भोपाल। राजधानी भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में दिव्यांग बच्चों के लिए विंटर खेल का आयोजन किया गया. विंटर खेलों में प्रदेश भर से 1500 से अधिक दिव्यांग बच्चे शामिल हुए. जिन्होंने चेयर रेस, दौड़, शॉट पुट और बास्केटबॉल के साथ ही डांस कर सभी का मन मोह लिया. उनके टैलेंट को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे यह कोई दिव्यांग नहीं बल्कि सामान्य बच्चे हों. इनका हुनर देखने लायक था. यह बच्चे भी अपने खेल से काफी प्रभावित थे. भले ही सामान्य बच्चों की तरह यह भाग दौड़ नहीं कर पाए लेकिन उनके मन में भी कुछ कर गुजरने की तमन्ना थी. बच्चों का कहना है कि वह आगे चलकर खूब नाम कमाएंगे.
डेढ़ हजार दिव्यांग बच्चों ने दिखाया टैलेंट: भोपाल में अपने हुनर का प्रदर्शन आम लोगों के मन में वह सहानुभूति के पात्र हैं. लेकिन मन में कुछ कर गुजरने के जब्बे को लेकर के बच्चे खेल मैदान पर नजर आए. प्रदेश के करीब डेढ़ हजार दिव्यांग बच्चों ने भोपाल में अपने हुनर का प्रदर्शन किया. जिसे देखने वाले लोग देखते ही रह गए. भले ही यह अक्षम हैं लेकिन किसी सक्षम खिलाड़ी की तरह यह दौड़ते कूदते और एक दूसरे से कंपटीशन करते हुए नजर आए.
हेमंत अहिरवार कैरम और शतरंज में माहिर: हेमंत अहिरवार बचपन से ही व्हील चेयर पर हैं, लेकिन वह कैरम और शतरंज के बहुत अच्छे खिलाड़ी हैं. इन प्रतियोगिताओं में इन्होंने कई मेडल भी जीते हैं. वह कहते हैं कि ''ऑनलाइन का जमाना है ऐसे में मोबाइल पर भी उनकी एक्टिविटी बहुत तेज है. भले ही उनके पैर कुछ काम ना कर सके लेकिन दिमाग से वह सक्षम है और गेमिंग और मोबाइल वर्किंग की दुनिया में वह आगे चलकर नाम कमाना चाहते हैं.''
नाम कमाना चाहते हैं दिव्यांग खिलाड़ी: इसी तरह अन्य दिव्यांग अध्या का कहना है कि ''उन्हें पोयम गाना बेहद पसंद है और वह ड्राइंग भी अच्छी करती हैं. उन्हें भी आगे चलकर खूब नाम कमाना है.'' वहीं बास्केटबॉल में खेलने वाली दिव्या रहती हैं कि ''वह बास्केटबॉल प्रतियोगिता में जीत हासिल कर चुकी हैं. उनको भूलने की बीमारी है और वह कुछ समय बाद हर चीज भूल जाती हैं. लेकिन खेल में जब रहती हैं तो निश्चित ही हर खेल को वह आसानी से खेल सकती हैं.'' इन विंटर गेम्स के आयोजन चैयरमेन संजय निगम का कहना है कि ''उनका उद्देश्य ऐसे बच्चों को प्लेटफार्म देना है, ताकि उनके मन में भी सामान्य बच्चों की तरह कुछ कर गुजरने की तमन्ना उभर सके.''