भोपाल। कोरोना संकटकाल में देश की अर्थव्यवस्था पर भी सीधे तौर पर असर पड़ा है. वहीं दूसरी ओर लंबे समय से परिवहन सेवा बंद होने की वजह से रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर भी काफी असर पड़ा है. हालांकि प्रदेश के कई रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर पिछले 3 माह से यात्रियों की आवाजाही ना होने की वजह से बिजली की काफी बचत हुई है. लेकिन भोपाल रेल मंडल इस बचत को आगे बढ़ाना चाहता है जिसकी शुरुआत भोपाल रेलवे स्टेशन से की जा रही है.
भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर अब जैसे ही ट्रेन आएगी वहां पर लगी सभी एलईडी लाइटें खुद ब खुद जल जाएंगी और ट्रेन के जाते ही 50 फीसदी लाइट ऑटोमेटिक बंद हो जाएंगी. इससे करीब 50 फीसदी की बिजली की बचत की जा सकेगी. बिजली बचत की शुरुआत सोमवार से शुरू कर दी गई है.
स्टार्टर सिग्नल ले होगी लाइट कनेक्ट
भोपाल रेल मंडल के मुताबिक वर्तमान में भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर इस नई व्यवस्था को शुरू किया गया है, जिसमें प्लेटफार्म पर लगी सभी एलईडी लाइटों को होम और स्टार्टर सिग्नल से जोड़ा गया है, इस व्यवस्था के अनुसार प्लेटफार्म नंबर एक पर जैसे ही ट्रेन प्रवेश करेगी वैसे ही तत्काल प्लेटफार्म पर लगी सभी लाइटें खुद ब खुद चालू हो जाएंगी. इसके बाद जब तक ट्रेन स्टेशन पर खड़ी रहेगी तब तक सभी लाइटें चालू रहेंगे, जैसे ही संबंधित गाड़ी को स्टार्टर सिग्नल मिलेगा और वो उस सिग्नल को पार करेगी उसके बाद खुद ब खुद ही प्लेटफार्म पर 50 फीसदी लाइट बंद हो जाएंगी.
एक में इतनी बिजली की खपत
प्लेटफार्म नंबर एक पर शाम 6 बजे से अगले दिन सुबह 6 बजे तक करीब 12 घंटे में अनुमानित 200 यूनिट बिजली की खपत होती है, जो अब इस नई व्यवस्था से घटकर 80 यूनिट रह जाएगी. भोपाल मंडल या व्यवस्था अन्य स्टेशनों पर भी करने जा रहा है. इससे ना सिर्फ बिजली की अच्छी खासी बचत हो पाएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी यह एक मजबूत सार्थक कदम होगा.
तो रोज होगी 6 हजार रुपए की बचत
बता दें कि भोपाल रेलवे स्टेशन पर 6 प्लेटफॉर्म हैं. फिलहाल बिजली बचत की यह नई व्यवस्था केवल एक नंबर प्लेटफार्म पर ही की गई है. इस नई व्यवस्था से रेलवे एक रात में एक हजार रुपए की बिजली बचा सकेगा, लेकिन यदि सभी प्लेटफार्म पर यह व्यवस्था कर दी जाती है तो एक रात में करीब 6000 रुपए की बचत की जा सकेगी. इस नई व्यवस्था से भोपाल रेल मंडल एक महीने में पौने दो लाख रुपए तक की बचत कर सकेगा. यह अभिनव पहल कुछ समय पहले ही हरदा रेलवे स्टेशन पर की गई थी जो कि काफी सफल रही है इसके बाद इसे भोपाल रेलवे स्टेशन पर लागू किया गया है.