भोपाल। प्रदेश के कई इलाकों में अतिवृष्टि के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. नर्मदा और उसकी सहायक नदियों सहित कई नदियां लगातार उफान पर हैं. लगभग सभी बांधों के भर जाने से गेट खोल दिए गए हैं. इसकी वजह से नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है.
होशंगाबाद, नरसिंहपुर, सीहोर, भोपाल सहित अन्य जिलों के निचले इलाकों में भी पानी घुस गया है. प्रदेश सरकार ने होशंगाबाद और सीहोर के राहत कार्यों के लिए सेना भी बुला ली है. राजधानी भोपाल में अगस्त माह में हुई बारिश ने 8 साल का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है.
शनिवार को देर रात इस सीजन में अगस्त माह की सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई है. राजधानी में देर रात तक 612.5 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है. इसके पहले साल 2012 में अगस्त माह में 604.5 मिलीमीटर बारिश हुई थी. इसके बाद साल 2006 में अगस्त माह में ही 903.9 मिलीमीटर वर्षा हुई थी. शनिवार को भी 24 घंटे के दौरान भोपाल में 105.0 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है. इसके अलावा सागर में 3.0 मिलीमीटर वर्षा दर्ज हुई है. जबलपुर में 13.0, गुना में 12.0, इंदौर में 51.0, सतना में 1.0, ग्वालियर में 11.2 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है.
राजधानी में पूरे सीजन में सामान्य बारिश का मापदंड 1086.6 मिली मीटर है, शनिवार को रात तक जिले में 1172.7 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है. इस तरह सितंबर माह शुरू होने के पहले ही बारिश का कोटा पूरा हो गया है. खास बात ये है कि इसमें अगस्त माह में 5 दिन हुई झमाझम बरसात की अहम भूमिका साबित हुई है.
जून माह में तेज बारिश के दौर के बाद जुलाई में अचानक मानसून ब्रेक की स्थिति बन गई थी. इससे बरसात को लेकर लोगों की चिंताएं भी बढ़ गई थीं, लेकिन इसके बाद बंगाल की खाड़ी में एक के बाद एक बने दो गहरे कम दबाव के क्षेत्र में सारी कसर को पूरा कर दिया है. 5 दिन में हुई भारी बारिश ने राजधानी और आसपास के तमाम जलस्रोत लबालब कर दिए हैं. कई स्थानों पर बाढ़ के हालात भी बन गए हैं.
राजधानी में हो रही लगातार बारिश के बाद बड़े तालाब का जलस्तर भी लगातार बढ़ता जा रहा है. इसके चलते भदभदा डैम के सभी 11 गेट भी खोले गए, जबकि कलियासोत डैम के भी सभी 13 गेट खोलने पड़े हैं. इससे कलियासौत नदी उफान पर आ गई है. शुक्रवार से ही तेज बारिश का सिलसिला शुरू हो गया था, बड़े तालाब में जल स्तर बढ़ गया और भदभदा का पहला गेट खोलना पड़ा, इसके बाद लगातार बारिश की वजह से बार-बार गेट खोले गए और कई घंटों तक गेट खोल के ही रखे गए, इस दौरान प्रति घंटा 12 लाख क्यूसेक फीट पानी छोड़ा गया है.