भोपाल। मंगलवार को व्यापम घोटाले के दोषी पाए गए आठ दोषियों को सजा सुना दी गई है. सीबीआई कोर्ट ने सभी दोषियों को सात साल के लिए जेल भेज दिया है. साल 2012 मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा के सिलसिले में इन 8 दोषियों को यह सजा सुनाई गई है. इसके अलावा दोषियों पर 10-10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. बता दें कि यह मामला 2001 का है, जब इंदौर पुलिस ने पीएमटी प्रवेश परीक्षा में 20 नकली अभ्यर्थियों को पकड़ा गया था.
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Vyapam scam | CBI Court pronounces jail sentences of 7 years each to 8 convicts in connection with 2012 Madhya Pradesh Police recruitment test. They have also been penalised with Rs 10,000 each. pic.twitter.com/BhgP8QHPpv
— ANI (@ANI) August 31, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">Vyapam scam | CBI Court pronounces jail sentences of 7 years each to 8 convicts in connection with 2012 Madhya Pradesh Police recruitment test. They have also been penalised with Rs 10,000 each. pic.twitter.com/BhgP8QHPpv
— ANI (@ANI) August 31, 2021Vyapam scam | CBI Court pronounces jail sentences of 7 years each to 8 convicts in connection with 2012 Madhya Pradesh Police recruitment test. They have also been penalised with Rs 10,000 each. pic.twitter.com/BhgP8QHPpv
— ANI (@ANI) August 31, 2021
10 लोगों के खिलाफ पेश की थी चार्जशीट
जिला कोर्ट में सीबीआई ने 10 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी. जहां सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरोपी राजेश धाकड़, कवींद्र, विशाल, कमलेश, ज्योतिष, नवीन समेत 8 आरोपियों को दोषी करार माना है. जबकि 2 लोगों को बरी भी कर दिया गया है.
जानें क्या ये है पूरा मामला
व्यापम घोटाले की जांच सबसे पहले इंदौर क्राइम ब्रांच ने शुरू की थी. 2013 में व्यापम घोटाले में FIR दर्ज होने के बाद शिवराज सरकार ने एसटीएफ को जांच सौंपी थी. तब एसटीएफ के तत्कालीन अफसरों ने 21 नवंबर 2014 को विज्ञप्ति जारी कर लोगों से नाम या गुमनाम सूचनाएं आमंत्रित की थीं. इसमें 1357 शिकायतें एसटीएफ को मिली. इसमें से 307 शिकायतों की जांच कर 79 एफआईआर दर्ज की गई. 1050 शिकायतों में से 530 जिला पुलिस के पास जांच के लिए भेजी गईंं, 197 शिकायतें एसटीएफ के पास थी. बाकी 323 शिकायतों को नस्तीबद्ध कर दिया, जिसमें गुमनाम होने को आधार बनाया गया था.
इन्हीं 197 शिकायतों की जांच STF ने कांग्रेस सरकार में दोबारा शुरू की थी. एसटीएफ ने इस मामले की जांच कर कई लोगों को गिरफ्तार किया था. लेकिन जांच के दौरान एसटीएफ पर सवाल खड़े होने लगे. उसके बाद शिवराज सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.