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Bhopal Rabindra Bhavan सबके हैं राम का पैगाम, फौजिया ने सुनाई जब दास्तान-ए-राम

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Published : Dec 20, 2022, 9:04 PM IST

Updated : Dec 20, 2022, 9:53 PM IST

रवींद्र भवन (Bhopal Rabindra Bhavan) में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा ‘भारतीय ज्ञान परंपरा का वैश्विक योगदान’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श का उद्घाटन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया. कार्यक्रम में मप्र निजी विवि विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. भरत शरण सिंह, महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी एवं आरजीपीवी के कुलपति डॉ. सुनील कुमार गुप्ता उपस्थित रहे. फौजिया दास्तानगो ने ‘दास्तान-ए-राम’ की प्रस्तुति दी.

fauzia narrated story of ram dastan
फौजिया ने सुनाई दास्तान ए राम
फौजिया ने सुनाई जब दास्तान-ए-राम

भोपाल। हो दास्तान ए राम और इस दास्तान यानि कथा को बांचने वाली हों फौजिया दास्तानगो. (Fauzia Dastango Bhopal) राम के वनवास से लेकर सीता के बिछोह तक..राम रावण युध्द से लेकर लक्ष्म रेखा खींचे जाने के प्रसंग तक और धनुष तोड़े जाने के घटनाक्रम तक इस दास्तान में सबकुछ उर्दू जुबान में बयां होता है. राम कथा जब उर्दू में सुनी जाए तो हर किस्से में किसी लंबी शायरी का गुमां होता है. 45 मिनट में मुकम्मिल हो जाने वाली इस कथा की रुह तो राम ही है. बस कथा का तर्जुमा बदल जाता है. और ये पैगाम और मजबूत हो जाता है कि देखिए सुनिए तो सही राम तो सबके हैं.

ये है दास्तान ए राम: भगवान राम के जन्म की कथा से लेकर वनवास सीता का बिछोड़ लक्ष्मण की मूर्छा और राम रावण युद्ध तक. राम की कथा का हर क्लाईमैक्स दास्तान ए राम में शामिल हुआ, लेकिन देश की पहली महिला दास्तानगो फौजिया दास्तानगो यानि दास्तान ए राम जब सुनाती हैं. तो ये कहानी की तरह होते हुए भी एक लंबी शायरी का गुमा दे जाती है. राम कथा पर तैयार हुई फौजिया की इस दास्तान गोई को दानिश इकबाल साहब ने इस खूबी से पिरोया है कि आखिर तक सुनने वाले का सिलसिला ना टूटे. जानकी के जनम की बयानी सुनिए. सूखा पड़ा तो आई घड़ी इम्तेहान की चलना था हल जनक का निकल आई जानकी. राम कथा के अलग अलग हिस्से, उर्दू अल्फाज़ों में उतरते हैं तो शायरी के लहज़े में चढकर सुनने वाले कानों तक पहुंचते हैं.
भोपाल में पहली बार हुई दास्तान ए राम: रवीन्द्र भवन में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ स्वराज संस्थान संचालनालय ने तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया था. भारतीय ज्ञान परंपरा का वैश्विक योगदान विषय़ पर आयोजित इस विमर्श का हिस्सा था ये आयोजन. फौजिया दास्तानगो की दास्तान ए राम. दानिश इकबाल की कपाइल और डिज़ाइन की गई इस दास्तेन ए राम में फौजिया और रितेश यादव की मौके से बदलती जाती अदायगी ने भी चार चांद लगाए.

भोपाल में मनोज मुंतशिर ने राहुल गांधी पर दिया ऐसा बयान, मच गया बवाल

दास्तानगोई क्या है: हमारी दुनिया से गायब हुई किस्से कहने की कला. कहानियां कहने का शऊर. अब तक दास्तानगोई की कला में पुरुषों का ही बोलबाला था फौजिया उस एक लकीर को मिटाती हुई आगे बढ़ी हैं. देश की पहली महिला दास्तानगो फौजिया के लिए भी ये सफर इतना आसान नहीं रहा. इस जुनून के लिए उन्होने अपनी नौकरी भी छोड़ी और ब्याह जाने के फैसले को भी स्थगित रखा. जुनून की तरह जिया इसे. फौजिया कहती हैं..ये वक्त की जरुरत है कुछ घड़ी तसल्ली से केवल दास्तानें सुनें. भगवान राम की दास्तान क्यों खास लगी आपको. फौजिया कहती हैं उनका पूरा जीवन ही आदर्श है. राम कथा का हर हिस्सा आपको अपनी मुश्किलों से निकलने का रास्ता दिखाता है. तो मुझे लगा कि राम की कथा उर्दू में भी हो इस कथा को सुनने वालों का दायरा और बढ़े.

फौजिया ने सुनाई जब दास्तान-ए-राम

भोपाल। हो दास्तान ए राम और इस दास्तान यानि कथा को बांचने वाली हों फौजिया दास्तानगो. (Fauzia Dastango Bhopal) राम के वनवास से लेकर सीता के बिछोह तक..राम रावण युध्द से लेकर लक्ष्म रेखा खींचे जाने के प्रसंग तक और धनुष तोड़े जाने के घटनाक्रम तक इस दास्तान में सबकुछ उर्दू जुबान में बयां होता है. राम कथा जब उर्दू में सुनी जाए तो हर किस्से में किसी लंबी शायरी का गुमां होता है. 45 मिनट में मुकम्मिल हो जाने वाली इस कथा की रुह तो राम ही है. बस कथा का तर्जुमा बदल जाता है. और ये पैगाम और मजबूत हो जाता है कि देखिए सुनिए तो सही राम तो सबके हैं.

ये है दास्तान ए राम: भगवान राम के जन्म की कथा से लेकर वनवास सीता का बिछोड़ लक्ष्मण की मूर्छा और राम रावण युद्ध तक. राम की कथा का हर क्लाईमैक्स दास्तान ए राम में शामिल हुआ, लेकिन देश की पहली महिला दास्तानगो फौजिया दास्तानगो यानि दास्तान ए राम जब सुनाती हैं. तो ये कहानी की तरह होते हुए भी एक लंबी शायरी का गुमा दे जाती है. राम कथा पर तैयार हुई फौजिया की इस दास्तान गोई को दानिश इकबाल साहब ने इस खूबी से पिरोया है कि आखिर तक सुनने वाले का सिलसिला ना टूटे. जानकी के जनम की बयानी सुनिए. सूखा पड़ा तो आई घड़ी इम्तेहान की चलना था हल जनक का निकल आई जानकी. राम कथा के अलग अलग हिस्से, उर्दू अल्फाज़ों में उतरते हैं तो शायरी के लहज़े में चढकर सुनने वाले कानों तक पहुंचते हैं.
भोपाल में पहली बार हुई दास्तान ए राम: रवीन्द्र भवन में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ स्वराज संस्थान संचालनालय ने तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया था. भारतीय ज्ञान परंपरा का वैश्विक योगदान विषय़ पर आयोजित इस विमर्श का हिस्सा था ये आयोजन. फौजिया दास्तानगो की दास्तान ए राम. दानिश इकबाल की कपाइल और डिज़ाइन की गई इस दास्तेन ए राम में फौजिया और रितेश यादव की मौके से बदलती जाती अदायगी ने भी चार चांद लगाए.

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दास्तानगोई क्या है: हमारी दुनिया से गायब हुई किस्से कहने की कला. कहानियां कहने का शऊर. अब तक दास्तानगोई की कला में पुरुषों का ही बोलबाला था फौजिया उस एक लकीर को मिटाती हुई आगे बढ़ी हैं. देश की पहली महिला दास्तानगो फौजिया के लिए भी ये सफर इतना आसान नहीं रहा. इस जुनून के लिए उन्होने अपनी नौकरी भी छोड़ी और ब्याह जाने के फैसले को भी स्थगित रखा. जुनून की तरह जिया इसे. फौजिया कहती हैं..ये वक्त की जरुरत है कुछ घड़ी तसल्ली से केवल दास्तानें सुनें. भगवान राम की दास्तान क्यों खास लगी आपको. फौजिया कहती हैं उनका पूरा जीवन ही आदर्श है. राम कथा का हर हिस्सा आपको अपनी मुश्किलों से निकलने का रास्ता दिखाता है. तो मुझे लगा कि राम की कथा उर्दू में भी हो इस कथा को सुनने वालों का दायरा और बढ़े.

Last Updated : Dec 20, 2022, 9:53 PM IST
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