्हें कागज पर चित्र बनाने के लिए कहा था, जिसके बाद उन्हें दीवार पर चित्र बनाने का मौका मिला.

आज भूरी बाई की कला न केवल मध्य प्रदेश में बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी जानी जाती है. बता दें कि, शादी के बाद भूरी बाई झाबुआ से भोपाल आई, जहां मजदूरी के साथ-साथ उन्होंने कलाकारी भी शुरू की.

भूरी बाई से बातचीत
मजदूरी के साथ की कलाकारीभूरी बाई भोपाल में आदिवासी लोक कला अकादमी में एक कलाकार के तौर पर काम करती है. शुरुआत में जब वह भोपाल आई, तो अपने पति के साथ मजदूरी करती थी. मजदूरी के साथ-साथ चित्रकला भी करती थी. उन्होंने भारत भवन में कई चित्र भी बनाएं. लोगों ने उसकी सराहना की.

भूरी बाई ने बताया कि उन्हें कला में दिलचस्पी थी. इसलिए कलाकृति करती थी. उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि इस क्षेत्र में उन्हें पद्मश्री सम्मान मिलेगा. भूरी बाई ने बताया उन्हें मध्य प्रदेश सरकार से सर्वोच्च पुरस्कार शिखर सम्मान 1986-87 में मिला. उसके बाद 1998 में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें देवी अहिल्या सम्मान से विभूषित किया.

भूरी बाई ने कहा कि वैसे तो कभी पुरस्कार के लिए काम नहीं किया, लेकिन जब पहला शिखर सम्मान मिला, तब मन में चित्रकला के लिए ओर ज्यादा उत्सुकता हुई. तरह-तरह की नई कलाकृति शुरू की, जिसके बाद लोगों ने उन्हें जाना.

बच्चों को पसंद नहीं, इसलिए घर पर नहीं बनाती पेंटिंग

भूरी बाई ने बताया कि वह चित्रों में जंगल, जानवर, भील देवी-देवता, पोशाक, गहने, टूटी झोपड़िया, अन्नागार, हाट, नृत्य के साथ भील के जीवन के हर पहलू को दर्शाती है. उन्होंने बताया कि उनकी कलाकारी को लोग पसंद करते है, लेकिन बच्चों को घर पर उनकी पेंटिंग करना पसंद नहीं है.

कला को सम्मान मिलना चाहिए: भूरी बाई

पद्मश्री सम्मान मिलने के बाद भूरी बाई ने कहा कि अगर आपके पास हुनर है, तो एक ना एक दिन आप अपना मुकाम जरुर हासिल करेंगे. बस आपको अपने जीवन में परिस्थितियों के अनुसार ढलना होगा और हार नहीं माननी होगी. उन्होंने कहा कि आज मुझे पद्मश्री मिला है. इसी तरह नए-नए युवा भी कलाकृति कर रहे हैं. उनको भी सरकार को प्रोत्साहन करना चाहिए, ताकि उनका हुनर दुनिया के सामने आए.

भोपाल। आदिवासी बहुल झाबुआ जिले की झोली में एक और बड़ा राष्ट्रीय सम्मान आया है. भूरी बाई को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है. वह भारत के सबसे बड़े आदिवासी समूहों के समुदाय से आती हैं. इसके अलावा उन्हें मध्य प्रदेश सरकार शिखर सम्मान द्वारा कई सर्वोच्च राजकीय सम्मान पुरस्कार मिल चुके हैं. सम्मान मिलने पर भूरी बाई ने कहा कि मुझे नहीं पता था कि मुझे पद्मश्री सम्मान मिला है. जब लोग बधाइयां देने आए, तब पता चला की मुझे पद्मश्री मिला है.

भूरी बाई को मिला पद्मश्री सम्मान

भूरी बाई चित्रकारी के लिए कागज और कैनवास का इस्तेमाल करने वाली पहली भील कलाकार है. उन्होंने बताया कि भारत भवन के पूर्व निदेशक जे स्वामीनाथन ने उन्हें कागज पर चित्र बनाने के लिए कहा था, जिसके बाद उन्हें दीवार पर चित्र बनाने का मौका मिला.

आज भूरी बाई की कला न केवल मध्य प्रदेश में बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी जानी जाती है. बता दें कि, शादी के बाद भूरी बाई झाबुआ से भोपाल आई, जहां मजदूरी के साथ-साथ उन्होंने कलाकारी भी शुरू की.

भूरी बाई से बातचीत
मजदूरी के साथ की कलाकारीभूरी बाई भोपाल में आदिवासी लोक कला अकादमी में एक कलाकार के तौर पर काम करती है. शुरुआत में जब वह भोपाल आई, तो अपने पति के साथ मजदूरी करती थी. मजदूरी के साथ-साथ चित्रकला भी करती थी. उन्होंने भारत भवन में कई चित्र भी बनाएं. लोगों ने उसकी सराहना की.

भूरी बाई ने बताया कि उन्हें कला में दिलचस्पी थी. इसलिए कलाकृति करती थी. उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि इस क्षेत्र में उन्हें पद्मश्री सम्मान मिलेगा. भूरी बाई ने बताया उन्हें मध्य प्रदेश सरकार से सर्वोच्च पुरस्कार शिखर सम्मान 1986-87 में मिला. उसके बाद 1998 में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें देवी अहिल्या सम्मान से विभूषित किया.

भूरी बाई ने कहा कि वैसे तो कभी पुरस्कार के लिए काम नहीं किया, लेकिन जब पहला शिखर सम्मान मिला, तब मन में चित्रकला के लिए ओर ज्यादा उत्सुकता हुई. तरह-तरह की नई कलाकृति शुरू की, जिसके बाद लोगों ने उन्हें जाना.

बच्चों को पसंद नहीं, इसलिए घर पर नहीं बनाती पेंटिंग

भूरी बाई ने बताया कि वह चित्रों में जंगल, जानवर, भील देवी-देवता, पोशाक, गहने, टूटी झोपड़िया, अन्नागार, हाट, नृत्य के साथ भील के जीवन के हर पहलू को दर्शाती है. उन्होंने बताया कि उनकी कलाकारी को लोग पसंद करते है, लेकिन बच्चों को घर पर उनकी पेंटिंग करना पसंद नहीं है.

कला को सम्मान मिलना चाहिए: भूरी बाई

पद्मश्री सम्मान मिलने के बाद भूरी बाई ने कहा कि अगर आपके पास हुनर है, तो एक ना एक दिन आप अपना मुकाम जरुर हासिल करेंगे. बस आपको अपने जीवन में परिस्थितियों के अनुसार ढलना होगा और हार नहीं माननी होगी. उन्होंने कहा कि आज मुझे पद्मश्री मिला है. इसी तरह नए-नए युवा भी कलाकृति कर रहे हैं. उनको भी सरकार को प्रोत्साहन करना चाहिए, ताकि उनका हुनर दुनिया के सामने आए.

Last Updated : Jan 26, 2021, 7:11 PM IST
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